श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 15 का भाग दो



है पुरुष श्रेष्ठ उन ब्राह्मणों की अनुमति से साख और लेवनहीन आज से तीन बार अग्नि में आहुति दें फिर आग्नेय काव्य हुआ है इस वाहन मंत्र से प्रथम माती सोमवार वितरण मध्य स्वाहा मंत्र से दूसरी और बेसिक स्नान इस मंत्र से तीसरी आहुति देकर फिर होती हो उसे शेष बचे हुए अंको थोड़ा-थोड़ा समस्त ब्राह्मणों के पत्रों मे परोस दे फिर स्वाद अनुसार संस्कार युक्त स्वादिष्ट हम सबको भरोसे और बहुत ही मधुर भाव से कहें कि आप भोजन ग्रहण करें ब्राह्मणों को भी मौन रहकर प्रसन्नता पूर्वक भोजन करना चाहिए तथा यक्ष को भी क्रोधित का त्याग करके धैर्य पूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए फिर रक्षा मंत्र का पाठ कर श्रद्धा भूमि पर तिल छिड़क कर अपने पितृ रूप से उन देश श्रेष्ठों का ही चिंतन करें और कहीं की इन ब्राह्मणों के शरीर में स्थित मेरे पिता पिता मां और प्रतिपिता मां आदि आज रात तृप्ति लाभ करें हम द्वारा सफल होकर मेरे पिता-पिता मां और प्रति प्राप्त पितामह आदि आज तृप्ति लाभ करें मैंने जो पृथ्वी पर पिंडदान किया है उसे मेरे पिता पिता मां और प्रतिमा तृप्ति लाभ करें श्रद्धा रूप से कुछ भी निवेदन ना कर सकते के कारण मैंने जो भी भक्ति पूर्वक आगरा किया है मेरे उसे भक्ति भाव से ही मेरे पिता पितामह प्रतिपिता मैट्रिप्ट लाभ करें मेरे माता मां नाना उनके पिता और उनके भी पिता तथा विश्व देवगन परमत्रिप्ट लाभ प्राप्त करें तथा सारे राक्षस नष्ट हो यह सारे अब आपके भोक्ता योगेश्वर प्रभु श्री हरि विष्णु जी विराजमान है अतः उसकी सन्निधि के कारण सारे राक्षस और अनुसूर्ण तुरंत ही यहां से भाग जाएंगे इसके पश्चात ब्राह्मण की तृप्त हो जाने पर अल्प मात्रा में मां लेकर पृथ्वी डाल जमुना के लिए उन पर एक-एक बार और जल डालें फिर तृप्त हुए उन ब्राह्मणों की अनुमति लेकर समाहिक्चित से पृथ्वी पर धन और तिल के पिंडदान करें और प्रीत तीर्थ से तिल युक्त तिल अंजलि दे तथा माता में आदि को भी उसे प्रीत तीर्थ से ही पिंडदान करें ब्राह्मणों की उचित के समीप दक्षिण दिशा की ओर अग्र भाग करके बिछाए हुए कुशलों पर पहले अपने पिता के लिए पुष्प धूप आदि से पूजित पिंडदान करेंगे इसके पश्चात एक पिंड पितामह के लिए और एक प्रतिमा के लिए थे और फिर गुस्साओं के मूल में हाथ में लगे हुए आम को पहुंचकर ले भाग सूचित का उच्चारण करते हुए लेख भौजी प्रीत ज्ञान को तृप्त करें इसी तरह गढ़ और माल आदि नियुक्त पिंडों से माता मां आदि का पूजा कर फिर थिस श्रेष्ठों को आज चमन कारण और नरेश्वर इसके पीछे भक्ति भाव से तन्मय होकर पहले प्रीत पक्षी अब ब्राह्मण का सुविधा या आशीर्वाद ग्रहण करता हुआ यथाशक्ति दक्षिणा दे फिर वैश्य देवी ब्राह्मणों के पास जाकर उन्हें दक्षिणा देकर कहीं इस दक्षिण से विश्व देवगढ़ प्रसन्न हो उन ब्राह्मणों के तडासु कहाँ पर उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और फिर पहले प्रीत पक्ष के और पीछे देव पक्ष के ब्राह्मणों को सम्मान पूर्वक विदा करें 20वां देवगढ़ के सहित माता में आदि के श्रद्धा में भी ब्राह्मण भोजन दान और विसर्जन आदि की विधि बताएं गए हैं प्रीत और पितामह दोनों ही पक्षों के श्रद्धा में बात सोचती सभी कार्य पहले देव पक्ष के ब्राह्मणों से करें किंतु पहले विद्या प्रीत पक्षी अथवा माता मां पक्षी ब्राह्मणों को भी करें ज्ञानी पुरुष इस तरह पत्र और पिता माता में श्रद्धा का अनुष्ठान करें श्रद्धा से तृप्त होकर प्रीत ज्ञान संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करते हैं दोहिता लड़की का लड़का को तप दिन का आठवां मुहूर्त और तीन यह तीन तथा चांदी का ध्यान और उसकी बातचीत करना यह समस्त श्रद्धा कल में अनंत पवित्र माने जाते हैं राजन श्रद्धा करता श्रद्धा करने वाले के लिए क्रोध गुस्सा मार्ग गण उतावलापन के तीनों बातें वर्जित है तथा श्रद्धा में भोजन करने वाले को भी तीन बातों को नहीं करना चाहिए है राजन श्रद्धा करता पुरुष से विशेष देवगढ़ पितृगन माता में तथा कुटुंबी जैन सभी संतुष्ट रहते हैं फिर राजन पितृगन का आधार चंद्रमा है और चंद्रमा का आधार योग है इसलिए श्रद्धा में योगिजन को नियुक्त करना अति उत्तम है है राजन यदि श्रद्धा भोजन एक सहस्त्र 1000 ब्राह्मण के सम्मुख एक योगी भी हो वह यज्ञ मां के सहित उनका सबका उद्धार कर देता है

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He is the best of men, with the permission of those brahmins, without any credit and without any food, from today onwards, he should be offered thrice in the fire. Then Agne Kavya has been done. First Mati Monday distribution with this vehicle mantra, second with the middle Swaha mantra and basic bath, third offering with this mantra, then he is blessed with it. Serve the remaining numbers little by little in the plates of all the brahmins, then according to the taste, serve the delicious food with sanskar to all of us and in a very sweet gesture, ask them to take the food. The brahmins should also eat happily in silence and the Yaksha should also get angry. Brahmins should eat their food patiently after renouncing it, then after reciting the Raksha Mantra, sprinkle sesame seeds on the ground of reverence and think about the great ones from their ancestral form, and somewhere in the bodies of these Brahmins, my father, father, mother and great grandfather, mother etc. May you get satisfaction tonight by our success. May my father, mother, father and ancestors etc. get satisfaction today. May my father, father, mother and idol get satisfaction from the Pind Daan that I have done on earth. You cannot request anything with devotion. Because whatever I have done with devotion in Agra, it should be done with devotion only, may my father, grandfather, great father, matripa, my mother, mother, maternal grandfather, their father and their father and the world gods get paramatript benefit and may all the demons be destroyed, all of them are now your enjoyer Yogeshwar. Lord Shri Hari Vishnu ji is present, hence due to his presence, all the demons and Anusurna will immediately run away from here. After this, when the Brahmin is satisfied, take a small amount of mother and put earth and pour water on them one more time for Jamuna. After taking the permission of those Brahmins who are satisfied, do Pinda Daan of money and sesame seeds on the earth from Samahikchit and give Anjali containing sesame seeds from Preet Teerth and also offer Pinda Daan to Mata Adi from Preet Teerth itself, near the right side of the Brahmins towards the south. First, on the kushals spread, he will offer Pinda Daan for his father, worshiped with flowers, incense etc. After this, one Pinda was for the grandfather and one for the statue and then after reaching the mango in the hand at the source of anger, while reciting 'Le Bhag Inthik' Article Bhoji, satisfy the knowledge of love. Similarly, by worshiping Mother Mother etc. from the appointed bodies like Garh and Maal etc., then today Chaman Karan and Nareshwar, after this, being engrossed in the feeling of devotion, the first love bird is now taking the facility or blessings of the Brahmin. Give Dakshina as per your capacity, then Vaishya Devi should go to the Brahmins and give them Dakshina, may Vishwa Devgarh be pleased from this south, pray for the blessings of those Brahmins, and then bid farewell respectfully to the Brahmins of the Preet Paksha and then to the Brahmins of the Dev Paksha. 20th Devgarh, including in the devotion of Mata Adi, the method of Brahmin food donation and immersion etc. has been explained. In the reverence of both the beloved and the grandfather, all the work should be done with the Brahmins of the Dev Paksha, but first with the Brahmins of the Dev Paksha, but first with the knowledge, love, bird or mother. Birds should also be worshiped by brahmins. Wise men should perform the rituals of devotion towards father and mother in this way. Satisfied with devotion, love and knowledge fulfill all the desires. Do penance for the son of a girl. Eighth auspicious time of the day and these three and meditation on silver and its Talking, all these devotions are considered eternally sacred in tomorrow. For the one who has faith, the king has faith. All three things like anger, anger, anger, haste, etc. are prohibited and the one who eats food in faith should also not do these three things. The king has faith in a man who has faith. Special Devgarh Patrigan Mata and family Jains all remain satisfied, then Rajan, the basis of Patrigan is Moon and the basis of Moon is Yoga, hence it is very good to appoint a Yogi in Shraddha, Rajan, if there is Shraddha food, then there is one Yogi in front of one thousand 1000 Brahmins. He saves them all including Yagya Maa.

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