श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 18

माया मोह और असुरों का संवाद तथा सत धनु की कथा



श्री पाराशर जी बोले है मैथिली माया मोह ने देवताओं के साथ जाकर देखा कि दैत्य नर्मदा के तट पर तपस्या कर रहे हैं डेटियों को तब करते देखा मयूर पिक धारी दिगंबर और मुदित कैसे मया म उनके पास जाकर बड़े ही मधुर स्वर में इस प्रकार कहा माया मोह बोला है दैत्य गन आप किसी उद्देश्य से तप कर रहे हैं आप किसी लौकिक फल की इच्छा रखते हैं या पारलौकिक फल की अनुसरण बोल ही महात्मा हमें पर लौकिक हॉकी कामना से तपस्या प्रारंभ की है इस विषय में तुम क्या कहना चाहते हो माया मोह बोला यदि आप लोग को मुक्ति की इच्छा है तो मैं जैसा कहता हूं तुम वैसा ही करो आप लोग पर रूप इस धर्म का आदर सत्कार करें क्योंकि यह धर्म मुक्ति में पर योगी है इसके अतिरिक्त श्रेष्ठ और कोई धर्म नहीं है इसका अनुष्ठान करने से आप लोग स्वर्ग अथवा मुक्ति जिसकी भी कामना करोगे वह तुम प्राप्त कर लोगे आप समस्त लोक अति बलवान है इसलिए इस धर्म का आदर सत्कार कीजिए श्री पाराशर जी बोले इस प्रकार अनेकों तरह की युक्तियां के सुंदर वाक्य द्वारा माया मोह मैं दैत्यगन को वैदिक मार्ग से विचलित कर दिया है यह धर्म युक्त है या धर्म के विरुद्ध है यह सत्य है या असत्य है यह तो मुक्ति कारक है और इससे मुक्ति नहीं होती यह कर्तव्य है एवं यह जाकर तबियत है यह ऐसा नहीं है यह ऐसा है ऐसे अनेकों प्रकार के अनंत वादों को दिखलाकर माया मोह ने उन व्यक्तियों को स्वधर्म से विचलित कर दिया माया मोह ने व्यक्तियों से कहा कि आप लोग इस महा धर्म को अहित अर्थात आदर कीजिए इसलिए इस धर्म का आश्रय लेने के कारण हुए आहट कहलाए इस तरह माया मोहन ने असुरों को प्रिया धर्म से विमुख कर दिया और वह ग्रस्त हो गए और पीछे उन्होंने अन्य दैत्यों को भी इस धर्म में लगा दिया उन्होंने दूसरे व्यक्तियों को दूसरों ने तीसरा व्यक्तियों को दूसरों व्यक्तियों ने अन्य को इस धर्म में प्रवत किया इस तरह थोड़े ही दिन में देते गाने में वेद स्त्रियों का प्रयास त्याग कर दिया इसके पश्चात जितेंद्र मायामो ने रक्त वास्तु पहनकर अथवा अन्य असुरों के पास जाकर उसे मीठे अल्प और माधुरी शब्दों में कहा कि असुर गांड यदि तुम्हें स्वर्ग या मोक्ष की इच्छा हो तो पशु हिंसा आदि दुष्कर्मों को त्याग कर बोथ की प्राप्ति करो यह समस्त जगत विज्ञान में है ऐसा समझो मेरे वाक्य पर ठीक प्रकार से ध्यान दो इस विषय में विज्ञानों का ऐसा ही मत है कि यह जगत अंदर ब्रह्म जय पदार्थों के विश्वास पर ही स्थिर है तथा राज आदि देशों से दूषित है इस जगत संकट में जीव अत्यंत भटकता रहता है इस तरह समझो जानू यदि शब्दों से बुद्ध धर्म का निर्देश कर माया मोहन ने असुरों से उनके निज धर्म छुड़ा दिया

TRANSLATE IN ENGLISH

Maya seduction and dialogue of demons and the story of true Sagittarius

Shri Parashar ji has said that Maithili Maya Moha went with the gods and saw that the demons were doing penance on the banks of Narmada. Then they saw the ladies doing penance, Digambara wearing peacock pick and Mudit, how I am Maya, she went to them and said in a very sweet voice, Maya Moh has spoken demon gun, you are doing penance for some purpose, do you desire some worldly fruit or are you pursuing some other worldly fruit, tell me Mahatma, I have started penance with a worldly hockey wish, what do you want to say in this matter, Maya Moh said. If you people have a desire for liberation, then you do as I say, but you people respect this religion because this religion is the best in salvation, there is no other religion better than this, by following its rituals, you people will go to heaven. Or whatever liberation you wish for, you will achieve it. All the people are very powerful, hence respect this religion. Shri Parashar ji said, in this way, through the beautiful sentences of various types of tricks, I have diverted the demon from the Vedic path due to the illusion. Is it related to religion or against religion, is it true or false, it is a factor of liberation and does not lead to liberation, it is a duty and it is a condition of knowing, it is not like this, it is like this, illusion and delusion by showing many such infinite promises. Maya Mohan distracted those people from their original religion and Maya Mohan said to the people that they should respect this great religion, hence the harm caused due to taking shelter of this religion was called Aahat. In this way Maya Mohan diverted the demons from Priya Dharma. And he became obsessed and after that he also induced other demons into this religion, he induced other persons, third persons, third persons, still others into this religion, in this way, within a few days, the efforts of the women in singing the Vedas were abandoned. After this, Jitendra Mayamo, wearing Rakta Vaastu or going to other demons, said to him in sweet, short and melodious words that Asur Gand, if you desire heaven or salvation, then give up the misdeeds like violence against animals and attain the bliss of this entire world. Understand that it is in science. Pay attention to my sentence properly. The science has the same opinion in this matter that this world is stable only on the belief of Brahma Jai substances and is contaminated by the world like Raj etc. In this world, the living being keeps wandering a lot in crisis. Understand it this way, dear, if Maya Mohan freed the demons from their own religion by teaching Buddhism through words.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ