फिर रितिक ने उसे कन्या से विवाह कर लिया फिर एक समय उन्होंने संतान की कामना से सत्यवती के लिए जरूर तैयार की और उसी के द्वारा प्रसन्न किए जाने पर एक श्रेष्ठ पुत्र की उत्पत्ति के लिए एक और चारों उसकी माता के लिए भी बनाया और यह चारों तुम्हारे लिए है तथा यह तुम्हारी माता के लिए इनका तुम या जो जीत उपयोग करना यह कहकर वह वन को चले गए इसका उपयोग करते समय सत्यवती की मां ने उसे कहा पुत्री सब लोग अपने लिए सर्वश्रेष्ठ गुणवान पुत्र चाहते हैं अपनी पत्नी के भाई के गुना में किसी की विशेष रुचि नहीं होती इसलिए तू अपना चारु तो मुझे दे और मेरा चारु तू ले ले क्योंकि मेरे पुत्र को समस्त भूमंडल का पालन करना होगा और ब्राह्मण कुमार को तो बलबीर और संपत्ति से क्या लेना देना यह कहने पर सत्यवती ने अपने चारों का अपने माता को दे दी वन से वापस लौट कर आने पर विशेष सत्यवती के भयानक शरीर को देखकर बोले अरे बाप ने लगता है तू अवश्य ही अपने माता के लिए तैयार स्वरूप का उपयोग किया है आप तेरे अत्यंत भयंकर अस्त्र-शस्त्र धारी पालन कर्म में तपस्या छतरी के समान आचरण वाला पुत्र होगा और उसके शांति प्रिया ब्राह्मण चार्य युक्त पुत्र होगा या सुनते ही सत्यवती ऋषि के चरणों में गिर पड़े और बोली भगवान अज्ञानता वास मैने ऐसा किया अतः आप प्रसन्न होकर कुछ ऐसा उपाय कीजिए जिससे मेरा पुत्र ऐसा ना हो भले ही पुत्र हो या यह सुनकर ऋषि बोले ऐसा ही होगा फिर उसने जमदग्नि को जन्म दिया और उसकी माता ने विश्वामित्र को जन्म दिया और सत्यवती कौशिकी का नाम की नदी हो गई रेणु की पुत्री रेणुका से जग मत देख में विवाह किया जिससे क्षत्रियों का संघार करने वाला भगवान परशुराम जी उत्पन्न हुए जो प्रभु श्री हरी भरी सुनो के अंश थे देवताओं में विश्वामित्र जी को ब्रेक वासिया शानू सब नामक पुत्र प्रदान किया था उसके पीछे उनके देवर्त नामक एक पुत्र हुआ इसके अतिरिक्त विश्वामित्र जी के मधु चंदन धनंजय कृत देवाश्ताक कश्यप एवं हरि तक नमक और भी पुत्र हुए उनके द्वारा अन्य अन्य ऋषि स्कूलों में विवाह करने योग्य आने का अनेक कौशिक गोत्रीय पुत्र पुत्र आदि हुए
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Then Hrithik married him to a girl, then at one time he prepared one for Satyavati with the desire to have a child and after being pleased by her, he made one more for her mother for the birth of a great son and these four This is for you and this is for your mother. Saying this, he went to the forest. While using these, Satyavati's mother said to her, 'Daughter, everyone wants the best quality son for themselves. In the company of his wife's brother. No one has any special interest, so you give me your charu and you take mine because my son will have to take care of the entire earth and what does a Brahmin Kumar have to do with Balbir and property? On saying this, Satyavati gave all four of her own Gave it to mother, after coming back from the forest, seeing the terrible body of Satyavati, he said, Oh father, it seems that you have definitely used the form prepared for your mother, you are wearing extremely terrible weapons, penance umbrella in your duty of upbringing. He will have a son with conduct similar to that of a Brahmin and he will have a son with peace-loving Brahmin character or on hearing this, Satyavati fell at the feet of the sage and said, "Lord, due to ignorance, I did this, so please be happy and take some measures so that my son does not become like this, even if the son Hearing this, the sage said that it will happen, then he gave birth to Jamadagni and his mother gave birth to Vishwamitra and Satyavati became a river named Kaushiki. He married Renu's daughter Renuka in Jag Mat Dekh, from whom God, the destroyer of Kshatriyas, became the God. Parshuram ji was born, who was a part of Prabhu Shri Hari Bhari Suno. Among the gods, Vishwamitra ji was given a son named Break Vasiya Shanu Sab. After him, he had a son named Devart. Apart from this, Vishwamitra ji's Madhu Chandan Dhananjay was created by Devashtak Kashyap and Hari Tak Namak. Many more sons were born from him and he became capable of marrying in other Rishi schools. Many Kaushik Gotri sons, sons etc.
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