श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंध अध्याय 6 का भाग 4


फिर एक पुरखा उसी स्थान पर आए तो अप्सरा उर्वशी न्यूज़ है आयुष नमक का एक पुत्र दिया तथा उसके साथ एक रात रहकर पंच पुत्र उत्पन्न करने के लिए गर्भधारण किया और बोली राजन हमारे प्रेम के कारण समस्त देवगन आपको वरदान देना चाहते हैं अतः शिक्षित व मांगो अप्सरा उर्वशी के मुख से यह सुनकर राजापुर का बोला मैं समस्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लिया है मैं बंधु जन औषांख्या सी और पोस्ट से भी संपन्न हूं मेरी इंद्रियों की सामर्थ नष्ट नहीं हुई है इस समय उर्वशी के साहस के अतिरिक्त मुझे और कुछ नहीं चाहिए ना ही कुछ और मेरी इच्छा है अतः मैं अप्सरा उर्वशी के साथ शेष कल व्यतीत करना चाहता हूं राजा पुरखा की बात सुनते ही देवताओं ने उन्हें एक अग्नि स्थलीय प्रदान किया और कहा इन आर्मी के वैदिक विधि से गर्व पाठ आहट और दक्षिण अपनी रूप तीन भाग करके इसमें से उर्वशी के साहस की इच्छा से भली प्रकार यजन करना आवश्यक ही तुमको इच्छित हुआ प्राप्त होगा देवताओं के ऐसे कहने पर राजा इस अग्नि स्थलीय को लेकर चल दिए फिर चलते-चलते राजा ने मार्ग में सोचा आओ मैं कितना मूर्ख हूं कि इस आदमी इस थाली को तो ले आया और उर्वशी को वहीं छोड़ आया यह बात अपने मन में सोच कर राजा उसे अग्नि स्थल पवन में ही छोड़कर अपने नगर में लौट आए आधी रात बीती जाने पर राजा की निद्रा टूटी तो उन्होंने सोचा कि उर्वशी को पाने के उद्देश्य से देवताओं ने मुझे यह आदमी स्थल दी थी और मैंने उसे वन जंगल में ही छोड़ दिया आता हुआ मुझे लाने के लिए चलना चाहिए या सोचकर वह अग्नि स्थल को लेने गए किंतु वहां उन्होंने उसे स्थल को ना देखा अग्नि स्थल के स्थान पर राजा ने एक समीकरण पीपल के वृक्ष को देखा सोचा कि मैं अग्नि स्थल को यहीं रखा था इसलिए वह ही समय गर्भ पीपल बन गया है अतः अग्नि रूप अस्वास्थवा को ही अपने नगर में ले जाकर उसकी हरिणी बनाकर उसे पैदा हुए आदमी की ही उपासना कर लूंगा यह सोचकर राजा भूख उसे अस्वातवार तो को लेकर अपने नगर में आए और उसकी रानी बनाए और उसे कास्ट को एक-एक अंगुल का काट कर गायत्री मंत्र का पाठ किया उसके पाठ से गायत्री की अक्षर संख्या के बराबर अंगुल की आदरणीय बन गई उसके मंथन से तीनों प्रकार अंजन को उत्पन्न करके उसे वैदिक ऋतिक से हवन किया तथा उर्वशी के साहस की इच्छा प्रकट की इस आदमी से आने की अवधियों का आयोजन करते हुए सर्वे लोक प्राप्त किया और फिर उर्वशी से उसका वियोग ना हुआ पूर्व काल में एक ही आदमी था उसे एक ही तीन प्रकार के आदमियों का मन्वंतरण में प्रचार हुआ

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Then when an ancestor came to the same place, Apsara Urvashi News Ayush gave her a son of salt and after staying with him for one night she conceived to give birth to five sons and said, Rajan, because of our love, all the gods want to give you boons, so educate and ask for them. Hearing this from the mouth of Apsara Urvashi, Rajapur said, I have conquered all the enemies, I am also blessed with other posts like brother Jan Aushankhya, the power of my senses has not been destroyed, at this time I do not need anything else except the courage of Urvashi. Neither do I want anything else, so I want to spend the rest of the day with the nymph Urvashi. On hearing the words of King Purkha, the Gods provided him with a fire place and said, 'With the Vedic method of this army, proudly recite Aahat and Dakshin in your form in three parts. After doing this, it is necessary to perform the yajna properly with the desire of Urvashi's courage. You will get what you want. On this saying of the Gods, the king set out with this fire place. Then while walking, the king thought on the way, I am such a fool that I have asked this man. He had brought this plate and left Urvashi there. Thinking this in his mind, the king left it in the fire at Pawan and returned to his city. When midnight passed, the king woke up and thought that the purpose of getting Urvashi was The Gods had given me this man's place and I left him in the forest itself. Thinking that he should come and bring me, he went to take the place of fire but he did not see the place there. Instead of the place of fire, the king found a Equation: Looking at the Peepal tree, I thought that I had kept the place of fire here, hence at that very moment, the womb became a Peepal, hence, I will take the Agni (unhealthy) form of fire to my city, convert it into a deer and worship it as a born man, thinking this the king Due to her hunger, she brought Aswatwar to her city and made her queen, cut off one finger each from the cast and recited the Gayatri Mantra. Due to her recitation, the number of fingers equal to the number of letters of Gayatri became respectable. Due to her churning, all three types of Anjana were created. After giving birth to Vedic Hrithik, he performed Havan with Vedic Hrithik and expressed his desire for the courage of Urvashi. By organizing the periods of coming from this man, he attained Sarve Lok and then he was not separated from Urvashi. In earlier times, there was only one man, he had only one three Types of men promoted in Manvantaran


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