श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 11

यदुवंश का वर्णन सहस्त्र अर्जुन का चरित्र का वर्णन



श्री पाराशर जी बोले आप मैं तुम्हें जेटीईटी के पहले पुत्र यदि के वंश का वर्णन सुनाता हूं जिसमें प्रभु श्री हरि विष्णु के अंश अवतार लिया था इस विषय में यह कथा प्रसिद्ध है जिसमें श्री कृष्णा नमक निराकार परम ब्रह्मा ने अवतार लिया था उसे यदुवंश का सच्चे मन से जो भी मनुष्य श्रवण करता है उसके संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं यादों के सहजीत तट नल और ना हो नामक चार पुत्र हुए साजिद के साथ जीत नामक पुत्र उत्पन्न हुआ और सत्यजीत के है या और वेणु है नामक तीन पुत्र हुए या का पुत्र धर्म हुआ और धर्म का धर्म नेत्र धाम नेत्र का कुंती कुंती का सहजित तथा सहजीत के माही सामान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसमें माहिष्मती पुरी की स्थापना की महेश मां के भद्र श्री हुआ भद्र श्रेया के दर दम दूर डैम के धनक और धक के मृत वीर्य कृत अग्नि प्रीत धर्म और क्रीटोज नामक चार पुत्र उत्पन्न हुए कृत वृक्षक खरीद वृत्त वीर्य के हजार भुजाओं वाले शब्द रूप के अधिपति अर्जुन का जन्म हुआ सबूतर अर्जुन के हाथी कल में उत्पन्न भागवत अंश रूप भी दातो द्रव जी की उपासना कर सहस्त्र हजार भुज आधार में चरण का निवारण स्वदेश का सेवन युद्ध के द्वारा समस्त पृथ्वी मंडल की विजय शत्रु से अप्रिय तथा त्रिलोक प्रसिद्ध पुरुष से मृत्यु इस प्रकार के अनेक वरदान मांगे और प्राप्त किए थे अर्जुन ने ही संपूर्ण सपत्रिप्ट में भूमि का पालन और 10000 यज्ञों का अनुष्ठान किया था यज्ञ दान तब विनय और विद्या के कृति वीर्य सहस्त्र अर्जुन की क्षमता कोई भी राजा नहीं कर सकता उसके राज्य में किसी भी प्रकार का कोई भी पदार्थ नष्ट नहीं होता था इस तरह उसने बाल आरोग्य पराक्रम और संपत्ति को सहदेव सुरक्षित रखते हुए पीस चारी हजारी वर्ष तक राज किया एक दिन जब वह आती सारी मैग्ना पैन से व्याकुल हुआ नर्मदा नमक नदी में जल कीड़ा कर रहा था तो उसकी राजधानी महिस्मत पूरी पर विजय प्राप्त करने के लिए आए हुए समस्त देव दानव गंधर्व और राजाओं के विजय मत से उम्मत रावण ने आक्रमण कर दिया तब उसने उसे राजा उसे समय अचानक ही रावण को पशु की तरह बांधकर अपने नगर में एक निर्जन स्थान पर रख दिया इस सहस्त्र अर्जुन का 85000 वर्ष व्यथित होने पर भगवान नारायण के अंश अवतार परशुराम जी ने संघार किया था इसके शॉप पुत्र में से सूर्य सेन ब्रिज सेन मधु और जय ध्वज के पांच प्रधान थे कल्याण हुआ और तालियां केशव पुत्र हुए इसमें सबसे बड़ा ब्रेथ होता तथा दूसरा भारत था भारत के ब्रिज ब्रिज के मधु और मधु के ग्रीन आदि 100 पुत्रों ने जन्म लिया ग्रीन के कारण यह वंश ग्रेट वंश का लाया इसकी मधु के कारण मधु संज्ञा हुए और यादों के नाम अनुसार इस वंश के लोग यादव कहलाए

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Description of Yaduvansh Description of Sahastra Arjun's character

Shri Parashar ji said, I will tell you the description of the lineage of the first son of JTET, Jadi, in whom Lord Shri Hari Vishnu had incarnated as part of him. In this subject, this story is famous in which Shri Krishna, the salt-formless Param Brahma, had incarnated, making him the true descendant of Yaduvansh. Whoever listens with his heart, all his sins are destroyed. On the Sahajeet bank of memories, he had four sons named Nala and Naho. With Sajid, a son named Jeet was born and Satyajeet had three sons named Hai and Venu, son of Ya. Dharma happened and Dharma became Netra Dham Netra's Kunti Kunti's Sahajit and Sahajit's son named Mahi Samaan was born in which Mahishmati was established Mahishma Maa's Bhadra Shri became Bhadra Shreya's Dar Dum Door Dam's dead semen Krit Four sons named Agni, Preet, Dharma and Kritos were born. Arjuna, the ruler of the word form with thousand arms of semen, was born. The elephant of Arjuna was born in the form of Bhagwat yesterday. After worshiping Dato Drava Ji, he had his feet on the thousand-armed base. Prevention of the conquest of the country; Conquest of the whole earth through war; Death from the enemy and famous person of the three worlds; Arjun had asked for and received many such boons; in the entire Sapatripta, Arjun had maintained the land and performed 10,000 Yagyas, Yagya Daan. Then no king could match the strength of Arjun due to his humility and knowledge, no substance of any kind was destroyed in his kingdom, in this way he ruled for four thousand years, keeping his child, health, bravery and property safe with Sahadeva. One day when he was wandering in the salt river Narmada, distraught by all the Magna Pan coming, his capital Mahismat Puri was attacked by Ummat Ravana with the victory vote of all the gods, demons, Gandharvas and kings who had come to conquer his capital Mahismat Puri. Then he made him the king and suddenly tied Ravana like an animal and kept him in a deserted place in his city. After this thousand years of Arjuna being distressed for 85000 years, Lord Narayana's part incarnation Parshuram ji had killed Surya Sen from his shop son. Brij Sen Madhu and Jai Dhwaj were the five heads of Kalyan and Taliyaan Keshav was the son. The eldest in this was Breth and second was India. 100 sons like Madhu of Brij and Madhu of Green etc. were born due to Green. This dynasty is of great dynasty. Because of its honey, it became known as Madhu and according to the names of memories, the people of this dynasty were called Yadav.

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