श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 8

श्री विष्णु जी की आराधना एवं चारों वर्ण का धर्म वर्णन



श्री मैथिली जी बोले हे भगवान जो व्यक्ति इस संसार को जितना चाहता है वह जिस प्रकार जगतपति प्रभु श्री हरि वष्णु जी की उपासना करते हैं आप कृपया करके वह मुझे सुनाएं हे प्रभु उन प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना करने पर व्यक्ति को जो फल मिलता है वह भी आप मुझे सुनाएं श्री पाराशर जी बोले है मैथिली तुमने जो बात पूछी है यही बात और से महात्मा सागर से पूछी थी उसके उत्तर में उन्होंने जो कहा था वह मैं तुमको सुनाता हूं ध्यान पूर्वक सुनो ओवर बोले प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना करने से प्राणी भूमंडल संबंधित समस्त मनोरथ स्वर्ग स्वर्ग से भी श्रेष्ठ ब्राह्मण पद और ब्रह्म निष्पादन पद भी प्राप्त कर लेता है है राजेंद्र वह जिस जिस फलों की जितनी इच्छा करता है अल्प हो या अधिक आप प्रचूत प्रभु की आराधना करने से वह निश्चय ही सब कुछ प्राप्त कर लेता है है भोपाल तुमने पूछा कि प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना किस प्रकार किया जाए सोमवार तुमसे कहता हूं ध्यानपूर्वक सुनो जो प्राणी वर्णाश्रम धर्म का पालन करने वाला है वही प्राणी प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना कर सकता है उनको संतुष्ट करने का अन्य कोई मार्ग नहीं है हे राजन यज्ञ का आयोजन करने वाला पुरुष उन विष्णु जी का ही या जन करता है जब करने वाला उन्हीं का जप करता है और दूसरों की हिंसा करने वाला प्राणी उन्हीं प्रभु श्री हरि विष्णु की हिंसा करता है क्योंकि प्रभु श्री हरि विष्णु जी स्वरूप भूत माय है अतः सदाचार युक्त प्राणी अपने वार्ड के लिए निहित धर्म का आचरण करते हुए प्रभु श्री हरि विष्णु जी की ही आराधना करता है हे पृथ्वी पति ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शुद्र आपने अपने धर्म का पालन करते हुए प्रभु श्री हरि विष्णु जी की उपासना करते हैं जो प्राणी दूसरों की निंदा बुराई चुगली नहीं करता या झूठ नहीं बोलता तथा ऐसे वचन नहीं बोलता जिससे दूसरों को भेद हो उससे निशा ही प्रभु श्री हरि विष्णु जी प्रसन्न रहते हैं हे राजन जो पुरुष दूसरों की स्त्री धान और हिंसा में रुचि नहीं रखता उससे प्रभु श्री हरि विष्णु जी सदैव संतुष्ट रहा करते हैं शेर नरेंद्र जो मनुष्य किसी प्राणी या वृक्ष आदि अन्य दे धारियों का अहित नहीं करता उसे प्रभु श्री हरि विष्णु जी सदैव संतुष्ट रहते हैं जो मनुष्य देवता ब्राह्मण और गुरु जन की सेवा में सदैव तात्पर्य रहता है उसे प्रभु श्री हरि विष्णु जी सदैव प्रसन्न रहते हैं जो व्यक्ति स्वयं अपने और अपने पुत्रों की तरह समस्त प्राणियों को शुभचिंतक होता है वह सुगमिता से ही प्रभु श्री हरि विष्णु जी को प्रसन्न कर लेता है यह नृत्य जिस व्यक्ति का चित्र मां राज आदि दुर्बेसों से दूर है वह उसे विशुद्ध मां वाले व्यक्ति से प्रभु श्री हरि विष्णु जी सदैव संतुष्ट रहते हैं इंद्र श्रेष्ठ शास्त्रों में जियो जियो वर्ण श्रम धर्म कह गए हैं उनका आचरण करके व्यक्ति प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना कर सकता है अन्य किसी प्रकार से नहीं सागर बोल ही दी श्रेष्ठ अब मैं संपूर्ण वर्ण धर्म या आश्रम धर्म को सुनना चाहता हूं कृपया करके आप मुझे सुनाएं ऑलवेज बोले अब मैं ब्राह्मण क्षत्रिय वेश्याव शुद्ध के धर्म का क्रमशः वर्णन करता हूं तुम ध्यानपूर्वक सुनो

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Worship of Shri Vishnu ji and description of religion of all four varnas

Mr. Maithili ji said, O God, the way a person worships Lord Jagatpati Prabhu Shri Hari Vishnu ji, O God, please tell me the fruit that a person gets by worshiping that Lord Shri Hari Vishnu ji. That too you tell me Mr. Parashar ji has said Maithili what you have asked Mahatma Sagar has asked the same thing from someone else I will tell you what he had said Listen carefully over said worship Lord Shri Hari Vishnu ji By doing all the desires related to the world, the living being attains the highest Brahmin position and also the Brahma execution position. Gets Bhopal You asked how to worship Lord Shri Hari Vishnu ji Monday I tell you listen carefully the creature who follows Varnashram dharma only that creature can worship Lord Shri Hari Vishnu ji to satisfy him There is no other way O Rajan, the man who organizes the Yajna worships only that Vishnu ji when the performer chants him and the person who does violence to others does violence to the same Lord Sri Hari Vishnu because Lord Sri The form of Hari Vishnu ji is a ghost, so a person with virtue, while practicing the religion inherent in his ward, worships only Lord Shri Hari Vishnu, O husband of the earth, Brahmin, Kshatriya, Vaishya and Shudra, you are following your religion Lord Shri Hari Vishnu The creature who worships ji, does not condemn others, does not speak evil, does not lie and does not speak such words that make others discriminate, Lord Shri Hari Vishnu ji is pleased with him, O king, the man who is in the hands of others' women, paddy and violence. Lord Shri Hari Vishnu ji is always satisfied with those who are not interested. It always means that Lord Shri Hari Vishnu ji is always happy. The person who is a well wisher of all beings like himself and his sons, easily pleases Lord Shri Hari Vishnu ji. Lord Shri Hari Vishnu ji is always satisfied with the person who has a pure mother. Lord Shri Hari Vishnu ji is always satisfied. No way Sagar said best now I want to listen to complete varna dharma or ashram dharma please tell me always say now I describe the dharma of Brahmin Kshatriya prostitute Shuddha step by step you listen carefully

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