श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंध अध्याय 8

काव्य वंश का वृत्तांत 



श्री पाराशर जी बोले पूर्व रख के जस्ट पुत्र आयु के में राहु की कन्या से विवाह किया उसके पांच पुत्र हुए जिसका नाम नहुष छात्रवृत्ति रंभा राजी और आने ना थे छात्रवृत्ति के सुभद्रा नामक पुत्र हुआ तथा सुभद्रा से कश और कश्यप से ग्रह हसमत नामक तीन पुत्र हुए गृहण मत का पुत्र शौकिन चतुर्वर्ण का परिवर्तन हुआ तस्य का पुत्र काशीराज काशी हुआ उसके राष्ट्र राष्ट्र के दीर्घ तप और दीर्घ तप के धनवंतरी नामक पुत्र हुआ इस धनवंतरी के शरीर में इंद्र जरा वृद्धावस्था आदि विकार देश से रहते थे तथा समस्त जनों में यह संपूर्ण शास्त्रों का ज्ञाता था पूर्व जन्म में प्रभु नारायण जी ने उन्हें यह वार दिया था कि काशी राज के कुल में उत्पन्न होकर तुम समस्त आयुर्वेद को आठ भागों में विभक्त करो और यज्ञ भाग के भोक्ता हो गई धनवंतरी के केतु महान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ केतु मां के भीमरथ भीमरथ का देवदास और तथा देवदास का पुत्र बर्तन उत्पन्न हुआ उसके मात्रा चरण वंश का संघर्ष करके समस्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी इसलिए उनका नाम शत्रुंजीत हुआ देवदास ने अपने इस पुत्र बर्तन से अधिक प्रेम वैस वात्सल्य वात्सल्य कहा था इसलिए नाम वसली होगा अत्यंत सत्य पारायण होने के कारण इसका नाम रितु ध्वज हुआ इसके पश्चात इसने वाले नमक पूर्वक अश्व प्राप्त किया इसलिए यह इस पृथ्वी तल पर कुछ वाला अश्व नाम से विख्यात हुआ इस भाष्य का अलंकार नामक पुत्र हुआ इसके संबंध में यह कथा आज तक गया जाता है पूर्व काल में अलंकरण के अतिरिक्त अन्य किसी में भी 66 हजार साल तक युवावस्था में रहकर पृथ्वी का भोग नहीं किया उसके अलंकरण के भी अनंत नामक पुत्र हुए संतान के समिति सुनीति के सुख तो सुख तू के धर्म केतु धर्म केतु के सत्य केतु सत्य केतु के विभव विभव के शुभ विवाह शुभ विवाह के सुकुमार सुकुमार के दृष्ट केतु दृष्ट केतु के विहत हॉट विहित हॉट के भाग और भाग के भाग भूमि नामक पुत्र हुआ भाग भूमि से चतुरायण का प्रचार हुआ इस तरह काश्य वंश के राजाओं का वण॔न हो चुका अब रजि की संतान का वण॔ण सुनो

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account of poetic lineage

Shri Parashar ji said that the former Raksha's just son married Rahu's daughter at the age of 15, he had five sons named Nahusha Scholarship, Rambha Raji and Aane Na The Scholarship had a son named Subhadra and from Subhadra, Kash and from Kashyap, three sons named Graha Hasmat. The son of Grihana Mat, Shokin Chaturvarna was transformed, Tasya's son became Kashiraj Kashi, his nation had a son named Dhanvantari of long asceticism and long asceticism. In the body of this Dhanvantari, Indra was living free from diseases like old age, etc. and among all the people, this completeness was born. He was knowledgeable about the scriptures. In his previous birth, Prabhu Narayan ji had given him this advice that by being born in the family of Kashi Raj, you should divide the entire Ayurveda into eight parts and become an enjoyer of the Yagya part. A son named Ketu Mahan was born to Dhanvantari, mother Ketu. Devdas was born to Bhimrath Bhimrath and Devdas's son Vaasli was born. He fought against Matra Charan dynasty and conquered all the enemies, hence his name became Shatranjeet. Devdas had said that he loved his son more than Vaasli Vaasli, hence the name would be Vasali. Due to being extremely devoted to the truth, his name came to be Ritu Dhwaja. After this, he obtained a horse named Vala from salt, hence he became famous on this earth by the name of Kuchwala Ashva. This Bhashya had a son named Alankar. This story regarding this is told till today. In the past, apart from Anankaran, he did not enjoy the earth in any other way, after living in his youth for 66 thousand years, Anankaran also had a son named Anant. Auspicious marriage of Vibhaav Vibhaav Auspicious marriage Sukumar Sukumar's aspect Ketu Visible Ketu's Vihat Hot Prescribed Hot's part and part of part's part named Bhoomi A son named Bhoomi was born from part Bhoomi Chaturayan was propagated In this way the kings of Kashya dynasty have been described, now Raji's listen to the description of the child

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