श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 2 का भाग दो



केकुठा के आने ना नामक पुत्र हुआ अमीना के प्रीत प्रीत के के चंद्रवंश और उसके शाश्वत नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसने श्रावस्ती पुरी बसाई थी शाश्वत के बृहद दास हुआ तथा बृहदास हुआ के पुरुषों का जन्म हुआ इसने अपने 21000 पुत्रों के साथ मिलकर महर्षि उदक के शत्रु नामक दैत्य को मारा था इसलिए उनका नाम इस प्रमुख पद गया इस रामू के समस्त पुत्र धुन के मुख से निकलते हुए निशान से जलकर भस्म हो गए उनमें से केवल दृष्टि और चंद्र दिवस और कपिलवस्तु के तीन ही जीवित बचे थे दृशवंश के हर्षद हर्षद के निकुंभ ने जन्म लिया निकुम से अमित दास हुआ अमित विश्वास से कृष्ण का जन्म हुआ क्रिसमस से प्रसनजीत और प्रसनजीत से यूं नसावा का जन्म हुआ यह मनुष्य ने संतान होने के कारण चीन मन से मुनियों के आश्रम में रहता था उसे इस तरह दुखी देखकर मुनियों क उसे पर दया आ गई और फिर उन दयाल मुनियों ने उसके पुत्र उत्पन्न होने के लिए एक यज्ञ का अनुष्ठान किया आधी रात को यज्ञ समाप्त होने पर मुनीजा कैलाश वेदी पर रखकर सो गए मुनियों के सोने के पश्चात प्याज से व्याकुल राजा ने उसे स्थान पर प्रवेश किया राजा ने निंद्रा में लीन मुनियों को जगाना उचित नहीं समझा और बेदी पर रख अभिमंत्रित जल को पी लिया जैन के पश्चात मुनीगढ़ ने पूछा कि इस कलश के अभिमंत्रित जल को किसने पिया है इस जल को पीने का योनास हुआ की पत्नी अति बलशाली पुत्र उत्पन्न करेगी मुनीगढ़ की बात सुनने ते ही राजा यौनास्य बोला प्यार से अत्यंत व्याकुल होने के कारण रात्रि में मैंने यह जल पी लिया इसलिए पेनिस हुआ के पेट में गर्भ स्थापित हो गया और धीरे-धीरे बढ़ने लगा यथा संभव बालक राजा की दी को हर कर निकल आया किंतु इससे राजा की मृत्यु नहीं हुई वह जीवित ही रहा उसे बालक के जन्म लेते ही मुनीगढ़ बोले यह बालक क्या पान पीकर जीवित रहेगा इस समय देवराज इंद्र वहां आकर बोले यह बालक मेरे आश्रय जीवित रहेगा इसलिए उसे बच्चे का नाम मड़ता पड़ा देवराज इंद्र ने उसे बालक के मुख में अपनी तर्जनी उंगली देती और वह बालक पुस्तक यानी को पीने लगा वह बालक उसे अमृत माया अगली से हर आशा स्वाद करने से वह एक ही दिन में बड़ा हो गया तभी से चक्रवर्ती मढ़ता सबदीप भूमि पर राज करने लगा इसके विषय में कहा जाता है जिस स्थान से सूर्य उदय होता है और जहां सूर्यास्त होता है वह संपूर्ण क्षेत्र योन शिव के पुत्र मतदाता का है मतदाता से शब्द बिंदु की पुत्री इंदुमती से विवाह किया और उसे पूर्ण वस्तु अमरीश और मुकुंद नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए और इस इंदुमती के गर्भ से 50 कन्या ने भी जन्म लिया

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Kekutha had a son named Aane Na, Amina's Preet Preet's Chandravansh and she had a son named Shashwat who established Shravasti Puri. Shashwat's Brihad Das and Brihadas's men were born. He, along with his 21000 sons, became the enemy of Maharishi Udak. He had killed a demon named, hence his name got this prominent position. All the sons of this Ramu were burnt to ashes by the marks coming out from the mouth of Dhun. Out of them, only Drishti, Chandra Divas and three of Kapilvastu were left alive. Harshad of Drishvansh was Nikumbh of Harshad. From Nikum, Amit Das was born. From Vishwas, Krishna was born. From Christmas, Prasanjeet was born and from Prasanjeet, Nasava was born. Due to having a child, this man, by heart, lived in the ashram of sages. Seeing him sad like this, the sages gave birth to him. But pity came and then those kind sages performed a yagya for the birth of a son. After the yagya was over at midnight, Munija Kailash fell asleep after placing it on the altar. After the sages slept, the king, distraught with the onion, entered his place. The king did not consider it appropriate to wake up the sleeping sages and drank the consecrated water placed on the altar. After Jain, Munigadh asked who had drunk the consecrated water of this Kalash. The auspiciousness of drinking this water was that the wife would give birth to a very strong son. As soon as he heard about Munigadh, King Jaunasya said, being extremely distraught with love, I drank this water at night, hence a penis was formed, the womb got established in the stomach and slowly started growing as much as possible and the child came out after beating the king's lamp. But the king did not die due to this, he remained alive. As soon as the child was born, Munigadh said, will this child survive by drinking paan? At this time Devraj Indra came there and said that this child will survive under my shelter, hence he started chanting the child's name. Devraj Indra told him. She put her index finger in the child's mouth and the child started drinking the book i.e. the child tasted the nectar of Maya and every hope from the next, he grew up in a single day, from then onwards Chakravarti Madhta Sabdeep started ruling the land, said about this It is said that the place from where the sun rises and the place where the sun sets, that entire area belongs to Voter, son of Shiva. Voter married Indumati, daughter of Shabda Bindu and gave birth to three sons named Amrish and Mukund and from this Indumati 50 girls were also born from the womb

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