सोमवंश का वर्णन चंद्रमा बुध तथा पूरवा का चरित्र
श्री मैथिली जी बोले हे प्रभु आपने सूर्यवंशी राजाओं का वर्णन तो कर दिया अब मैं समस्त चंद्रवंशी राजाओं का वर्णन सुनाना चाहता हूं है ब्राह्मण आप कृपया करके उसका वर्णन मुझे कीजिए श्री पाराशर जी बोले है मनी सादुल परम तेजस्वी चंद्रमा के वंश का क्रमशः वर्णन करता हूं जिसमें आने को विख्यात रजागंध हुए हैं अतः तुम ध्यान पूर्वक सुनो समस्त सृष्टि के रचयिता प्रभु श्री हरि विष्णु जी के नाभि कमल से उत्पन्न हुए भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र अत्रि प्रजापति थे इन अत्री के चंद्रमा नामक पुत्र हुए भगवान ब्रह्मा जी ने उन्हें समस्त औषधि डिवीजन और नक्षत्र ग्रहण के अधिपति पर अभिषेक कर दिया चंद्रमा ने राज सूर्य यज्ञ का अनुष्ठान किया अपने प्रभाव और अति उत्कृष्ट अधिपति के अधिकारी होने पर चंद्रमा पर राज का तब मधु डेट हो जाने के कारण एक दिन चंद्रमा ने देवताओं के गुरु बृहस्पति देव जी की पत्नी तारा को हर लिया और बृहस्पति जी की प्रेरणा से भगवान ब्रह्मा जी के कहानी सुनने तथा देव ऋषियों के मांगने पर भी उसने छोड़ दिया देवगुरु बृहस्पति जी से द्वेष करने के कारण शुक्र की भी चंद्रमा के साथ हो गए और अंगिरा से विद्या प्राप्त करके ने के कारण भगवान रुद्र ने बृहस्पति जी की सहायता की क्योंकि बृहस्पति जी अंगिरा के पुत्र है शुक्ला जी की ओर से जाम और कुंभ आदि समस्त आदित्य दानव आदि भी चंद्रमा के साथ जाम मिले तथा शक्ल देवसेना सहित इंद्र बृहस्पति जी के सहायक हुए इस तरह तारा के लिए उसमें तारा का माया नमक भीषण युद्ध हुआ तब रूद्र आदि देवता दानव पर और दानव गांड देवताओं पर तरह-तरह के शास्त्र छोड़ने लगे रक्त की नदियां वह उठी इस प्रकार देव ससुर संग्राम सुब्रतो समस्त जगत ब्रह्मा जी की शरण में आ गया फिर ब्रह्मा जी ने स्वयं मध्यस्थता कर दोनों में संधि करवा बृहस्पति जी को तारा दिलवा दिया
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Description of Somavansh, Moon, Mercury and character of Purva.
Shri Maithili ji said, O Lord, you have described the Suryavanshi kings, now I want to narrate the description of all the Chandravanshi kings. Brahmin, please describe them to me. Shri Parashar ji said, Mani Sadul, I will describe the descendants of the most brilliant Moon step by step. In which the famous Rajagandh has come, so you listen carefully. The creator of the entire creation, Lord Shri Hari Vishnu, was born from the navel lotus of Lord Brahma. His son was Atri Prajapati. Atri had a son named Chandrama. Lord Brahma gave him all the medicine divisions. And the moon anointed the ruler of the constellation eclipse and performed the ritual of Raj Surya Yagya. Due to his influence and the possession of an excellent ruler, he ruled over the moon. One day, due to Madhu date, the moon married the wife of Brihaspati Dev Ji, the guru of the gods. Tara was defeated and with the inspiration of Lord Brahma, after listening to the story of Lord Brahma and on the request of the sages, he left her. Due to hatred towards Devguru Jupiter, Venus also joined the Moon and after receiving knowledge from Angira, he The reason is that Lord Rudra helped Brihaspati ji because Brihaspati ji is the son of Angira, Jam from Shukla ji, all the Aditya demons etc., Kumbh etc. also got jam with the Moon and Indra along with Shakla Devasena helped Brihaspati ji, in this way for Tara. In that, there was a fierce war between the Maya and the salt of Tara, then Rudra and other gods started releasing various types of scriptures on the demons and the demons started releasing various scriptures on the ass gods. Rivers of blood arose, thus the god-father-in-law Sangram Subroto, the entire world came under the shelter of Lord Brahma, then Brahma ji He himself mediated and made a peace between the two and got Brihaspati ji the star.
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