फिर रामचंद्र जी ने इतने समय तक लंका में रहने के लिए सीता से परीक्षा देने को कहा कि पहले अग्नि परीक्षा दो फिर करीब हमारे आओ रामचंद्र जी की बात सुनकर सीता जी ने अग्नि में प्रविष्ट हो गई सीता जी के अग्नि में प्रविष्ट होते ही आदमी के साक्षात प्रकट होकर रामचंद्र जी को बताया कि सीता जी गंगाजल की तरह पवित्र है फिर रामचंद्र जी ने विभीषण को लंका का राज पाठ शॉप हुए अयोध्या को रवाना हो गए रामचंद्र जी विमान द्वारा पहले भारद्वाज के आश्रम पहुंचे और फिर हनुमान जी को अपने छोटे भाई भारत के पास भेजा फिर रामचंद्र जी नंदीग्राम गए और वहां पर पहुंचकर उन्होंने अपने भाइयों के साथ अपनी जताए उतरवायी उसके पश्चात रामचंद्र की राजगद्दी पर आसीन हुए रामचंद्र जी के राज में संपूर्ण राज्य में खुशी थी प्रजा समस्त प्रकार से सुखी हुआ संपन्न थी रामचंद्र जी 11000 वर्ष शासन करने के पश्चात ब्रह्मलोक को सुधर गए जो भी प्राणी इस कथा को सुनता है अथवा सुनता है उसके समस्त पाप समूल नष्ट हो जाते हैं यह कथा मनुष्य का दीर्घायु बनती है इसके पश्चात भारत जी ने गंधर्व लोक को जीतने के लिए युद्ध करके तीन करोड़ गंधर्व का संघार किया और शत्रु कहानी ने भी महाप्रक में मधु पुत्र लवण रक्षा का संघार किया और मथुरा नागरिक की स्थापना की इस प्रकार अपने पराक्रम से दोस्तों को नष्ट करने वाले प्रभु श्री रामचंद्र जी लक्ष्मण भारत और शत्रुघ्न संपूर्ण जगत की उचित व्यवस्था का स्वर्ग लोक को पधारे दुष्ट दलन प्रभु श्री रामचंद्र जी के लव कुश नामक दो पुत्र हुए तथा लक्ष्मण जी के अंगद और चंद्र केतु भारत जी के दक्ष और पुष्कल तथा शत्रुघ्न जी के सुबह हो और सूर्य सेन नामक पुत्र हुए उसके अतिथि अतिथि के निषाद निषाद के एनल हुआ एनल्स के नाम के पूर्वक ने जन्म लिया पूर्वारिक ने 6 दुआ के देवुनिक देव नि के आईनक ने जन्म लिया आईना के रूप रुक परित्र्यक परित्र्यक के देवल देवल के वचन वचन के ऊतक ऊतक के बज नाभा बज नाभा के शंकर पूर्ण संपूर्ण के युक्ति पासवान युक्ति पासवान के बीच हुआ शाह पुत्र व विश्व शाह के हिरन नाप नामक पुत्र ने जन्म लिया जिसे जैमिनी के शिष्य महायोगेश्वर यज्ञ वर्षा यदि से योग विद्या सीखी हिरण नभ का पुत्र पूर्ण था जिसे ध्रुवशांगी ध्रुव सांगी का सुदर्शन सुदर्शन का अग्नि वर्ण अग्नि वर्ण का शीघ्र तथा शीघ्र का पुत्र मारू हुआ जो इस समय भी योग आज योग अभ्यास में तत्पर हुआ जो कप ग्राम में स्थित है आगे के युग में वह सूर्यवंशी क्षत्रियों का प्रवर्तक बनेगा मारु का पुत्र प्रशांत प्रश्न दूध का स संधि का नाम रन का सहसवान सहसवान का विश्व भाई तथा विश्व भाई का पुत्र दिल्ली गर्ल हुआ जिसके महाभारत के युद्ध में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने मारा था इस प्रकार मन इस राहु कल के मुख्य मुख्य राजाओं का वर्णन किया जिसके चरित्र को सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं
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Then Ramchandra ji asked Sita to take the test for staying in Lanka for so long. First give the fire test and then come closer to us. Listening to Ramchandra ji, Sita ji entered the fire. As soon as Sita ji entered the fire, the man Appeared in person and told Ramchandra ji that Sita ji was as pure as the water of Ganga. Then Ramchandra ji taught the secrets of Lanka to Vibhishan and left for Ayodhya. Ramchandra ji first reached Bhardwaj's ashram by plane and then took Hanuman ji to his younger brother India. Then Ramchandra ji went to Nandigram and after reaching there, he along with his brothers got their oaths removed. After that, Ramchandra ji ascended the throne. Under the rule of Ramchandra ji, there was happiness in the entire state, the people were happy in every way, Ramchandra ji was prosperous for 11000 years. After ruling, Brahmalok got improved. Any creature who hears or listens to this story, all his sins are completely destroyed. This story helps in longevity of man. After this, Bharat ji fought a war to conquer Gandharva world and killed three crore Gandharvas. And the enemy story also fought the battle of Madhu son of Lavan Raksha in the great world and established the city of Mathura. Thus, Lord Shri Ramchandra ji, who destroyed his friends with his bravery, Laxman, India and Shatrughan, gave the right order to the entire world to heaven. The evil Dalan Lord Shri Ramchandra ji had two sons named Luv Kush and Lakshman ji had Angad and Chandra Ketu Bharat ji had Daksh and Pushkal and Shatrughan ji had a son named Subha and Surya Sen His guest Nishad Annals of the guest In the name of 'Purvaik', 'Purvarik' was born, '6 Dua's Devuniik Dev, Ni's mirror was born in the form of mirror, 'Ruk Paritryak Paritryak's Deval Deval's words, Tissues of words, Baj Nabha Baj Nabha's Shankar, Purna Sampurna's Yukti Paswan, Yukti Paswan of Between Shahputra and Vishva Shah, a son named Hiran Naap was born, who learned the science of yoga from Jaimini's disciple Mahayogeshwar Yagya Varsha Adhi, Hiran, Nabha's son was Purna, whom Dhruvashangi Dhruv Sangi's Sudarshan, Sudarshan's Agni Varna, Agni Varna's quick and quick. Son Maru was born, who even at this time is ready to practice yoga today, who is situated in Kap village, in the future era, he will become the originator of Suryavanshi Kshatriyas. Son of Maru, Prashant Prashna of Milk, S of Sandhi, Name of Run, Sahaswan of Sahaswan, Vishwa Bhai and Vishwa The brother's son was a Delhi girl who was killed by Arjun's son Abhimanyu in the war of Mahabharata. In this way, this Rahu described the main kings of tomorrow, by listening to whose character all the sins of a person are destroyed.
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