श्रद्धा कर्म में विहित और अभिहित वस्तुओं का विचार
और बोले भाभी मत्स्य मछली सब खरगोश नकुल शुक्र सीजी कस्तूरी का अमीर कृष्णा मेरी वांगम गए और मेष के मानसून से तथा काव्य गाय के दूध भी आदि से प्रीत गण क्रमशः एक मार्च महीना अधिक तृप्ति लाभ करते हैं और वाणी सन वृक्ष पक्षी के मांस से सदैव तृप्ति रहते हैं है राजन श्रद्धा कर्म में देंगे का मांस कल साथ और मधु अत्यंत प्रसेनजीत और अत्यंत ट्रिप दायक है ही पृथ्वी पति जो पुरुष गया में जाकर श्रद्धा करता है उसका प्रीतगढ़ को तृप्त देने वाले जन्म सफल हो जाता है है पुरुष श्रेष्ठ देव धन्य निवार और श्याम तथा श्वेत वनों के साथ में सभा एवं प्रधान प्रधान प्रमुख प्रमुख था कि उपयुक्त द्रव्य है जो कंगनी मुख गेहूं धन तेल मटर कांचनार और रसों इन सब का श्रद्धा में होना अच्छा है हे राजन जी उनसे अनुमान यज्ञ न किय गया हो तथा बड़े उदक छोटे उदक मसूर कद्दू गाजर प्याज शलजम गंधार बिना टस गिरे हुए ढाई का आता ऊसर भूमि में उत्पन्न हुआ लवण रिंग आदि कुछ-कुछ लाल रंग की वस्तुएं प्रत्येक लवण और कुछ अन्य वस्तुएं जिनका शास्त्र में विधान नहीं है श्रद्धा कर्म में तृप्ति है राजन रात्रि के समय लाया गया हो आप प्रतिष्ठित जलाशय का हो जिसमें गायत्री ना हो सकती हो ऐसे गड्ढे का अथवा दुर्गंध या फन युक्त जाग जल श्रद्धा की योग्य नहीं होते हैं एक फूल वालों का उठने का भेद का मुर्गी का तथा भैंस का दूध श्रद्धा कर्म में नहीं लेना चाहिए है पुरुष ब्रह्म नपुंसक आविदित सत्पुरुष का बहीकृत चांडाल पापी पाखंड रोगी कुमुद स्नान नॉन विधि करम को त्याग देने का पुरुष वानर ग्राम शुक्र राजेश्वर स्त्री के औपचारिक से युक्त व्यक्ति और उनके साथ ले जाने वाले पुरुष इनमें से किसी भी दृष्टि बढ़ जाने से देवता अथवा पीतल कोई भी श्रद्धा में अपना भाग नहीं लेते अतः किसी गिरे हुए स्थान में श्रद्धा पूर्वक श्रद्धा कम करें तथा पृथ्वी में तिल चीड़ का राक्षसों को निर्मित कर दें हे राजन श्रद्धा में इस प्रकार का आना दे जिसमें नाक नाखून के बाल या कीड़े आदि हो या जो निचोड़कर निकले हुए रस से युक्त हो या बसी हो श्रद्धा युक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र के उच्चारण पूर्वक दिया हुआ आंतरिक गण को हुए जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसे ही होकर उन्हें मिलता है है राजन इस संबंध में एक कथा प्रचलित है जो पूर्व काल में मनु पुत्र महाराज इस राहु के प्रति प्रीत गण ने कप उपवन में कही थी क्या हमारे स्कूल में ऐसे संपर्क सेल व्यक्ति होंगे जो गया में जाकर आदरपूर्वक हमारे लिए पिंडदान करेंगे क्या हमारे कुल में ऐसा पुरुष होगा जो वर्ष कल की मांग नक्षत्र युक्त त्रयोदशी को हमारे उद्देश्य से मधुर शहर और गीत युक्त परस खीर का दान करेगा अथवा गौरी कन्या से विवाह करेगा नील वृक्ष छोड़ेगा या दक्षिणा सहित विधि पूर्वक अश्वमेध यज्ञ कराएगा
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Consideration of prescribed and consecrated objects in devotion
And said sister-in-law fish fish all rabbits Nakul Venus CG Musk's rich Krishna went to my vangam and from the monsoon of Aries and from the milk of poetic cow etc. the beloved ones respectively get more satisfaction in the month of March and always from the flesh of speech, flax, tree and bird. The king remains satisfied, the meat of the devotee will be with him in the devotional work tomorrow and the honey is extremely happy and extremely trip giver, only the husband of the earth, the man who goes to Gaya and pays devotion, his birth becomes successful and gives satisfaction to Preetgarh, the man is the best God, blessed Niwar. And along with the black and white forests, the head of the assembly and the chief head were saying that there is a suitable substance which is Kangni, mouth, wheat, money, oil, peas, Kanchnaar and juices, it is good to have faith in all these, O King, if the Yagya has not been performed in anticipation of them, and with great enthusiasm. Small kidney beans, lentils, pumpkins, carrots, onions, turnips, gandha, two-and-a-half-year-old grains without falling, salt ring etc., some red colored items, each salt and some other items which are not prescribed in the scriptures, there is satisfaction in the devotional service of the king of the night. The time has come, you should be of a prestigious water body in which Gayatri cannot be present, such a pit or water with foul smell or froth is not worthy of reverence, the difference between the rising of a flower, the milk of hen and buffalo should not be taken in devotional rituals. Man Brahma, Impotent, Avidit, Good man, Banished, Chandal, Sinner, Hypocrite, Patient, Kumud, Bath, Non-Viddhi, Man of renouncing Karma, Monkey Village, Venus, Rajeshwar, Woman's formality person and the men accompanying him are required. Due to increase in vision in any of these, God or Brass does not take any part in any devotion, hence reduce reverence in any fallen place and create demons of sesame and pine in the earth. Oh King, give such a person in devotion that has nose, nails, hair or insects etc. Which is filled with juice that has been squeezed out or is settled. It is given to the inner group by the people with faith by pronouncing the name and clan. They get it as they are fit for food, Rajan. There is a popular story in this regard which is prevalent in the past. Manu Putra Maharaj had said this in Kaap Upvan in his love for Rahu in the past. Will there be such contact cell persons in our school who will go to Gaya and respectfully perform Pind Daan for us? Will there be such a person in our clan who will pray for tomorrow's Nakshatra Trayodashi? For our purpose, he will donate Paras Kheer full of sweet city and songs, or marry a Gauri girl, leave a Neel tree, or perform Ashwamedha Yagya as per the rituals along with Dakshina.
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