धर्मशान्विक 11वां मनु होगा उसे समय देवताओं के मुख गांड भी हम काम म तथा निर्वाण रति होंगे इनमें से प्रत्येक में 30 30 देवता होंगे एवं वृषभ नमक इंद्र होगा उसे समय सप्त ऋषि होंगे अग्नि तेज वायु अपमान ग्रीन अनूप हउ इस एवं 15 तथा धर्म सात्विक मनु के सब रेडमी हो इस मां एवं अंत तथा धर्म सुगनी मनु के सर्वत्रक सुदामा और देव नि आदि पुत्र राजा होंगे 12 मनु रूद्र पुत्र सैनििक होगा जिसके समय रितु धाम नमक इंद्र होगा उसे समय 10-10 देवताओं के हरित रोहित सुमन विश्वकर्मा और सूरत नमक पगन होंगे तपस्वी सुतापा तपोवन मूर्ति तापूर्ति तपो धोती तपो धोती एवं तपोधन यह सप्त ऋषि होंगे मनु के पुत्र दीवान उपदेव एवं देव श्रेष्ठ आदि महावीरशाली पुत्र सम्राट होंगे हे मुनिवर रुचि नाम का तेरवा मनु होगा जिनके पुत्र चित्रसेन और विचित्र आदि राजा होंगे सूत्रम सुख कर्म और सुधारंभ नामक देवगन होंगे जो अपने 2323 देवता रखेंगे तथा महा शक्तिशाली दीप स्तुति उसका इंद्र होगा निर्माण तब्दर्शी निष्क्रिम निश्चित घृत मां अध्याय तथा सुतापा से तत्कालीन सप्त ऋषि होंगे हे मैथिली सौदोमा मनु भोम होगा उस समय सूची नामक इंद्र और चर्च उस पवित्र कनिष्ठ भाजित एवं वजन प्रीत नामक 5 देवगन होंगे उस समय सप्त ऋषि होंगे सूची अग्नि बहू की अग्नि प्रार्थी युक्त मार्ग एवं शुक्र उस मनु के आरोप और गंभीर बुद्धि आदि पुत्र होंगे जो राजा बनकर पृथ्वी का पालन करेंगे प्रत्येक चतुर योग के अंत में वेद लोग हो जाते हैं उस समय सप्त ऋषि स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर अवतार लेकर वेदों का प्रचार करते हैं प्रत्येक सतयुग के आदि में मानव धर्म की मर्यादा रखने में स्मृति शास्त्र के रचयिता मनु का प्रादुर्भाव होता है और उस्मान वंत्र्ण के अंतर्गत अंत में तत्कालीन देवता यज्ञ भोगों का भोग करते हैं तथा मनु के सुपुत्र और उसके कुल के व्यक्ति पृथ्वी का पालन करते रहते हैं इस तरह मनुष्य कृषि देवता इंद्र तथा मनु पुत्र राजा गाने प्रत्येक मनोहरण के अधिकारी होते हैं है मैथिली इन 14 मन्वंतरण के बीच जाने पर 1000 योग रहने वाले कप की समाप्ति होती है फिर इतने ही समय की रात्रि होती है तथा ब्रह्म रूप धारी प्रभु श्री हरि विष्णु जी प्रलय कालीन जल के ऊपर शेष सैया पर शयन करते हैं फिर आदि करता सर्व व्यापक जनाधार संपूर्ण त्रिलोकी का ग्रास कर अपनी माया में स्थित हो जाते हैं फिर पहले रात्रि का अंत होने पर प्रत्येक कल्प के आरंभ में प्रभु श्री हरि विष्णु जी जागृत होकर रजोगुण द्वारा सृष्टि की रचना करते हैं यह देश मनु पुत्र राजा गण इंद्र देवता तथा सप्त ऋषि समस्त जग का पालन करने वाले प्रभु के सात्विक अंश हैं हेम मैथिली प्रभु श्री हरि विष्णु जी चारों युग में जिस तरह व्यवस्था करते हैं उसे ध्यान पूर्वक सुने संपूर्ण प्राणियों के कल्याण में तत्पर प्रभु श्री हरि विष्णु जी सतयुग में कपिल आदि रूप रखकर परम ज्ञान का उपदेश करते हैं तथा युग में वह चक्रवती होकर दुष्टों का दमन कर के तीन लौकी की रक्षा करते हैं द्वापर युग में वेदव्यास रूप धारण कर एक वेद के चार विभाग करते हैं और फिर सैकड़ों शाखाओं में बैठकर उसका विस्तार कर डालते हैं इस तरह द्वापर युग में वेदों का विस्तार कलयग के अंत में प्रभु श्री हरि विष्णु जी काली का रूप धारण कर दुराचार में प्रभावित लोगों को सन्मार्ग पर लाते हैं इस तरह प्रभु श्री हरि विष्णु जी समस्त जगत की उत्पत्ति पालन और संहार करते रहते हैं इस जगत में उनसे विभिन्न कोई वस्तु नहीं है इस लोक और परलोक में भूत भविष्य एवं वर्तमान जितने भी पदार्थ हैं वह समस्त प्रभु श्री हरि विष्णु जी से ही उत्पन्न हुए हैं
TRANSLATE IN ENGLISH
Dharmashanvik will be the 11th Manu, his time will be the mouth of the gods, Gand Bhi, we will be in work and Nirvana Rati, each of these will have 30 gods and Taurus will be salt Indra, his time will be Sapta Rishi, Agni, Tej, Vayu, Humiliation, Green, Anoop, 15 and Dharma Satvik Manu Let all be redmi this mother and end and Dharma Sugni Manu's Sarvatraka Sudama and Dev Ni Adi sons will be kings 12 Manu Rudra's son will be a soldier whose time will be Ritu Dham Namak Indra his time will be 10-10 deities Harit Rohit Suman Vishwakarma and Surat Namak Pagan There will be ascetic Sutapa Tapovan Murti Tapurti Tapo Dhoti Tapo Dhoti and Tapodhan These seven sages will be sons of Manu Diwan Updev and Dev Shrestha Adi Mahavirshali son will be emperor O Munivar Ruchi Named Terva Manu whose sons Chitrasen and Vichitra Adi will be kings There will be named Devgan who will keep his 2323 deities and great powerful lamp praise his Indra will be Nirman Tabdarshi Niskrim Fixed Ghrit Maa Adhyaya and Sutapa will be the then Sapta Rishi O Maithili Saudoma Manu will be Bhom at that time list named Indra and Church that holy junior Bhajit and Vajan Preet At that time there will be 5 Devgans named Sapta Rishis, there will be a list of Agni daughter-in-law, Agni Prarthi Yukta Marg and Shukra, there will be sons of Manu with allegation and serious intellect etc., who will follow the earth as kings. At the end of each Chatur Yoga, the Vedas become seven Rishis propagate the Vedas by incarnating on earth from heaven, in the beginning of each Satyuga, Manu, the creator of Smriti Shastra, emerges to maintain the dignity of human religion, and in the end, under Osman Vantran, the then deities enjoy the sacrifices and Manu K's son and his clan's people follow the earth, in this way humans are entitled to the gods of agriculture, Indra and Manu's son, each of the king's songs. It is the night of time itself and Lord Shri Hari Vishnu, who is in the form of Brahma, sleeps on the rest of the water on the holocaust; But at the beginning of every Kalpa, Lord Shri Hari Vishnu ji awakens and creates the universe with Rajogun. Listen carefully to the way arrangements are made in the era, Lord Shri Hari Vishnu, who is ready for the welfare of all living beings, preaches the ultimate knowledge by keeping the form of Kapil etc. in the Golden Age and in the era he protects the three gourds by suppressing the wicked by being a Chakravati. In Dwapar Yug, taking the form of Ved Vyas, he does four divisions of one Veda and then expands it by sitting in hundreds of branches. In this way, in Dwapar Yug, expansion of Vedas, at the end of Kalyag, Lord Shri Hari Vishnu ji assumes the form of Kali in misconduct. He brings the affected people on the right path. In this way, Lord Shri Hari Vishnu ji continues to create, maintain and destroy the whole world. There is nothing different from him in this world. Hari is born from Vishnu
0 टिप्पणियाँ