श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 13 भाग 2


वह स्वयं मां तक मनी सत्यजीत ने अपने घर में रख दिया वह मनी प्रतिदिन 8 भर सोना प्रदान किया करती थी उसे मनी के प्रभाव से संपूर्ण राष्ट्र में रोग अमृत सर्प अन्य कर अग्नि एवं दुर्भिक्ष आदि का जरा सा भी भाई नहीं रहता था प्रभु अशुद्ध को ऐसी इच्छा हुई कि वह दिव्य मणि रत्न राजा अग्रेशन के योग्य है परंतु जाति या विद्रोह के भाई के कारण उन्होंने उसे नहीं दिया सत्यजीत को जब यह मालूम हुआ कि प्रभु मुझे या मनी मांगने वाले हैं तो उसने उसको अपने भाई प्राचीन को दे दिया लेकिन इस बात का ज्ञान न रखते हुए की पवित्रता से धारण करने से वह मनीष होना और अन्य गुण प्रदान करती है और अशुद्धता पूर्वक धारण करने से यह घातक हो जाती है प्रसन्न उसको अपने गले में पहन कर घोड़े पर चढ़कर मृग गया लाने के लिए वन को चल दिया वहां एक खूंखार शेर ने उसे घोड़े सहित उसे मार कर उसे पवन मनी को अपने मुंह में लेकर चलने को तैयार हुआ तो उसे समय शास्त्र राज जामुन ने शेर को मार डाला फिर उसे पवन मनी को जामवन अपनी गुफा में लेकर पहुंचा और उसे पवन मनी को उसने अपने बालक सुकुमार को खिलौना के रूप में खेलने के लिए दे दिया वन से प्रसन्न ने वापस नहीं लौटने पर समस्त यादों में यह चर्चा होने लगी कि उसे मनी को कृष्णा ले जाना चाहते थे और उन्होंने अवश्य ही उसे मनी को प्रसन्न से छीन कर उसी की हत्या कर दी होगी इस लोक को पवाद का पता पढ़ते ही समस्त यादव सी सहित भगवान ने प्रश्न के घोड़े की टेपों के चीन को देखते हुए वन में चले गए और पर वन में आगे जाकर एक स्थान पर सबने देखा कि प्राचीन को घोड़े सहित शेर ने मार डाल है फिर समस्त जनों को पूर्णता विश्वास हो गया कि प्रश्न को कृष्ण ने उन्हें मार तो कृष्णा शेर के पंजों के निशाने को देखते हुए चल दिए और थोड़े ही दूर पर श्री राज द्वारा मारे हुए शेर को देखा जब वह जामुन के पैरों के निशाने पर चल पड़े तथा समस्त हुई यादों सी को पर्वत के तट पर छोड़कर छह राज के पद चोन पर अनुसरण करते हुए स्वयं उसकी गुफा में अंदर घुस गए अंदर जाने पर भगवान ने सुकुमार नमक बालक को बहाल आते हुए दासी की यह बात सुनी शेर ने प्रसनजीत को मार और शेर ने जामवंत ने हिसु कुमार तू क्यों रो रहा है यह स्वयं अंत तक मनी तेरी ही है यह सुनकर सुनने से सुमन तक मनी का पता चलने पर भगवान कृष्ण ने अंदर जाकर देखा कि सुमन तक मनी दासी के हाथ पर अपने देश से दिव्यापन हो रही थी कृष्ण को अपने सामने देख कर दासी ताई ताई करके जोर-जोर से चिल्लाने लगी दासी की चिक सुनकर जामवन क्रोध में भरा हुआ वहां आया और कृष्णा से युद्ध करने लगा उन दोनों का एक किस दिन तक भीषण युद्ध हुआ पर्वत के निकट कृष्ण की प्रतीक्षा करने वाले समस्त यादव सी 7 8 दिन तक उसके गुफा से बाहर  निकलने की प्रतीक्षा करती रही किंतु जब एक किस दिन बीतने पर भी भगवान कृष्ण गुफा से बाहर नहीं आए तो उसने समझा की आवाज से ही इस गुफा में हुए मारे गए हैं नहीं तो जीवित रहने पर शत्रु को हराने में कितने दिन क्यों लगता ऐसा सोचकर वह द्वारका लौट गए और वहां आकर कह दिय की श्री कृष्णा मारे गए यह सुनकर उसके बंधुओ ने उनका समुचित संपूर्ण और देहिक  कर्म कर दिया

TRANSLATE IN ENGLISH

Satyajit kept that money even in his mother's house, that money used to provide her with 8 pieces of gold every day. Due to the influence of money, there was not the slightest fear of diseases, nectar, snakes, other taxes, fire, famine etc. in the entire nation. Lord, the impure He wished that the divine gem was worthy of King Aggreshan but due to his brother's caste or rebellion, he did not give it to him. When Satyajit came to know that the Lord was going to ask for me or money, he gave it to his brother Prachian but this Without knowing that if worn with purity, it bestows wisdom and other virtues, and if worn with impurity, it becomes fatal, Prasanna, wearing it around his neck, mounted his horse and went to the forest to fetch the deer. There a ferocious lion killed him along with his horse and when he was ready to take Pawan Mani with him in his mouth, then in time Shastra Raj Jamun killed the lion and then Jamwan took Pawan Mani to his cave and gave him Pawan Mani. He gave it to his child Sukumar to play with as a toy. When Prasanna did not return from the forest, all the memories started discussing that Mani wanted to be taken away by Krishna and he definitely snatched Mani from Prasanna. Must have killed him. As soon as this world read the address of Pavad, the Lord along with all the Yadavas went into the forest, looking at the chain of tapes of the horse in question, but going ahead in the forest, at one place, everyone saw that the ancient man was dead along with the horse. The lion has killed, then all the people completely believed that Prashna was killed by Krishna, then Krishna walked looking at the marks of the lion's claws and at a short distance saw the lion killed by Shri Raj when he fell at the feet of Jamun. Left all the memories on the banks of the mountain and following the footsteps of six kings, he himself entered his cave. On going inside, the Lord restored the delicate salt child and heard the words of the maid while coming lion. He killed Prasanjit and the lion said Jamwant Hisu Kumar why are you crying, this man is yours till the end, after hearing this, after hearing about Suman Tak Mani, Lord Krishna went inside and saw that Suman Tak Mani was on the maid's hand. Seeing Krishna in front of her, the maid started screaming loudly. On hearing the maid's scream, Jamvan came there full of anger and started fighting with Krishna. There was a fierce battle between them for a day on the mountain. All the Yadavas who were waiting for Krishna near the cave kept waiting for him to come out of the cave for 7-8 days but when Lord Krishna did not come out of the cave even after a few days, they thought that the death in this cave was due to the sound of the sound. Otherwise, why would it take so many days to defeat the enemy if one remains alive? Thinking this, he returned to Dwarka and came there and told that Shri Krishna was killed. Hearing this, his brothers performed the proper and complete rites of his body.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ