श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 14

श्रद्धा प्रशंसा श्रद्धा में पात्रता पत्र का विचार



औवे बोले हे राजन श्रद्धा सहित श्रद्धा कम करने से मनुष्य ब्राह्मण इंद्र रूद्र अश्वनी कुमार सूर्य अग्नि वासु गांड मारुदगढ़ विश्व देव प्रीत गण पक्षी मनुष्य पशु सिर्फ ऋषिगण तथा भूत गाना आदि समस्त जगत को प्रसन्न कर देता है हिना स्वर प्रत्येक मास महीना के कृष्ण पक्ष की पंचदर्शी अमावस्या और रास्ता हेमंत आरसीसी ऋतु के चार महीना की शुक्ल अष्टमी पर श्रद्धा करें यह नित्य श्रद्धा का हाल है आपका यह श्रद्धा का कल बताता हूं सुनो तत्पश्चात जिन समय श्रद्धा योग्य पदार्थ का भी विशिष्ट ब्राह्मण को घर से आया आया जाने अथवा जब उत्तरायण या दक्षिण हैं का आरंभ या व्यक्तित्व हो तब कायम श्रद्धा अनुष्ठान करें विस्तृत संगति पर सूर्य और चंद्र ग्रहण पर सूर्य के प्रत्येक राशि में प्रवेश करते समय नक्षत्र अथवा ग्रह की पीड़ा होने पर दुख स्थापना देखने पर और घर में नवीन अन्य आने पर भी कायम श्रद्धा करें जो अवस्था अनुराग विशाखा एवं स्तुति नक्षत्र युक्त हो उसमें श्रद्धा करने से प्रीतगढ़ 8 वर्ष तक तृप्ति रहते हैं तथा जो अमावस्या पूर्ण आदरा एवं पुनर्वास नक्षत्र युक्त हो उसमें पूजित नहीं होने से प्रीत गण 12 वर्ष तक तृप्ति रहते हैं जो पुरुष पितृगन और देवगन को तृप्त करना चाहते हो उसके लिए गैंगस्टर का पूर्वक भाद्र पक्ष अथवा शब्द रिसीव नक्षत्र युग अमावस्या अति दुर्लभ है पृथ्वी पति जब अमावस्या इन नो छात्रों से युक्त होती है उसे समय को अंत त्रिपदायक होती है इसके अतिरिक्त प्रीत भक्त लीला पुत्र महात्मा पूर्व के अति बिनती भाव से पूछने पर श्री संतान कुमार जी ने जिसका वर्णन किया था वह अन्य तिथियां भी सुनो श्री संतान कुमार जी ने कहा वैशाख मां महीना की शुक्ल तृतीया कार्तिक शुक्ल नवमी भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तथा मांग मास की अमावस्या इन चार तिथियां को पुराणों में योगदान कहा है कि चारों तिथि मठ पूर्णताई है चंद्र या सूर्य के ग्रहण के समय तीन फर्स्ट गांव में अथवा उत्तरायण या दक्षिणायन के आरंभ में जो पुरुष एकाग्रचित से प्रीतगढ़ को तीन सहित जल विधान करता है वह मानव एक सहस्त्र हजार वर्ष के लिए श्रद्धा कर देता है यह परम रहस्य एवं प्रीतगढ़ ही कहते हैं यदि कदाचित महान की अमावस्या का शब्द वीजा नक्षत्र से योग हो जाए तो प्रीतगढ़ की तृप्ति के लिए परम उत्कृष्ट कल होता है है राजन अल्प पूर्ण महान पुरुष का ऐसा समय नहीं मिला था और यदि उसे समय मांग मास की अमावस्या में धनिष्ठा नक्षत्र का योग हो तब तो अपने ही कुल में उत्पन्न हुए पुरुषों द्वारा दिए गए आंदोलन से प्रीतगढ़ की दास सहस्त्र 10000 वर्ष तक तृप्ति रहती है तथा यदि उसके साथ पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का योग हो और उसे समय प्रीतगढ़ के लिए श्रद्धा किया जाए तो उन्हें परम तृप्ति प्राप्त होती है और वह एक सहस्त्र 1000 युग तक संयम करते रहते हैं गंगा रितु यमुना बिपाशा सरस्वती और नवी पाषाण स्थित गोमती में स्नान करके प्रीत गन का आदर पूर्वक अर्चन करने से मनुष्य संपूर्ण पापों को नष्ट कर देता है प्रीत ज्ञान सदैव या ज्ञान करते हैं कि वर्ष कल भाद्र पक्ष त्रयोदशी के मन नक्षत्र में तृप्त होकर फिर मांग की अमावस्या को अपने पुत्र पुत्र द्वारा दी गई पुण्यतिथियों को जला झील से हम अब तृप्ति लाभ करेंगे प्रसंग कल उपयुक्त विधि योग पत्र योग और परम भक्त यह समस्त मनुष्य को इच्छित फल प्रदान करते हैं हे पार्थ आप तुम प्रीत गण के गाए हुए कुछ श्लोक को सुनो उन्होंने सुनकर तुम्हें आदर पूर्वक वैसा ही आचरण करना चाहिए प्रीत गण कहते हैं हमारे स्कूल में ऐसा मैट्रिमोनी धन्य मनुष्य उत्पन्न होगा जो विलोपित को छोड़कर हमें पिंडदान देगा जो सम समाप्ति होने पर भी हमारे उद्देश्य से ब्राह्मणों को रन वस्त्र ज्ञान एवं समस्त भोग सामग्री देगा अथवा आंवास पत्र वैभव होने से जो श्रद्धा कल में भक्ति विनायक चित्त से उत्तम ब्राह्मणों को यथाशक्ति ऑन ही भोजन कारण या अनुदान में भी असमर्थ होने पर जो ब्राह्मण श्रेष्ठों को कच्चा दया और थोड़ी सी दक्षिण देगा और यदि इसमें भी असमर्थ होगा की किन्हीं देश श्रेष्ठ को प्रणाम कर एक मुट्ठी तिल ही देगा अथवा हमारे उद्देश्य से पृथ्वी पर भक्ति विनायक चित से सात आठ तिलों से युक्त जल झील ही देगा और यदि इसका भी अभाव होगा तो कहीं ना कहीं से एक दिन का चार लाकर प्रतीत और श्रद्धा पूर्वक हमारे उद्देश्यों से गायों को खिलाएगा इन समस्त जो वन में जाकर अपने कक्ष मूल को दिखाता हुआ सूर्य आदि अधिक बालों से ऊंचे स्वर में यह रहेगा मेरे पास श्रद्धा कर्म के योग ना व्यतीत है ना धन है और ना ही कोई अन्य सामग्री है अतः मैं अपने प्रीत गण को प्रणाम करता हूं वह मेरी भक्ति से ही तृप्ति लाभ करेगा मैं अपने दोनों भुजाएं आकाश में उठा रखी है और बोले हे राजन धान के होने या ना होने पर प्रीत करने जिस तरह बताया है वैसा ही जो पुरुष आचरण करता है वह उसे आचरण से ही विधि पूर्वक श्रद्धा कर देता है

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Consideration of Eligibility Letter in Shraddha Appreciation Shraddha

He said, O king, by reducing faith along with devotion, human beings, Brahmins, Indra, Rudra, Ashwani Kumar, Surya, Agni, Vasu, Gand, Marudgarh, World God, Preet Gan, birds, human animals, only the sages and ghosts, singing etc. pleases the whole world. Henna voice of the Krishna Paksha of every month. Panchdarshi Amavasya and Rasta Hemant, have faith on Shukla Ashtami of the four months of the RCC season. This is the condition of daily faith. Listen, I will tell you about the tomorrow of faith. Thereafter, at the time when even a special thing worthy of faith is brought home to a particular Brahmin or when Uttarayan or When Dakshin Hai starts or becomes a personality, then perform the ritual of maintaining faith. Maintain faith in a wide company, during solar and lunar eclipse, when the Sun enters each zodiac sign, when a constellation or planet is afflicted, when there is sorrow, when a new person arrives in the house, and when a new person arrives in the house. By worshiping in the state in which there is Anurag, Vishakha and Stuti Nakshatra, the Preetgarhs remain satisfied for 8 years and in the Amavasya with full respect and Punarvasa Nakshatra, by not worshiping, the Preet Gans remain satisfied for 12 years which keeps the male ancestors and Devgans satisfied. For what you want to do, Gangster's Purva Bhadra Paksha or Shabd Receive Nakshatra Yuga Amavasya is very rare, Earth's husband, when Amavasya is filled with these nine students, it brings an end to the time, apart from this, Preet Bhakta Leela Putra Mahatma, with the utmost supplication of Purva. On asking, listen to the other dates which were described by Shri Santan Kumar Ji. Shri Santan Kumar Ji said that Shukla Tritiya of Vaishakh Maa month, Kartik Shukla Navami Bhadrapada Krishna Trayodashi and Amavasya of Mang month, these four dates have been said to be the contribution of the Puranas. Tithi Math is Purntai, at the time of lunar or solar eclipse, in the three first villages or at the beginning of Uttarayan or Dakshinayan, the person who, with a concentrated mind, offers water to Preetgarh along with three, that person worships him for a thousand thousand years. This is the ultimate secret and Preetgarh itself says that if the word of Mahan's Amavasya gets combined with Visa Nakshatra, then for the satisfaction of Preetgarh, tomorrow is the most excellent day. Rajan, the short-lived great man did not get such a time and if he has time to do Dhanishtha in the Amavasya of Mang month. If there is a conjunction of the Nakshatra then the Das Sahastra of Preetgarh remains satisfied for 10000 years due to the movement given by the men born in one's own clan and if there is a conjunction of the Purva Bhadrapada Nakshatra with it and at that time devotion is done for Preetgarh, then she gets the ultimate status. One attains satisfaction and remains in restraint for one thousand and one thousand Yugas. By taking bath in Ganga Ritu Yamuna Bipasha Saraswati and Gomti located at Navi Pashan and worshiping Preet Gun with respect, a person destroys all the sins. That year tomorrow on Bhadra Paksha Trayodashi, after getting satisfied in Mana Nakshatra, then demanded that on Amavasya, burn the death anniversaries given by my son, we will now gain satisfaction from the lake. Context, tomorrow, appropriate method, Yoga Patra, Yoga and the supreme devotee, this is the desired result for all human beings. O Partha, we offer you to listen to some verses sung by Preet Gana and after listening to them, you should behave in the same manner with respect. Preet Gana says that in our school, such a blessed man will be born who will give us the Pind Daan, leaving aside the destroyed, who will be there till the end. But for our purpose, it will provide the Brahmins with the running clothes, knowledge and all the food items or the faith which will be given to the best Brahmins with the devotion and vinayaka mind due to the prosperity of the residence, which will give raw mercy to the best Brahmins even if they are unable to get food or grant on the spot. And he will give a little south and if he is unable to do so, he will give only a handful of sesame seeds after paying obeisance to some great country or for our purpose, he will give only a lake of water containing seven to eight sesame seeds with Bhakti Vinayak Chit on earth and if this too is lacking, then somewhere Neither will he bring one day's food from anywhere and will feed it to the cows with devotion for our purposes. All these who go to the forest and show their origin in the room, the sun etc. will say this in a loud voice with more hair, I have neither spent the yoga of devotion nor I have neither wealth nor any other material, hence I bow to my beloved, he will get satisfaction only from my devotion. I have raised both my arms in the sky and said, O king, the way I love whether there is paddy or not. It has been said that the person who behaves in the same way, by his very conduct, gives him proper respect.

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