श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 6 का भाग 3


राजा पुरखा अप्सरा उर्वशी पर इतने मोहित हुए कि वह राज पाठ सब कुछ त्याग कर उर्वशी के साथ ही अपना सारा समय व्यतीत करने लगे राजा पुरखा ने दिन-दिन बढ़ते हुए आनंद के साथ आई रमणी मानस आई सरोवर में बिहार करते हुए 60000 वर्ष बिता दिए उसके उपभोग सुख से दिन वह दिन से अनुराग के बढ़ते रहने से उर्वशी का मन भी पृथ्वी लोक में लग गय उर्वशी को पृथ्वी पर रहते रहते काफी समय व्यतीत गया उर्वशी के बिना अप्सराओं सिद्धियां और गंधर्व स्वर्ग लोक रमणीक नहीं लगता था वह देव राजेंद्र ने उर्वशी को स्वर्ग में वापस बुला भेजा आप सारा उर्वशी और राजा पूर्व की प्रतिज्ञा को जानने वाले विश्व वासु ने एक दिन रात्रि के समय अनेक गंधर्वों के साथ जाकर उर्वशी के चयन अंगार के पास जाकर उसके मेघना का हरण कर आकाश में जाने के आकाश में जाते समय उर्वशी ने उनको आवाज सुनी तो वह बोले मुझे आना था कि पुत्र को कौन ले जा रहा है है मैं आना था और मात्रहीनता हूं तथा एक कर के अधीन हूं ऐसा कह कर बहुत जोर-जोर से रोने लगी राजापुर का इस भाई के कारण नहीं उठ रहा था की अप्सरा उसे नॉन देख लेगी लेकिन अप्सरा को इस तरह जोर-जोर से रोता देखकर राजा ने मन ही मन सोचा कि इस समय तो अंधकार है वह क्रोध में तलवार लेकर गंधर्वों के पीछे भाग और बोला दोस्तों आप तुम नहीं बचोगे इस समय गंधर्व ने विद्युत की रोशनी कर दी जिसके प्रकाश से उर्वशी ने राजा को नाग ना देख लिया और प्रतिज्ञा टूट जाने से उर्वशी सरल लोग को वापस लौट गई गंधर्व भी उनमें को वहीं छोड़कर स्वर्ग लोक चले गए उन लोगों को लेकर राजा तुरंत ही वापस शायद नगर में लौटे तो उर्वशी वहां न पाकर वह निराश होकर राज पाठ त्याग कर वह उसे वस्त्र ही नौबस्ता में ही पागल के समान उर्वशी को जगह-जगह घूमने लगे घूमते घूमते उन्होंने एक दिन चार अप्सराओं के साथ उर्वशी को कुरुक्षेत्र के कमल सरोवर पर देखा और उसने वापस महल में लौट चलने का आगरा करने लगे उर्वशी बोली राजा क्या आप तक किसी का प्रेम अप्सराओं को बांधकर रख सकता है जो मास देव आपके साथ रहती अज्ञानियों की भी चेषताओं से कोई लाभ नहीं मैं इस समय गर्भवती हूं राजन आप 1 वर्ष पश्चात इसी स्थान पर आ जाएंगे तब आपका पुत्र जन्म ले चुका होगा तथा एक रात में भी के साथ रह लूंगी उर्वशी के मुख से यह बात सुनकर राजापुर का प्रकाशित अपने राज को चला आया

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King Purkha was so fascinated by the nymph Urvashi that he left everything and started spending all his time with Urvashi. King Purkha spent 60,000 years living in the beautiful Manas Aai Sarovar with increasing joy day by day. Because of his happiness and pleasures, due to increasing love day by day, Urvashi's mind also got attached to the earth world. Urvashi spent a lot of time while living on earth. Without Urvashi, the Apsaras, Siddhiyas and Gandharva heaven did not seem beautiful. That's why Dev Rajendra told Urvashi. One day at night, Vishva Vasu, knowing about the promise of Urvashi and the king, went back to heaven with many Gandharvas and went near the burning embers of Urvashi and abducted her Meghna while going to the sky. When Urvashi heard his voice, he said, I had to come, who is taking the son, I had to come and I am helpless and under the control of a tax, saying this she started crying very loudly, because of this brother of Rajapur did not wake up. He was worried that the Apsara would not see him but after seeing the Apsara crying loudly like this, the king thought in his mind that it is dark at this time, in anger he ran after the Gandharvas with a sword and said, Friends, you will not be saved at this time, Gandharvas. He lit the electric light by the light of which Urvashi could not see the snake in the king and due to the broken promise, Urvashi returned back to the simple people, leaving the Gandharvas among them there and went to heaven, taking with them the king immediately returned to the city. When he returned and did not find Urvashi there, he got disappointed and gave up the royal lesson. He took away her clothes in Naubasta and started roaming around like a madman. While roaming around, one day he saw Urvashi with four nymphs at the lotus lake of Kurukshetra and she returned. Urvashi started returning to the palace and said, "King, can anyone's love for you keep the Apsaras bound that the month god lives with you? There is no use in the efforts of even ignorant people. I am pregnant at this time, King. You are at this place after 1 year." By the time you come, your son will have been born and I will stay with you even for one night. Hearing this from the mouth of Urvashi, the Prachaat of Rajapur went to his kingdom.

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