जिस मनुष्य के घर में देवगढ़ ऋषि गांड पितृगन और भूतगढ़ बिना पूजित हुए हताश होकर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं इस लोक में उससे बढ़कर अन्य कोई पापी नहीं है हैंडी ऐसे मनुष्य के एक साथ एक वर्ष तक बोलते उसकी कुशलता पूछने और उसके साथ उठने बैठने से मनुष्य उसी की तरह पापी बन जाता है जिसका शरीर अथवा ग्रह देवता आदि के निस्वार्थ से निहित है उसे साथ अपने गृह घर आसान और वस्त्र कपड़े आदि को ना मिले जो मनुष्य उसके घर में भोजन करता है उसका आसन ग्रहण करता है अथवा उसके साथ एक ही सैया का संयम करता है वह भी उसी के समान हो जाता है जो मनुष्य देवता पितृ भूतगढ़ तथा अतिथियों को भोजन कराए बिना स्वयं भोजन करता है वह पाप में भोजन करता है तथा उसकी मुक्ति नहीं हो सकती जो ब्रह्मा आदि जाति के लोग स्वस्थ धर्म को त्याग कर अन्य धर्म में लग जात जो ब्रह्मा आदि जाति के लोग स्वस्थ धर्म को त्याग कर अन्य धर्म में लग जाते हैं यह हिंद वृत्त का अवलंबन करते हैं वह नॉन कहलाते हैं है मैथिली जिस स्थान पर चारों वर्णों का ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र का मिलन हो उसमें वास करने से मनुष्य की साधु प्रवृत्ति नष्ट हो जाती है जो मनुष्य देवता पितरों भूत तथा ऋषियों अतिथिगण को भोजन कराए बिना स्वयं भोजन कर लेता है उससे बात करने से भी लोग नरक को में जाते हैं अतः वेट्रीय के त्याग से दूषित इन दंगों के साथ प्रज्ञा पुरुष सदैव स्वभाव भाषण और स्पर्श आदि का भी त्याग कर दे यदि इसकी दृष्टि भी बढ़ जाए तो श्रद्धावन पुरुषों का यत्नपूर्वक किया हुआ श्रद्धा देवता अथवा पितृ पिता महानगढ़ की तृप्ति नहीं करता कहा जाता है कि पूर्व काल में भूतल पर सतयुग नामक एक विख्यात राजा था उसकी धर्म पत्नी जिसका नाम वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी वह अत्यंत पतिव्रता सत्य सोच और अनंत दयाल थी रानी वेश के साथ राजा सब गाना ने सर्वव्यापक देव अतिथि देव भी जानदार की आराधना की वह नित्य तन्मय होकर अनियन भाव से हम जब दान उपासना और पूजन आदि द्वारा प्रभु की भक्ति करने लगे एक दिन कार्तिक पूर्णिमा को उपवास कर दोनों पति-पत्नी ने गंगा जी में एक साथ स्नान किया जब वे दोनों गंगा जी से स्नान करके बाहर निकले तो उन्हें सामने से एक पाखंडी को आते हुए देखा वह ब्राह्मण उसे महात्मा राजा धनु वेद आचार्य का मित्र था अतः आचार्य होने की वजह से राजा ने उसे मित्र जैसा व्यवहार किया लेकिन राजा की पवित्रता पत्नी ने उसका जरा सा भी अनदर नहीं किया वह चुप मान रही और यह सोचकर की मां तो उपवास में हूं इसे देखकर सूर्य का दर्शन किया है डीज फिर उन दोनों पति-पत्नी ने रेट के अनुसार प्रभु श्री हरि विष्णु जी की विधि पूर्वक पूजन की कुछ कल पश्चात राजा की मृत्यु हो गई तब रानी वेशन ने भी चिंता रूड महाराज का अनुगमन किया अर्थात रानी व्यास्ञ भी मर गई क्योंकि राजा सतगुरु ने वास अवस्था में पाखंडी से वार्ता की इस पाप के कारण उन्हें कुत्ते का जन्म मिला और रानी मन रही कुछ नहीं बोली तथा वह शुभ लक्षण खांसी के राजा के यहां सुंदर कन्या रूप में उत्पन्न हुए वह अपने पूर्व जन्म का पूर्ण ज्ञान जानती थी
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There is no greater sinner in this world than the person in whose house Devgarh Rishi Gand, Pitrgan and Bhootgarh go to another place in despair without being worshipped. Handy would talk to such a person for a year, inquire about his well-being and sit with him. Due to this, man becomes a sinner like the one whose body or planet is dependent on the selfless will of God etc. He does not get the company of his home, comforts and clothes etc., the person who eats food in his house, takes his seat or shares a seat with him. The one who controls the Saiya also becomes like the person who eats food himself without feeding the gods, ancestors, ghosts and guests, he eats food in sin and cannot be liberated. People of Brahma etc. caste follow healthy religion. The people of Brahma etc. caste who leave healthy religion and join other religion, they follow the Hindu circle, they are called Non, Maithili is the place where the four varnas Brahmin, Kshatriya, Vaishya and Shudra meet. Yes, by living in it, man's ascetic nature is destroyed. The man who eats food himself without feeding the gods, ancestors, ghosts and sages and guests, people go to hell even by talking to them, hence these riots tainted by the sacrifice of Vetriya. Along with this, a wise man should always give up his natural speech and touch etc. If his vision also increases, then the diligent devotion done by the devoted men does not satisfy the deity or the ancestors. It is said that in the ancient times, there was a famous place called Satyayuga on the earth's surface. The king had a religious wife whose name was her. She was of very religious nature. She was extremely devoted, true-thinking and endlessly kind. The king sang everything with the queen's attire. She worshiped the omnipresent God, the guest god and the living being. She was always absorbed in devotion and with great devotion. When we donated One day, after fasting on Kartik Purnima, both the husband and wife took bath together in Ganga Ji. When both of them came out after bathing in Ganga Ji, they saw a hypocrite coming from the front. The Brahmin was a friend of Mahatma Raja Dhanu Ved Acharya, hence being an Acharya, the king treated him like a friend but the king's chastity wife did not respect him at all, she kept quiet and accepted it thinking that mother was fasting. After seeing the sun, both of them husband and wife worshiped Lord Shri Hari Vishnu ji in the prescribed manner. After a few days, the king died, then Queen Veshan also followed Chinta Rud Maharaj i.e. Queen Vyasna too. She died because King Satguru talked to a hypocrite in his abode. Due to this sin, he was born as a dog and the queen remained silent and did not say anything and she was born in the form of a beautiful girl in the house of a king of auspicious signs of cough. She got the full life of her previous birth. Gyan knew
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