श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 5 का भाग 2



यज्ञ संपूर्ण होने पर जब देवगन अपना भाग लेने आए तो उसने इस्रावि गण बोल यह यज्ञ मां को भर दीजिए देवताओं द्वारा प्रेरणा किए जाने पर राजा निमि ने उसे कहा प्रभु आप समस्त जगत के दुखों को हरने वाले हैं मेरे विचार से शरीर और आत्मा के वियोग होने जैसा दुख और कोई नहीं है इसलिए मैं अब फिर से शरीर नहीं ग्रहण करना चाहता अतः मै आप सब लोगों की आंखों में निवास करना चाहता हूं राजा नमी के ऐसे रहते ही देवताओं ने उनका संपूर्ण जीवन के नेत्रों में स्थित कर दिया तब से ही प्राणी पलक खोलना मने लगते हैं फिर अराजकता के भाई से मुनि जनों ने उसे पुत्र हैं राजा के शरीर को अरिद से मचाना शुरू किया उससे एक कुमार उत्पन्न हुआ जो जनक कहलन लगा इसके पिता विध थे इसलिए यह विदेशी कहलाता है और मंथन से उत्पन्न होने के कारण से मीठी भी कहा जाता है इसके उदय वासु नामक पुत्र हुआ उदासू ने नंदी वर्धन ने जन्म लिया नंदी वर्धन के सुकेतु उत्पन्न हुआ सुखेतू के देवव्रत उत्पन्न हुआ देवव्रत के ब्रह्म दृश्य हुआ ब्रह्म दृश्य के महावीर और महावीर के गृह युद्ध के गीत केतु गीत केतु के हर्ष हर्ष के मनु मनु के प्रतीक प्रतीक के मृत प्रीत के देव पीठ देवता पिंड के नींबू विधु के महाद्वीप महाद्वीप के पृथक कृतज्ञता के महा रमा महा रमा के सुवन रोमा ने जन्म लिया सूअर रोम ए के हास्य रोमा हास्य रोमा के सर ध्वज नामक पुत्र उत्पन्न हुआ वह पुत्र की कामना से यज्ञ भूमि को जोत रहा था तभी हल्के अग्र भाग के सीता नाम की कन्या उत्पन्न हुई ध्वज का भाई आकाश नरेश कुश ध्वज था सर ध्वज के भानु मां नामक पुत्र हुआ भानु मां के सात धीमान सतगुरू मैन के सुरुचि सुरुचि के ऊर्जा नाम ऊर्जा नाम के साथ ध्वज हुआ सात ध्वज के कृत कृत के अनजान अनजान के करूजित नामक पुत्र हुआ करो जीत के अरेस्ट नेवी अरिष्ट नेवी के इस रावत के सुपर सुपर के संजय संजय के छह मूवी के अन्ना अन्ना के व्रत घूम रथ के 17 17th के उपवन उपवन के उपगुप्त अप गुप्त से स्वागत स्वागत के स्वर्णानंद चौहान नंद के शुरू वचन उत्पन्न हुआ सुस्पश्च के सुबह-सुबह के स्रोत के जय-जय के विजय विजय के विस्तृत विस्तृत के शून्य तथा शून्य के वित्त है ने जन्म लिया विधायक के घृत के बहुलक्सवा तथा बहुलक हुआ के घृत नामक पुत्र हुआ गीत में ही यह जनक वन समाप्त हो जाता है यह ही मैथिली के रजागन है प्राय यह समस्त राजा लोग आत्मा विद्या का आश्रय दिया करते हैं

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When the yagya was completed, when the gods came to take their share, he said Isravi Gana, fill this yagya to Maa. On being inspired by the gods, King Nimi said to him, Lord, you are the one who will remove the sufferings of the entire world. In my opinion, there will be separation of body and soul. There is no other sorrow like being, so I do not want to assume the body again, so I want to reside in the eyes of all of you. As soon as King Nami lived like this, the gods placed him in the eyes of all living beings for the entire life. He seems to refuse to open his eyelids, then the sages started churning the king's body with the help of the brother of anarchy, he is the son of Arid, from him a Kumar was born who was called Janak, his father was Vidh, hence he is called foreign and because he was born from churning. It is also called Meethi, Udasu had a son named Uday Vasu, Nandi Vardhan was born, Nandi Vardhan was born Suketu, Sukhetu was born Devavrata, Devavrata was born Brahma Drishya, Brahma Drishya was born Mahavir and Mahavir's civil war songs, Ketu songs. Manu Manu's symbol of joy Harsh Manu's symbol Symbol's dead love's deity Peetha Devta Pinda's lemon Vidhu's continent continent's separate Maha Rama Maha Rama's Suvan Roma was born pig Roma A's humor Roma humor Roma's sir Dhwaj was born It happened that he was plowing the Yagya land with the wish of a son, then a girl named Sita of light front was born. Dhwaj's brother was the sky king Kush Dhwaj, Sir Dhwaj had a son named Bhanu Maa, Bhanu Maa had seven Dhimans of Satguru Man's Suruchi Suruchi. Name Urja, became a flag with the name of seven flags, Krit Krit of Unknown Unknown, had a son named Karujit, Karo Jeet's arrest Navy Arishta Navy's Ish Rawat's Super Super's Sanjay Sanjay's Six Movie's Anna Anna's fast Ghoom Rath's 17 17th The beginning of Swarnand Chauhan Nand's words of welcome from the sub-secret of the sub-secret of the garden of the sub-secret of the sub-secret of the sub-secret of the welcome of welcome was born in the morning of the morning of the well-known source of the hail-jay of the victory of the wide of the wide of the wide of the zero and the finance of the zero was born from the ghee of the MLA This Janak forest ends in the song that Bahulakswa and Bahulak Hua had a son named Ghrit. He is the king of Maithili. Almost all these kings give shelter to spiritual knowledge.

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