श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंध अध्याय 8 का भाग 2



ब्राह्मण का कर्तव्य है कि वह दान दे यज्ञों से देवताओं का व्यंजन करें स्वामी सेल ब्राह्मण होना चाहिए नित्य स्नान तर्पण करें एवं भागना ध्यान आदि कर्म करता रहे वृत्त के लिए दूसरों से यज्ञ कराना ब्राह्मण के लिए उचित है औरों को पढ़ाएं और न्याय से उपार्जित किए हुए शुद्ध धान में से न्याय अनुकूल धन संग्रह करें कभी किसी का हित ना करें एवं सदैव समस्त प्राणियों के हित में तर्पण रहे ब्राह्मण का परम धर्म है कि समस्त प्राणियों से मैत्री अभाव में रखे पत्थर तथा पराए रत्न को ब्राह्मण एक समान समझें पत्नी के विषय में रितु गंभीर होना ही ब्राह्मण के लिए प्रशंसनीय कर्म है छतरी का कर्तव्य है कि वह ब्राह्मणों यह ध्यान दें अनेक यज्ञों अनुष्ठान करें और ध्यान करें स्वास्थ्य धारण करना और पृथ्वी की रक्षा करना ही छतरी की उत्तम आजीविका है केदारनाथ पितामह ब्रह्मा जी ने पशुपालन वाणिज्य व्यापार और कृषि करना दिया है यह बेटियों को जीविका रूप से दिया है अध्ययन यज्ञ दान और नित्य नियम के कर्मों का अनुष्ठान उसे करना चाहिए शूद्र का कर्तव्य है कि वह दी जाती ही प्रयोजन सीट के लिए कर्म करें उसी से अपना पालन पोषण करें या आफत काल में जब वह ऊपर से नींबू का उपार्जन ना हो सके तो वस्तुओं के लिए बेचने या कारीगरी के कर्मों से जीविका उपार्जन करें अति नम्रता चौथ निष्कपट स्वामी सेवा अवश्य स्थित सत्संग और ब्राह्मण की रक्षा करना एक शुद्र के मुख्य कर्म है हे राजन शूद्र का भी कर्तव्य है कि वह धंधे वाली वेश्या दें अथवा प्रणाम आदि अल्प यज्ञों का अनुष्ठान करें प्रीत श्रद्धा आदि कर्म करें आपने कुटुंब के पालन के लिए समस्त जातियों से ध्यान एकत्रित करें रितु काल में अपने ही स्त्री पत्नी से जांच करें सवर्णों के लक्षण इसी प्रकार हैं अब ब्राह्मण आदि चारों वर्णों के आप द्वादश और गुणों का श्रवण करें आप पति के समय ब्राम्हण क्षत्रिय और वैश्य की वृद्धि का सहारा लेना चाहिए तथा क्षत्रियों को केवल वेश्यावृत्ति का ही आश्रय लेना चाहिए इन दोनों को शुद्र का कर्म कभी भी नहीं करना चाहिए हे राजन आपातकाल विदित जाने पर सभी को दूसरे वर्ण का आश्रम त्याग कर अपना कर्म करना चाहिए

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It is the duty of a Brahmin to give charity, prepare food for the deities from Yagya, Swami Sel should be a Brahmin, take bath daily, run, meditate, etc. It is proper for a Brahmin to perform Yagya for the sake of the circle, teach others and earn with justice. Collect fair money from the pure paddy, never do anyone's benefit and always be devoted to the welfare of all living beings. It is the ultimate religion of a Brahmin to keep stones and other people's gems in the absence of friendship with all living beings. It is a commendable act for a Brahmin to be serious about the season. It is the duty of Chhatri to note that Brahmins should perform many yagyas, perform rituals and meditate. Maintaining health and protecting the earth is the best livelihood of Chhatri. And agriculture has been given to the daughters as a livelihood, study, sacrifice, charity and rituals of daily rules should be done by him. When it is not possible to earn lemons from above, then earn a living by selling things for goods or by doing work of workmanship. Extremely humble Chauth, sincere service to Swami, satsang and protecting Brahmins is the main duty of a Shudra. Is it to give a business prostitute or to perform the rituals of small yagya like salutations etc., to do love, devotion etc. to raise your family, collect attention from all the castes, check with your own wife in Ritu Kaal, the symptoms of upper castes are like this, now Brahmins You should listen to the twelve and qualities of the four varnas, at the time of the husband, Brahmins, Kshatriyas and Vaishyas should take support of the growth and Kshatriyas should only take shelter of prostitution, both of them should never do the work of Shudra, O Rajan, the emergency is known. On leaving, everyone should leave the ashram of other caste and do their work.

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