श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 15

श्रद्धा विधि



औवे  बोले हे राजन श्रद्धा कॉल में जैसे गुणशील ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए वह बताता हूं सुनो 3 चित्र वेदों को जानने वाले वेद वेदांत क्षेत्रीय और जस्ट समाप्त तथा स्मृति भागने द्रोहित जा माता ससुर मामा तपस्वी पंच अग्नि तपन वाले शिष्य संबंध और माता-पिता के प्रेमी में ब्राह्मणों को श्रद्धा कर्म में नियुक्त करें इसमें से पहले कहे हुए को पूर्व काल में नियुक्त करें और पीछे बताए हुए को पितृ की तृप्ति के लिए उत्तम कर्म में भोजन चरण मित्र घाटी इना भाव से ही विकृतों वाले नपुंसक कल दातों वाला कन्या गामी अग्नि और वेद का सोमराज बेचने वाला तिलोक नीतीश चोर चुगलखोर ग्राम रोहित वेतन लेकर पढ़ने वाल हथवा पढ़ने वाला पुणे विविधता का पति माता-पिता का त्याग करने वाला शुद्ध की संतान का पालन करने वाला शुद्ध का पति तथा देवों पाजी हुई ब्राह्मण श्रद्धा में निमंत्रण देने योग्य नहीं है श्रद्धा के पहले दिन बुद्धिमान पुरुष क्षेत्रीय आदि विविध ब्राह्मणों को निमंत्रण करें और उनसे यह क्या दिन की आपको प्रीत श्रद्धा में और आपको विश्व देवसर धाम में नियुक्त होता है कौन निमंत्रित ब्राह्मणों के सहित श्रद्धा करने वाला पुरुष उसे दिन क्रोध आदि तथा स्त्री गमन और परिश्रम आदि न करें क्योंकि श्रद्धा करने में यह महान दोष माना जाता है श्रद्धा में नियमित होकर या भोजन करके अथवा निमंत्रण करके या भोजन कर कर जो पुरुष स्त्री प्रसंग करता है वह अपने पितृ गानों को मानव वीर्य के कुंड में डुबो होता है अतः श्रद्धा के प्रथम दिन पहले तो प्रयुक्त गुण विशिष्ट देश श्रेष्ठों को निमंत्रित करें और यदि उसे दिन कोई निमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर आ जाए तो उन्हें भी भोजन अवश्य कारण घर पर आए हुए ब्राह्मण को सर्वप्रथम पाठ शुद्ध पैर धोकर आदि से सटकर करें फिर हाथ धोकर उन्हें अमानत करने के पश्चात स्वच्छ साफ आसन पर बैठाएं अपनी समर्थ के अनुसार पितरों के लिए आयोग में और देवताओं के लिए युग में ब्राह्मण नियुक्त करें और इसी प्रकार वैश्य देव के सहित माता महा श्रद्ध करें या पितृपक्ष और माता मां पक्ष दोनों के लिए भक्ति पूर्वक एक ही वैश्य देव श्रद्धा करें देव पक्ष के ब्राह्मणों को पूर्व बैठकर भोजन कारण है राजन कोई भी प्रीत पक्ष और मंत्र मां पक्ष के श्रृद्धाओं को अलग-अलग करने के लिए कहते हैं और कोई मुनि दोनों का एक ही साथ का बाग में ही अनुष्ठान करने के पक्ष में है की व्यक्ति प्रथम निमंत्रित ब्राह्मणों के बैठने के लिए कुश बेचकर फिर अर्धन आदि से विधिपूर्वक पूजा कर उसकी अनुमति के अनुसार देवताओं का भगवान करें तद्नांतरण श्रद्धा विधि का जाने वाले पुरुष या मित्र जीत जल से देवगणों को अर्धना कर उन्हें विधि पूर्वक धूप दीप गढ़ तथा माला आदि से निवेदन करें यह सारे उपचार पितरों के लिए आप सभी भाव से निवेदन करें उसके बाद फिर ब्राह्मणों की आज्ञा से दो भागों में बंटे हुए कुसाओं का दान करके मेट्रो चरण पूर्वक पितरों का वर्णन करें तथा है राजन अप्सव भाव से त्रिलोक से अर्थ आदि दे है राजन यदि उसे समय कोई भूखा जालना पार्टी भी अतिथि रूप में आए तो निमंत्रित ब्राह्मणों की अनुमति लेकर उसे भी यच या अच्छे पर पेट भोजन करना चाहिए कई अज्ञात स्वरूप मुनीजा मनुष्यों के कल्याण की कामना से अनेक रूप धारण कर पृथ्वी तल पर विचारते रहते हैं अतः विषय को श्रद्धा कल में आए हो या अतिथियों का सत्कार अवश्य ही करना चाहिए है राजन यदि उसे समय आए हुए आई थ अतिथि का सत्कार ना किया जाए तो वह श्रद्धा क्रिया के समस्त फल को नष्ट कर देता है

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Shraddha Vidhi

He said, O king, in Shraddha call, I will tell you how a virtuous Brahmin should eat. Listen, 3 pictures: Vedas, Vedanta, regional and just finished, and memories run away, mother, father-in-law, maternal uncle, ascetic, five fire-tempered disciples, relations and parents. Appoint Brahmins in devotional deeds for the lover. Out of these, appoint the first mentioned in past tense and the latter mentioned in best deeds for the satisfaction of ancestors, food, feet, friend, valley, perverts due to these sentiments, impotent, yesterday, toothless girl, Gami Agni. And the one who sells Somraj of Vedas, Tilok, Nitish, the thief, the gossiper, the village Rohit, the one who studies on salary, the one who studies Hathwa, the one who studies Pune, the husband of diversity, the one who abandons his parents, the one who takes care of the children of the pure, the husband of the pure and the Brahmin worthy of being invited into the faith of Gods. No, on the first day of Shraddha, wise men should invite various Brahmins of the region etc. and what is the difference between them that on this day they love you in Shraddha and you are appointed in Vishwa Devsar Dham. Who among the invited Brahmins and the man who does Shraddha, on that day, anger etc. and women's departure? And do not do any hard work etc. because this is considered to be a major fault in doing Shraddha. The man who has sex with a woman by being regular in Shraddha or after eating food or by inviting or having food, dips his ancestral songs in the pool of human semen, hence Shraddha. On the first day, first of all, invite the eminent personalities of the country and if any invited ascetic Brahmin comes to the house on that day, then they should also be given food, because first of all, the Brahmin who has come to the house should be recited after washing his pure feet etc. and then after washing his hands, he should be given food to him. After doing this, make them sit on a clean seat, as per their capacity, appoint a Brahmin in the commission for the ancestors and in the Yug for the gods, and similarly perform Mata Maha Shraddha along with Vaishya Dev or do the same with devotion for both the ancestral side and the maternal side. The Vaishya Dev should worship the Brahmins of the Dev Paksha and have their meal before sitting. Rajan, no one says to separate the Shraddhas of the Preet Paksha and the Mantra Maa Paksha, and some Muni is in favor of performing the rituals of both together in the garden itself. In this, the person first sells Kush for the seating of the invited Brahmins and then worships them ritually with Ardhaan etc. as per his permission, the Lord of the Gods, and then the man or friend going for the Shraddha ritual, offers Ardha to the deities with Jeet water and offers them ritually incense lamp Garh. And pray for the rosary etc., for all these remedies, pray for the ancestors with all your heart. After that, with the permission of the Brahmins, donate Kusas divided into two parts and describe the ancestors step by step and Hai Rajan means Trilok with Apsav Bhaav. Adi Raja has given him time, if any hungry Jalna party comes as a guest, then he should also take the permission of the invited Brahmins and eat his food at will or good. Many unknown forms of sages contemplate on the earth by assuming many forms with the desire for the welfare of human beings. Therefore, the object of reverence should come yesterday or the guests must be welcomed. Rajan, if the guest who has come on time is not welcomed then it destroys the entire fruit of the devotion.

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