श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 18 का भाग 4



काशी नरेश ने विवाह योग्य होने पर उसका विवाह करना चाहा किंतु उसे सुंदरी कन्या के विवाह नहीं करने की बात सुनकर राजा चुप हो गए उसे कन्या ने अपनी दिव्य दृष्टि से अपने पति को स्वान कुत्ता बना देख लिय और विदिशा नामक नगर में जाकर उसे वहां कुत्ते की अवस्था में देखा अपने पति को स्वान कुत्ता रूप में देखकर उसे सुंदरी ने उसके अति उत्तम स्वादिष्ट भोजन कराया उसे सुंदरी से जीत स्वादिष्ट भोजन को पर करवा चौथ कुत्ता अपने जाति के अनुकूल उसे सुंदरी को सुनने चाटने लगा उसके इस व्यवहार से वह सुंदरी अत्यंत संकुचित होकर बोली है राजन क्या आपको यह स्मरण नहीं की गंगा स्नान के उपरांत पाखंडी से बात करने के कारण ही आपको यह घोषित योनि में मिली है सिर्फ पाराशर जी बोले उसे सुंदरी द्वारा स्मरण कराए जाने पर स्वयं कुत्ता रूप राजा ने बहुत देर तक अपने पूर्व जन्म का चिंतन किया तब उसे सब बातें याद आई तब स्वान कुत्ता रूप राजा ने आती उदास मन से नगर के बाहर आकर प्रणाम त्याग दिया और फिर श्रृंगार काल योनि में जन्म लिया तब काशी राजा कन्या के अपने दिव्य दृष्टि से उसे दूसरे जन्म में श्रृंगार योनि में उत्पन्न हुआ जान उसे देखने के लिए वह कोलाहल पर्वत पर पहुंची और वह सुंदरी उसको वहां प्रकार बोली है राजन सुभाष योनि में जन्म लेने पर मैंने जो पाखंड से वार्तालाप विषयक पूर्व जन्म की बात कही थी वह आपको स्मरण है उसे सुंदरी राज कन्या के इस प्रकार कहने पर राजा सात धुन ने निराहार रहकर वन में श्रृंगार योनि से भी प्राण त्याग दिया फिर वह एक भेड़िया बना उसे समय भी उसे सुंदरी राज कन्या ने उसके पास जाकर उसे अपने पति को उसके पूर्व जन्म की याद दिलाए वह सुंदरी बोली हे महामाई तुम भेड़िया नहीं हो बल्कि तुम राजा सब धनु हो तुम अपने पूर्व जन्म में स्वान कुत्ता और श्रृंगार होकर अपनी भेड़िया बने हो सुंदरी द्वारा यह सब स्मरण कराए जाने पर राजा ने भेड़िए की योनि से भी प्राण त्याग दिया और गृह योनि में जन्म लिया तब भी उसे सुंदरी राज कन्या ने उसे स्मरण कराया है राजन आप अपने स्वरूप को स्मरण करो अतः राजा ने फिर प्राण त्याग दिया और फिर राजा ने मयूर योनि में जन्म लिया मयूर अवस्था में उसका जन्म हुआ यह ज्ञात करके वह सुंदरी राज कन्या उसके पास पहुंच गई और उसकी सेवा करनी लगी उसे राजा उसे समय राजा जनक ने अश्वमेध नमक महायज्ञ का अनुष्ठान किया यह यज्ञ में अमृत स्नान के समय उसे मयूर को स्नान कराया तब उसे सुंदरी राज कन्या ने स्वयं भी स्नान का राजा को स्मरण कराया कि जिस प्रकार पाखंडी से बात करके अनेक यानी पार करके इस योनि में आया है अपने जन्म परंपरा का स्मरण होने पर राजा ने अपने प्राण मयूर के शरीर से भी त्याग डालें और फिर महात्मा जनक जी के घर पुत्र रूप में जन्म लिया तब उसे सुंदरी राज कन्या ने अपने पति काशी नरेश को विवाह के लिए प्रेरित किया तो राजा ने उसे स्वयंवर का आयोजन किया स्वयंवर होने पर उसे सुंदरी राज कन्या ने स्वयंवर में आए हुए आपने उस पति को फिर से पति भाव से वर्णन कर लिया उसे राजकुमार ने काशी नरेश की पुत्री के साथ अनेक प्रकार के भोग भोगे और फिर अपने पिता राजा जनक के स्वर्गवास होने पर विजय नगर का राजा बना तथा फिर वह बहुत से यज्ञ किया याजकों को बहुत साधन दिया बहुत से पुत्र उत्पन्न किया और शत्रुओं के साथ अनेक युद्ध किया इस प्रकार उसे राजा ने पृथ्वी का न्याय के अनुसार पालन करते हुए राजभोग किया और अंत में धर्म युद्ध में अपने प्राण त्याग दिया तब उसे सुंदरी राज कन्या ने पहले के समान फिर आपने चिंता रूम पति का विधि पूर्वक अनुगमन किया इससे वह राजा वह सुंदरी राज कन्या के सहित इंद्रलोक से भी उत्कृष्ट अच्छा लोग को प्राप्त हुआ हीधीश श्रेष्ठ इस तरह शुद्ध हो जाने पर उसने अपने समस्त पुर्णियों का फल प्राप्त कर लिया जो अकारण ही जाता धारण करते या सिर मुड़ाते हैं देवता अतिथि आदि को भोजन कराए बिना स्वयं कर लेते हैं समस्त प्रकार से सोच हैं तथा जलडन और पितृपिंड आदि भी नहीं देते उन लोगों से वार्तालाप करने से भी लोग नरक में जाते हैं

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The king of Kashi wanted to marry her when she was eligible for marriage, but after hearing that the beautiful girl would not marry, the king became silent. The girl, with her divine vision, saw her husband transformed into a swan dog and went to a city called Vidisha and made him a dog there. When she saw her husband in the form of a swan and a dog, the beautiful lady served him the most delicious food and got him to eat the delicious food. The fourth dog, as per his caste, started listening to the beautiful lady and started licking her. Due to this behavior of the beautiful lady, she became extremely distressed. After saying this, Rajan, don't you remember that after bathing in the Ganges, you got this declaration in the vagina because of talking to the hypocrite. Only Parashar ji said. On being reminded by the beautiful lady, the king himself in the form of a dog spent a long time in his previous birth. Then he remembered all the things, then the king in the form of a swan and a dog came out of the city with a sad heart and gave up his obeisance and then took birth in Shringar Kaal Yoni, then the Kashi king, through his divine vision of the girl, sent him back to Shringar Yoni in the next birth. Jaan was born. To see him, she reached the Kolahala mountain and the beautiful lady there spoke to him like this: Rajan Subhash, do you remember what I had hypocritically told about the conversation in the previous birth when he was born in the vagina, he said to the beautiful royal girl in this manner: On being told, King Saat Dhun remained fast and gave up his life even in the form of makeup in the forest. Then he became a wolf. The beautiful king's daughter went to him and reminded him of her husband of his previous birth. The beautiful woman said, O great mother, you are a wolf. You are not a king, but you are all Sagittarius, you have become a swan dog in your previous birth and you have become a wolf by dressing up. On being reminded of all this by the beautiful woman, the king gave up his life even in the form of a wolf and even after being born in the domestic form, he was given the name of a beautiful woman. The king's daughter reminded him, O king, remember your form, hence the king again gave up his life and then the king was born in a peacock's womb. After knowing that he was born in a peacock's state, the beautiful king's daughter reached him and served him. At that time, King Janak performed the ritual of Ashwamedha Salt Mahayagya, in this Yagya, during the nectar bath, he bathed the peacock, then the beautiful royal daughter herself reminded the king about the bath, that just as after talking to the hypocrite, many i.e. Having crossed and came into this vagina, remembering the tradition of his birth, the king sacrificed his life from the body of a peacock and then was born as a son in the house of Mahatma Janak ji. Then the beautiful royal daughter gave him in marriage to her husband King Kashi. When the king inspired him to organize a swayamvar, on the occasion of the swayamvar, the beautiful royal girl, who had come to the swayamvar, described him again as her husband. The prince enjoyed many types of pleasures with the daughter of the King of Kashi and Then after the death of his father King Janak, he became the king of Vijay Nagar and then he performed many yagyas, gave many resources to the priests, gave birth to many sons and fought many wars with the enemies, thus the king made him look after the earth as per justice. He enjoyed the kingdom and in the end sacrificed his life in the religious war, then the beautiful royal daughter, like before, followed her husband as per the rituals, due to this, the king, along with the beautiful royal daughter, got many good people even from Indralok. Heedheesh Shrestha, after being purified in this way, attained the fruits of all his Purnis, who go without any reason or turn their heads, the Gods do it themselves without feeding the guests etc., they think in all ways and there is no Jaldan or Pitrupinda etc. People go to hell even by talking to those people.

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