श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 6 का भाग दो


तारा को गर्भवती देख बृहस्पति जी ने कहा मेरे क्षेत्र में तुमने दूसरे का पुत्र धारण करना उचित नहीं है इससे दूर कर पवित्रता तारा ने पति के वचन अनुसार वह गर्भवती का स्टा भ की झाड़ी में छोड़ दिया उसे छोड़े हुए घर बने अपने तेज से संपूर्ण देवताओं को तेज को तेझिन कर दिया उसे बालक की सुंदरता अलौकिकता को निहार कर बृहस्पति जी और चंद्रमा दोनों ही उसको पाने के लिए आपस में झगड़ने लगे ब्रह्मा जी पुनः उसके बीच में आ गए बृहस्पति जी वह चंद्रमा दोनों को उसे बालक को लेने के लिए उत्कर्ष देख देवताओं ने संदेह हो जाने के कारण तारा से पूछा है तारा सच-सच बता इस बालक का पिता कौन है कितना कितने किंतु तारा लाजवाब कुछ भी नहीं बोली वह बालक भी यह सब सुन रहा था और अपने माता को इस तरह चुप देखकर बोला है माता तू मेरे पिता का नाम क्यों नहीं बतलाती जल्दी से मेरा पिता का नाम पता वानर मैं तुझे शराब दे दूंगी उसे बालक को इस तरह क्रोध में देखकर पितामह श्री ब्रह्मा जी ने उसे बालक को शांत करते हुए तारा से पूछा पुत्री सच-सच बता इसका पिता कौन है बृहस्पति या चंद्रमा पितामह ब्रह्मा ब्रह्मा जी ने के पूछने पर तराने लग जा वह उसके कान में बहुत मां का पुत्र है पितामह ब्रह्मा जी ने उसे बालक को चंद्रमा को दे दिए चंद्रमा न्यूज़ बालक को हृदय से लगकर खूब प्यार किया और बोले मेरे पुत्र तुम बहुत ही प्रिया हो तुम बहुत ही बुद्धिमान हो और उन्होंने उनका नाम बुद्ध रखा भूत के पुरखा नामक पुत्र उत्पन्न हुआ बुद्ध ने लीला से जिस प्रकार अपने पुत्र पुरखा को उत्पन्न किया संक्षिप्त में उसका वर्णन पहले की कर चुके हैं पुरखा बहुत दाने ज्ञानी और अतीत तेजस्वी था मित्र वरुण का श्राप था की अप्सरा उर्वशी को अमृत लोक में रहना पड़ेगा यह सोचकर आप सारा उर्वशी अमृत लोक में आ गई उर्वशी अप्सरा की दृष्टि रूप के धनी राजापुर का पर पड़ी राजा पुरखा को देखते ही उर्वशी अप्सरा तन्मय भाई से उसके पास आए उर्वशी अप्सरा की सुंदरता हुआ मुस्कान देखकर राजा उसे वशीभूत हो गए और दोनों एक दूसरे से मन की मैन प्रेम करने लगे फिर राजा पुरखा ने निशान को छोड़कर अप्सरा उर्वशी से बड़े विनम्र भाव से कहा है सुश्री तुम प्रसन्न होकर मुझे प्रेम दान दे दो राजा पुरखा के मुख से प्रेम की बात सुनकर उर्वशी ने कहा आपको मेरी तीन शर्त स्वीकार हो तो मैं आपका आगरा में अवश्य मान लूंगी राजापुर का उसे पर पूरी तरह मोहित था उसने कहा बदलाव तुम्हारा क्या शर्त है राजा की बात सुनकर आप सारा उर्वशी बोली बिहार के अतिरिक्त मैं आपको कभी नॉन देख पाऊं मेरे पुत्र रूप इस दो भेद को कभी आप मेरे सैया से दूर नहीं करेंगे और इसकी रक्षा करेंगे और केवल खरीद ही मेरा आहार होगा आप सारा उर्वशी के तीन शर्तों को सुनकर राजापुर का बोल प्रिय ऐसा ही होगा

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Seeing Tara pregnant, Brihaspati ji said that it is not appropriate for you to bear someone else's son in my area. Take away the purity from this. Tara, as per her husband's promise, left the pregnant woman in a bush of Stabha. Having left it, the house became perfect for the gods with the help of his glory. Seeing the beauty and supernatural beauty of the child, both Jupiter and Moon started fighting among themselves to get him. Brahma ji again came in between them. Jupiter and Moon saw both of them in Uttam to take the child. Due to doubt, the Gods asked Tara to tell the truth as to who is the father of this child, but Tara did not say anything. The child was also listening to all this and seeing his mother silent like this, he said, Mother. Why don't you tell me my father's name, quickly find out my father's name, monkey, I will give you liquor. Seeing the child in such anger, grandfather Shri Brahma ji calmed the child and asked Tara, daughter, tell me the truth, his father. Who is Jupiter or Moon? Grandfather Brahma Brahma ji started singing in his ears when asked, he is the son of a very mother. Grandfather Brahma ji gave him the child to Moon. Moon News He loved the child very much from his heart and said, My son. You are very dear, you are very intelligent and they named him Buddha. A son named Purkha was born from the ghost. The way Buddha created his son Purkha through Leela has been briefly described earlier. Purkha was very knowledgeable and knowledgeable. It was the curse of friend Varun that the curse of the nymph Urvashi was that she would have to live in the nectar world. Thinking this, all of you Urvashi came to the nectar world. The sight of the nymph Urvashi fell on the beautiful king of Rajapur. On seeing the king Purkha, the nymph Urvashi came to Tanmay Bhai to him. Seeing the beautiful smile of the nymph Urvashi, the king became captivated by her and both of them started loving each other with all their heart, then the king forefather left the mark and said to the nymph Urvashi in a very humble manner, Ms. please become happy and give me your love, king forefather. Hearing the words of love from the mouth of Urvashi, she said, if you accept my three conditions, then I will definitely accept yours in Agra. Rajapur was completely fascinated by her but she said, "Change, what is your condition?" Hearing the words of the king, you all, Urvashi said, except Bihar. May I never be able to see you, my son, you will never remove these two differences from my brother and will protect him and only purchase will be my food, all of you, after listening to the three conditions of Urvashi, Rajapur's words, dear, it will be like this only.

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