श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंद अध्याय 1

वे स्वत मुनि के वंश का वृतांत



श्री मैथिली जी बोले हे भगवान अपने हुआ धर्म और आश्रम धाम की व्याख्या कर दी अब मेरी इच्छा राजवंशों का विवरण सुनने की है अतः आप उसका वर्णन कीजिए श्री पाराशर जी बोले ही मैथिली अब मैं तुम्हें अनेकों यज्ञ करने वाले शूरवीर और धैर्यशाली राजाओं से सुशोभित इस मनु वंश को सुनाता हूं जिसके आदि पुरुष श्री ब्रह्मा जी हैं हे मैथिली आपने वंश सुनाता हूं जिसके आदि पुरुष ही अपने वंश के समस्त पापों को नाश करने के लिए इस वंश परंपरागत की कथा को सुनो संपूर्ण जगत के आदि कारण प्रभु श्री हरि विष्णु जी हैं हुए अनाड़ी तथा ही सुख शाम स्वरूप है उन ब्रह्म रूप प्रभु श्री हरि विष्णु के मूर्त रूप ब्रह्म मंडल हिरण गर्व भगवान ब्रह्मा जी सर्वप्रथम प्रकट हुई ब्रह्मा जी के दाएं अंगूठे से दक्ष प्रजापति प्रकट हुए दक्ष से आदित्य प्रकट हुए तथा अदिति से विश्वास और विश्वास से मुनि का जन्म हुआ मुनि की इच्छुक निरूपित नृत्य प्रसंग नाभिक दृष्ट करूं और प्रीत नामक 10 पुत्र हुए मुनि ने पुत्र कामना की इच्छा से मित्रता वरुण नामक दो देवताओं के यज्ञ का अनुष्ठान किया किंतु होता है कि विपरीत संकल्प से यज्ञ में विपिन हो जाने से उनके इला नाम की कन्या उत्पन्न हुई है मैथिली मित्र वरुण देव गानों की कृपा से वहां इलामऊ का सम नामक पुत्र बनी फिर महादेव शिव शंकर जी के क्रोध को प्रयुक्त शराब से वह स्त्री बनाकर चंद्रमा के पुत्र वधू के आश्रम के पास घूमने लगी बुद्ध ने अनुरक्त होकर उसे स्त्री से पुरस्कार नामक एक पुत्र उत्पन्न किया पुरस्कार के जन्म के अंतरण भी परमवीर ने बनाई को पुरुष स्वार्थ लाभ की कामना से मृत में रिशु समर्थ सर्व वेद में मनोरमा ज्ञान में भगवान यज्ञ पुरुष का यथा यह किया उसकी कृपा द्वारा हिल पुणे सम बन गया सम के तीन पुत्र उत्पन्न हुए उत्कल गए और विनीत पहले नारी होने के कारण सम को राजगद्दी नहीं मिली थी जब वह पुरुष हो गया तो वशिष्ठ के कहने पर उसके पिता ने उन्हें प्रतिष्ठांठ नामक नगर दे दिया वहीं उन्हें पूर्व को दे दिया इसके पश्चात पूर्व की संतान समस्त दिशाओं में फैले हुए क्षत्रिय गण बने मानव का कृपा नामक पुत्र गुरु की गौ का वध करने के कारण से शुद्ध बन गया मानव का के द्वारा करो उसे नमक महाशक्तिशाली एवं पराक्रमी छतरी पैदा हुआ दृष्टि का पुत्र ना भाग वैश्य बन गया था उसके बलन्धन नामक पुत्र हुआ बाल धन से महान कृतिमान वात्सल्य प्रतीत हुआ वात्सल्य प्रतीत से प्रयास हुआ और प्रयास से प्रजापति नमक एकलौता पुत्र उत्पन्न हुआ प्रजापति से खत्री खत्री से चाचू तथा चाचू से अतीत सेल पराक्रमी 20 उत्पन्न हुआ विश्व द्वारा विश्व उत्पन्न हुआ विषक ने खानी नेत्र उत्पन्न हुआ खानी नेत्र से आती विभूति पुत्र उत्पन्न हुआ आती विभूति से अति बलवान और शूरवीर कर्मधारी नामक पुत्र हुआ कर्मधारी से अविक्षित उत्पन्न हुआ नवरा विचित्र के वरुण उत्पन्न हुआ मारुत का जैसा यज्ञ हुआ वैसा इस पृथ्वी पर और किसी का हुआ है जिसकी समस्त यज्ञ वस्तुएं स्वर्णमय और सुंदर थी और यज्ञ में इंद्र सोमराज से और ब्राह्मण दक्षिण से पूर्णता तृप्त हो गए थे उसे मारुति के नियर स्वाद नामक पुत्र उत्पन्न हुआ तथा निस्वार्थ के दाम तथा डैम के राजवर्धन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ राजवर्धन से सुब्रत का जन्म हुआ सुब्रत से केवल एवं केवल से सुदृढ़ जन्म हुआ सुब्रत से न की उत्पत्ति हुई न से चंद्र और चंद्र से केवल उत्पन्न हुआ केवल से बंधु मां उत्पन्न हुआ बंधु मां से भगवान उत्पन्न हुआ वेज वहां से बुद्ध बुद्ध से तृप्त बिंदु तथा तृप्ति बिंदु से पहले तो इला नामक एक कन्या उत्पन्न हुई लेकिन बाद में ऑलमोस्ट नामक एक अति सुंदर अप्सरा उसे पर आकर्षित हो गई और तृप्ति बिंदु के विशाल नामक एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसने विशाल नमक की पूरी बसाई इसके पश्चात विशाल के हेमचंद्र नामक पुत्र हुआ हेमचंद्र का चंद्र चंद्र का घूम अक्ष घूम अक्ष का सजे सजाए का सहदेव सहदेव से कृष्णा हुआ कृष्ण से सोमनाथ नामक पुत्र हुआ जिसने 100 अश्वमेध यज्ञ संपन्न किए थे उसे जन्म जय हुआ जन्म जैसी सुमति उत्पन्न हुई यह समस्त विशाल पुलियां राजा बने इसके विषय में यह विख्यात है तृप्ति बिंदु के प्रसाद द्वारा विशाल वंशीय संपूर्ण राजा दीर्घायु महात्मा वीर वन तथा अंतर धर्म परायण हुआ मनु पुत्र सर्वती के सुकन्या नामक एक कन्या हुई उसका विवाह 54 ऋषि के साथ हुआ साथिया के अंत परम धार्मिक ऑन नामक पुत्र हुआ अनंत के रेवत नामक पुत्र हुआ जिससे उसे स्त्री नमक पुरी में निवास किया और नियत देश का राजा बना रेवत के रेवत का कुछ नमक एवं अत्यंत धर्मात्मा पुत्र था जो अपने 100 भाइयों में सबसे बड़ा था उसके यहां रेवती नामक एक कन्या उत्पन्न उसे कन्या को अपने साथ लेकर ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे पूछने लगे कि यह कन्या किस वर्ग के योग्य है उसे समय ब्रह्मपुरी में ब्रह्मा जी के पास ह और हूं नमक के दो गंधर्व आई तन नमक दिव्य गान गा रहे थे उसे ज्ञान को सुनते-सुनते रेवत जी को आने को इगो के परिवर्तन कल तक ठहरने पर भी उन्हें केवल एक मुहूर्त ही बीता हुआ मालूम हुआ ज्ञान समाप्त होते ही रेवत जी ने ब्रह्मा जी को प्रणाम करके उनसे अपनी कन्या के योग वर्ग पूछा ब्रह्मा जी ने कहा तुम्हें या कुंवर ठीक लगा हो तो बताओ तब उन्होंने ब्रह्मा जी को फिर से प्रणाम करके उनके सामने अनेक वीरों के नाम लिए और बोले इनमें से कौन सा व आपको पसंद है जिसे मैं अपनी कन्या दूं

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The story of the lineage of Swat Muni

Shri Maithili ji said, O God, I have explained my religion and Ashram Dham, now I wish to hear the details of the dynasties, so please describe them. Shri Parashar ji said, Maithili, now I will tell you about this place adorned with brave and patient kings who performed many yagyas. O Maithili, I narrate the lineage of Manu whose progenitor is Shri Brahma ji. O Maithili, I narrate the lineage whose progenitor is to destroy all the sins of your lineage. Listen to the story of this lineage tradition. The original cause of the entire world is Lord Shri Hari Vishnu ji. He became clumsy and is the form of happiness and evening. He is the form of Brahma, Lord Shri Hari, the embodiment of Vishnu, Brahma Mandal, Deer, Pride, Lord Brahma Ji first appeared, Daksh Prajapati appeared from the right thumb of Brahma Ji, Aditya appeared from Daksh and Aditya appeared from Aditi. Muni was born, the dance scene depicted by Muni's desire, Nabhik Drisht Karun and 10 sons named Preet were born. Muni, with the wish of having sons, performed the yagya of two gods named Friendship, Varun, but it happens that due to their getting separated in the yagya with opposite resolve, they were killed. A girl named Ila was born. By the grace of Maithili friend Varun Dev, Ilamau had a son named Sam. Then, by invoking the anger of Mahadev Shiv Shankar ji, she was transformed into a woman with the liquor and started roaming near the ashram of Moon's son's bride. Buddha became attracted to her. He gave birth to a son named Puraskar from a woman. Paramveer also transformed the birth of Puraskar into a dead man out of desire of selfish gain, capable in all the Vedas, in the captivating knowledge of Lord Yagya of Purusha. By his grace, by His grace, Hill became like Pune. Three sons were born to Sam, Utkal and Vineet. Due to being a woman, Sam did not get the throne. When he became a man, at the behest of Vashishtha, his father gave him a city named Pratishthan and gave it to Purva. After this, Purva was given the city. The children became the Kshatriya clan spread in all directions. Man's son named Kripa became pure because of killing Guru's cow. Salt him with the help of Man's salt. He was born with a super-powerful and mighty umbrella. Son of Drishti, Na Bhag became a Vaishya due to his strength. A son named was born, from child wealth a great man of love appeared, from love appeared effort was born, and from effort Prajapati, salt, the only son was born, from Prajapati, Khatri, from Khatri, uncle and from uncle, past cell, mighty 20 were born, from Vishva, world was born, from Vishva, poison was born, from Khani, eye was born. From Khani eye came a Vibhuti son. From Aati Vibhuti was born a very strong and valiant son named Karmdhari. From Karmdhari was born the uncultured. Navra was born Varun of Vichitra. Marut's Yagya was performed like that. There is no one else on this earth whose yagya objects were all golden. And she was beautiful and in the Yagya, Indra was completely satisfied with Somraj and Brahmin from South. She gave birth to a son named Swad near Maruti and Dam and Dam of Selfless gave birth to a son named Rajvardhan. From Rajvardhan Subrata was born and from Subrata one and only. From Subrata was born Strong, from Subrata neither was born nor from Chandra and from Moon was born Keval. From Keval was born Bandhu Maa. From Bandhu Maa God was born Veg. From there Buddha Buddha was born Tripta Bindu and before Tripti Bindu a girl named Ila was born. But later a very beautiful nymph named Almost got attracted to him and a son named Vishal of Tripti Bindu was born who settled the entire salt of Vishal. After this Vishal had a son named Hemchandra. Hemchandra's moon was adorned with the rotating axis of the moon. Sajaya's Sahadev became Krishna from Sahadev, Krishna had a son named Somnath, who performed 100 Ashwamedha Yagyas, he was born victorious, birth-like Sumati was born, all these huge bridges became kings, it is famous about this that through the offerings of Trupti Bindu, the entire king of vast lineage Long lived Mahatma, brave forest and inter-religion Manu's son Sarvati had a daughter named Sukanya, he got married to 54 sages, Saathiya's end had a very religious son named On, Anant had a son named Revat from whom his wife lived in Namak Puri and fixed his destiny. Revat of Revat, who became the king of the country, had a humble and extremely pious son, who was the eldest among his 100 brothers. A daughter named Revati was born to him. He took the daughter with him and went to Lord Brahma and asked him as to which class this daughter belonged to. He is worthy of time, he is with Brahma Ji in Brahmapuri and I am the two Gandharvas of salt, I was singing the divine song of salt, while listening to him the knowledge, Revat Ji was to come, even after staying till tomorrow in the alter ego, he got only one auspicious time. As soon as the knowledge of the past was over, Revat ji bowed to Brahma ji and asked him about the class of his daughter. Brahma ji said if you or Kunwar liked it then tell me. Then he again bowed to Brahma ji and told him the names of many heroes. He took it and said, which of these do you like, to whom should I give my daughter?

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