श्री विष्णु पुराण कथा तीसरा स्कंद अध्याय 6

सामवेद की शाखा 18 पुराण और 14 विधाओं के विभाग का वर्णन




श्री पाराशर जी बोले ही मैथिली व्यास जी के शिष्य जैमिनी ने जिस क्रम से सामवेद की शाखा का भाग किया था वह मैं तुम्हें सुनाता हूं व्यास जी के शिष्य जीवनी का पुत्र समान था और उसका पुत्र था शुभकामना उन दोनों महामति पुत्र पुत्र में सामवेद की एक-एक शाखा का अध्ययन किया इसके पश्चात शिव मंत्र के पुत्र सुकर्म ने अपनी सामवेद संहिता के 1000 शाखा भेद किया उनका कौशल्या हिरण माप एवं पोनिक नाम के दो महावृत्ति शिशु में ग्रहण कर लिया हिरण आप के 500 शिष्य थे जो उड़ीसा शमन कहलाए इसी तरह जिन अन्य ब्राह्मणों ने इतनी ही संहिता हिरण नाप से और ग्रहण की हुए प्रचुर समारोह कहलाते हैं पानी के शिष्य लोक अच्छी नवधा में कभी वहां और लांग गली थे उनके शिष्य तथा शिष्यों के शिष्य ने अपने अपनी संहिताओं के भाग करके उन्हें बहुत बड़ा दिया नाक के एक और शिष्य ने अपने शिक्षकों को सामवेद की 24 संहिता पढ़ाई फिर उन्होंने भी इस सामूहिक शाखाओं द्वारा खूब प्रचार किया माय अब अथर्ववेद की साहित्य संहिता ओं के समूचे वर्णन करता हूं सर्वप्रथम अमित तेजोमय सुमंत मुनि ने अपने शिष्य काम बंद को पाठवा वेद पढ़ाया था फिर काम बंद में उनके दो भाग कर उन्हें देव दर्शन और 50 नामों का अपने शिष्यों को दिया बेदी देवदास के शिष्य मेड महाबली सौरव कहानी आरपीपी डा पथ के बीज वाली गुप्ता आदि और संपन्न तीन शिष्य है उन्होंने संहिता ओं का विवाह किया था उसने भी अपने शरण के दो भाग करके उनमें से एक वायु को तथा दूसरे फ्रेंड नामक के अपने शिष्य को दिया से अध्ययन ने मुक्ति के स्नेह संहिता पढ़कर उसके 5 विभाग के नक्षत्र कल्प वेद कल साहित्य कल अंगिरास कल एवं शांति कल्प उनके रचे हुए A5 विकल्प अथर्ववेद संहिता में सर्वश्रेष्ठ है इसके पश्चात पूर्वार्ध विश्वास ब्यास जी ने अभिज्ञान उपचार कथा एवं कल्प शुद्धि सहित पुराण संहिता ओं की रचना की राम हरण सूर्य व्यास जी के प्रिय शिष्य थे उनको व्यास जी ने पुराण संहिता का अध्ययन कराया रोमान पुत्र जी के सूत अग्निवास एवं प्रार्थना अति तीव्र और स्वामी नामक खींचे थे अरिजीत सरिता भाग्यवंती साहित्य इन तीनों सेनाओं के आधार पर रोम हरण जी की सहायता की है मुनि इन चारों संहिता ओं को साबुत मैंने इस विष्णु सहायता की रचना की है पुराण यज्ञ पुरुष स्कूल 18 पुराण बतलयै जाते हैं उन सब में प्राचीन ब्रह्म पुराण है प्रथम ब्रह्म पुराण दूसरा पद्म पुराण तीसरा विष्णु पुराण चौथा शिव पुराण पांचवा भागवत पुराण छतवान नारद पुराण सातवां मार्कंडेय पुराण आठवां अज्ञेय पुराण नया भविष्य पुराण दसवां ब्रह्म वेद पुराण 11 लिंग पुराण 12 12 पुराण 13 स्कंद पुराण 14वां वामन पुराण चंद्रमा कूर्म पुराण 16वां मत्स्य पुराण 70वां गरुड़ पुराण और 18 ब्राह्मण ब्रांड पुराण हे महामुनि इन 18 पुराने के अलावा मुनियों ने अन्य पुराण भी बतलाएं हैं इन सभी में सृष्टि प्रलय देवता आदि को वर्ष मन्वंतरण और विभिन्न राजवंशों के चरित्र का वर्णन किया गया है एबी प्रदीप पुराण को मैंने तुम्हें सुना रहा हूं वह पद्मपुराण के अंदर किया गया विष्णु महापुराण है यह मैथिली इसमें 100 वर्ग प्रतिशत वर्ग वर्ष और मानव अंतरण आदि का वर्णन है तथा सर्वत्र केवल प्रभु श्री हरि विष्णु जी का ही वर्णन है इसमें 14 विद्यार्थी हैं हाईवे दात चार वेद सीमा कन्या पुराण और धर्म शास्त्र उन्हीं में आयुर्वेद धनुर्वेद और गंधर्व इन तीनों तथा चौथे और अर्थशास्त्र को मिला लेने से कुल 18 बीघा हो जाती है रे ऋषि तीन प्रकार के होते हैं ब्रह्म ब्रह्म ऋषि देव ऋषि और इसी तरह मैंने तुमसे वेदों की शाखा शाखा के वेद उसके रचयिता तथा शाखा वृत्त के कारणों का भी वर्णन कर दिया है इस तरह संपूर्ण आमंत्रण में एक समान शाखा वेदा करते हैं प्रजापति ब्रह्मा जी से प्रकट होने वाले इस त्रुटि तो नित्य है यह तो केवल मात्र है है मैथिली वेदों के समस्त संबंधों में जो कुछ तुमने मुझसे पूछा था वह सब कुछ मैंने तुम्हें सुना दिया अब और क्या जानना चाहते हो

TRANSLATE IN ENGLISH

Description of the branch of Samaveda, 18 Puranas and the division of 14 genres

Mr. Parashar ji said, Maithili Vyas ji's disciple Jaimini had divided the branch of Samveda, I will tell you the sequence, the son of Vyas ji's disciple Jivani was similar and his son was the same. After studying one branch, Sukarma, the son of Shiva Mantra, distinguished 1000 branches of his Samaveda Samhita, his Kaushalya deer measure and two Mahavrittis named Ponik were accepted in the child. Other brahmins took the same number of samhitas from the deer measure and called copious ceremonies. And the disciple read 24 Samhita of Samaveda to his teachers, then they also propagated a lot through this collective branches. In the band, he divided them into two parts and gave them 50 names to his disciples. By dividing one of them into two parts, one of them was given to Vayu and the other to his disciple named Friend, after reading the code of love for salvation, the constellations of its 5 divisions, Kalpa Veda Kal Sahitya Kal Angiras Kal and Shanti Kalpa are the best in their composed A5 Vikalp Atharvaveda Samhita. After this, Puran Samhita was composed by Puran Samhita including Abhigyan Upchar Katha and Kalp Shuddhi. Ram Haran Surya was a favorite disciple of Vyas ji. Vyas ji made him study Puran Samhita. Names were drawn Arijit Sarita Bhagyavanti literature On the basis of these three armies Rome Haran ji has been helped Muni Sabut these four codes I have created this Vishnu Sahayata 1st Brahma Purana 2nd Padma Purana 3rd Vishnu Purana 4th Shiva Purana 5th Bhagavata Purana Chhatavan Narada Purana 7th Markandeya Purana 8th Agnya Purana New Bhavishya Purana 10th Brahma Ved Purana 11 Linga Purana 12 12 Purana 13 Skanda Purana 14th Vamana Purana Chandrama Kurma Purana 16th Matsya Purana 70th Garuda Purana and 18th Brahmin Brand Purana O Mahamuni, apart from these 18 old sages have also told other Puranas, in all of these the gods of creation, holocaust, etc. have been described as Varsha Manvantaran and the character of different dynasties. I am telling you AB Pradeep Purana. Yes, it is Vishnu Mahapuran done inside Padmapuran, it is Maithili, it has description of 100 square percent class year and human transfer etc. and only Lord Shri Hari Vishnu ji is described everywhere, it has 14 students, highway, teeth, four Vedas, Seema, Kanya Purana and Dharma. Shastras in them, Ayurveda, Dhanurveda and Gandharva, adding these three and the fourth and Arthashastra, the total becomes 18 bighas, there are three types of sages, Brahma, Brahma, Rishi, Dev, Rishi, and in the same way, I learned from you the Vedas, the branch of the Vedas, its creator and branch. The causes of the circle have also been described, in this way, the Vedas do the same branch in the entire invitation, this error that appears from Prajapati Brahma ji is daily, it is just only Maithili, in all the relations of the Vedas, whatever you asked me I told you all that now what else do you want to know

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