श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंध अध्याय 7 का भाग 2



हे दूध जिनकी पाप राशि यम तथा नियम से दूर हो गए हैं उनका ह्रदय निरंतर प्रभु श्री हरि विष्णु जी में ही आस वक्त रहता है तथा उनमें जरा भी गर्व घमंड तथा माता से नहीं रहा गया है उन व्यक्तियों को तुम दूर से ही त्याग देना यदि खड़क सिंह एवं गदाधारी प्रभु श्री हरि विष्णु जी ह्रदय में विराजमान है तो उन पहाड़ नाशक पापों का नाश करने वाले प्रभु के द्वारा उसके संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं सूर्यदेव के रहते हुए अंधकार कैसा ठहर सकता है जो व्यक्ति दूसरों को धन संपत्ति हरण करता है जिओ का संघार करता है तथा मिथ्या और कटु वाणी बोलता है उस दुष्ट बुद्धि वाले व्यक्ति के ह्रदय में प्रभु कभी विराजमान नहीं रह सकते जो कुमति दूसरों के वैभव को देखकर ऐसा करता है तथा दूसरों की निंदा करता है साधु जनों का अहित करता है तथा संपन्न होकर भी ना तो प्रभु श्री हरि विष्णु का पूजा करता है नहीं उनके भक्तों को दान देता उसका धर्म के मन में जनार्दन भगवान का निवास कभी भी नहीं हो सकता जो दुष्ट बुद्धिहीन नीच आपने सुभाष भाई बंधु पत्नी पुत्र पुत्री माता पिता एवं भाई वर्ग के प्रति धन की घृणा रखता है उस पापी को प्रभु का भक्त नहीं समझना चाहिए जो दुर्बुद्धि पापी व्यक्ति औसत कर्मों में लगा रहता है नीच व्यक्ति और उन्हीं के संगत में रहता है वह व्यक्ति नित्य प्रतिदिन पाप माय कर्म से ही बांधा जाता है वह मानव रोग पशु होता है वह व्यक्ति प्रभु वासुदेव जी का भक्त नहीं हो सकता यह शक्ल प्राचीन और मैं एक परम पुरुष परमात्मा विष्णु ही है ह्रदय में प्रभु अनंत की स्थिति होने से उनकी ऐसी स्थिति बुद्धि हो गई हो जिनको तुम दूर से ही छोड़ कर आ जाना हे कमलनयन वाले एक वासुदेव हे विष्णु है धरणीधर हे अंतरित हे शंख चक्र वाणी आप हमें शरण लीजिए जो व्यक्ति प्रभु को इस तरह पुकारते हैं उन्हें तुम दूर से ही त्याग देना जिस व्यक्ति के मन में अव्यवस्था प्रभु विराजते हैं उनका जहां तक दृष्टिपात होता है उसी स्थान तक प्रभु के चक्र के प्रभाव से अपने बल वीर्य नष्ट छेद हो जाने के कारण तुम्हारी अथवा मेरी मति नहीं हो सकती वह महापुरुष बैकुंठ आदि लोग का पात्र है कलिंग बोला हे गुरुवर सूर्यपुत्र धर्मराज ने अपने दूध को शिक्षा देने के लिए उसे इस प्रकार कहा मुझे यह प्रसंग उसे जाती स्मरण मनु ने कहा था और यह समस्त कथा मैंने तुमको सुना दिया है श्री भीष्म जी बोले ही नकुल पूर्व काल में कलिंग देश से आए हुए ब्राह्मण ने प्रसनजीत होकर मुझे यह सब सुनाया था यह वात्सल्य वही समस्त वृतांत जिस प्रकार की इस संसार सागर में प्रभु श्री हरि विष्णु के अलावा जीवन का कोई और रक्षक नहीं है वह मैंने तुम्हें वैसा ही सुना दिया जिस व्यक्ति का हृदय निरंतर प्रभु में लगा रहता है उसे व्यक्ति का यह यमदूत एवं पास यमदंड एवं नियम यातना उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता श्री पाराशर जी बोले हे मुनिवर तुमने प्रश्न के अनुसार यह ने जो भी कुछ कहा था मैंने वह सब तुमको सुना दिया और तुम अब क्या सुनना चाहते हो

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Oh milk, whose sins have gone away from Yama and Niyam, their heart always stays in Lord Shri Hari Vishnu ji and there is no pride left in them from mother or mother. Lord Shri Hari Vishnu of Khadak Singh and mace resides in the heart, then all his sins are destroyed by the Lord who destroys those mountain-destroying sins. Destroys life and speaks false and bitter words, God can never reside in the heart of a person with evil mind, who does this by seeing the glory of Kumati others and condemns others, harms the saints and the rich. Even though he neither worships Lord Shri Hari Vishnu nor gives charity to his devotees, Janardan God can never reside in the mind of his religion. A sinner who hates money should not be considered as a devotee of the Lord. A foolish sinner who engages in average deeds, a lowly person and stays in their company, that person is bound by sins and deeds every day, that human disease becomes an animal. That person cannot be a devotee of Lord Vasudev ji, this face is ancient and I am the Supreme Lord Vishnu only, due to the presence of Lord Anant in the heart, such a state of mind has been created in those whom you leave from far away and come back, O one with lotus eyes. Ek Vasudev O Vishnu Hai Dharnidhar O Antarit O Conch Chakra Vani You take refuge in us Those who call on the Lord in this way, you abandon them from a distance. You or I cannot have mind because of the hole destroyed by the power of the chakra. That great man is the character of Baikunth etc. Kalinga said, O Guru, the son of the sun, Dharmaraj told him this way to teach his milk. He was told by caste memory Manu and I have told you this whole story, Shri Bhishma ji said Nakul, in the past, a Brahmin who had come from the country of Kalinga, being pleased, narrated all this to me. I have told you that there is no other savior of life other than Lord Shri Hari Vishnu, the person whose heart is constantly fixed on the Lord, this Yamdoot of the person and the Yamdand and punishment of the person, nothing can harm him, Mr. Parashar Yes, O Munivar, according to your question, I have told you all that he had said and what do you want to hear now?

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