श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 5

निमि चरित्र तथा निमि कुल का वण॔न 



श्री पाराशर जी बोले इस राहु के जो नेमी नाम का पुत्र था उसने 1000 वर्ष में संपन्न होने वाले यज्ञ का आरंभ किया उसे यज्ञ में उसे वशिष्ठ जी को होता वरण किया वशिष्ठ जी ने उससे कहा कि 500 साल की यज्ञ के लिए इंद्र ने मुझको पहले ही वर्णन कर लिया है अतः इतने समय तक तुम ठहर जाओ वहां से वापस आने पर मैं तुम्हारा ॠविक् हो जाऊंगा वशिष्ठ जी के ऐसे कहने पर राजा ना कोई उत्तर नहीं दिया वशिष्ठ जी ने यह समझ कर की राजा ने उसका कथन स्वीकार कर लिया है वह इंद्र के पश्चात मुझे यज्ञ संपन्न कराने को तैयार हो गए हैं वशिष्ठ ने इंद्र का यज्ञ आरंभ कर दिया किंतु राजा नमी भी इस समय गौतम आदि अन्य होताओं द्वारा अपना यज्ञ आरंभ करवा दिया देवराज इंद्र का यह यज्ञ पूर्ण होते ही मुझे निम्मी का यज्ञ करना है इस विचार से वशिष्ठ वशिष्ठ जी तुरंत ही आ गए उसे यज्ञ में अपना होता का कर्म गौतम जी को करते देखा वशिष्ठ ने सोते हुए राजा निमि को श्राप दिया कि तुमने मेरा मन करके संपूर्ण कर्म का भारत गौतम को सोफा है अतः मुझे मेरा शराब है कि तू देही हो जाए राजा निमि जब सो कर उठा तो उसे शराब की बात ज्ञात हुई और राजा निमि ने कहा इस दुष्ट गुरु ने मुझसे बातचीत किया बिना ही मुझे सोते हुए को श्राप दिया है इसलिए यह भी बीते दे नष्ट हो जाएगा इस तरह शराब देकर राजा ने अपना शरीर त्याग दिया राजा नमी के श्राप से वशिष्ठ जी का लिंग दे मित्र वरुण के वीर्य में प्रविष्ट हुआ और उर्वशी को देखने से उसका वीर्य इस खालिद होने पर उसी से उन्होंने दूसरा शरीर धारण कर लिया राजा निमि का शरीर भी अति मनोहार खुशबू और तेल आदि से सुरक्षित रहने के कारण कर नहीं पाया बल्कि तत्काल इस क्षण मरे हुए देह  समान ही रहा

TRANSLATE IN ENGLISH 

Description of Nimi character and Nimi family

Shri Parashar ji said that this Rahu's son named Nemi started the Yagya which was to be completed in 1000 years. In the Yagya, he offered it to Vashishtha ji. Vashishtha ji told him that for the 500 years of Yagya, Indra had appointed me first. I have already described it, so you stay for this long and I will become your husband when I return from there. When Vashishtha ji said this, the king did not give any answer. Vashishtha ji understood that the king had accepted his statement. After Indra, I am ready to perform the yagya. Vashishtha has started Indra's yagya, but at this time King Nami also got his yagya started by Gautam etc. As soon as this yagya of Devraj Indra is completed, I have to perform the yagya of Nimmi. With this thought, Vashishtha Vashishtha ji immediately came and saw Gautam ji doing his duty in the Yagya. Vashishtha cursed the sleeping king Nimi that by doing my wish, you have given the entire karma of India to Gautam, hence I have my wine that When King Nimi woke up from sleep, he came to know about the liquor and said, “This evil guru has cursed me while I was sleeping, without even talking to me, hence this too will be destroyed by giving liquor like this.” The king left his body. Due to the curse of moisture, the king gave Vashishtha ji's penis and entered into the semen of his friend Varun and after seeing Urvashi, his semen became bald and from her he took another body. King Nimi's body also had a very pleasant fragrance. And because of being safe from oil etc., I could not do it, but at that very moment I remained like a dead body.


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ