गृहस्थ के सदाचार का वर्णन
सागर बोले है मनी मैं आप गृहस्थ के उन सदाचारों को सुनना चाहता हूं जिसका आचरण करने से मनुष्य पर लोग तथा आई लोक दोनों लोगों में प्रतीत नहीं होता और बोले हे राजन अब तुम ध्यान पूर्वक सदाचार के लक्षण सुनो सदाचार करने वाले पुरुष लोग हम परलोक दोनों को जीत लेते हैं साथ शब्द का अर्थ है साधु और साधु वही हो सकता है जिसका कोई भी दोस्त ना हो उसे साधु पुरुष का जो आचरण होता है उसी को सदाचार कहते हैं है राजन सदाचार के वक्त एवं करता सप्त ऋषि मुनि तथा प्रजापति है हेनरी प्रसाद बुद्धि बुद्धिमान पुरुष स्वार्थ स्वस्थ चिन्ह से ब्रह्म मुहूर्त में जैन के पश्चात अपने धर्म और धर्म विरोधी अर्थ का चिंतन करें और ऐसे काम का भी उसे चिंतन करना चाहिए जिसमें धर्म और अर्थ की छाती ना हो इस दोस्त और अदृश्य अनिष्ट की निवृत्ति के लिए धर्म कर्म तथा कम त्रिवार के समान भाव होने चाहिए है राजन धर्म विरोध अर्थ और काम दोनों का त्याग कर दें उसे धर्म का भी आचरण नहीं करना चाहिए जो उत्तर काल में दुख में या समाज के विरुद्ध हो ब्रह्म मुहूर्त में सैया त्याग कर उठे और सर्वप्रथम मूत्र त्याग करें ग्राम से निर्मित को में जितने दूरी पहाड़ पहुंच सके उससे आगे बढ़कर अथवा अपने घर से दूर जाकर मल मूत्र त्याग करें जिस जल से पर दो या झूठ जल अपने पैर के आंगन में नहीं डालना चाहिए मूत्र त्याग कभी भी अपनी या वृक्ष पेड़ की छाया के ऊपर तथा गए सूर्य अग्नि वायु गुरु एवं अदिति पुरुष के सामने नहीं करना चाहिए इस प्रकार जुटे हुए खेत में रसाई संपन्न धरती में गाय के कोटे में जन्म समाज के बीच-बीच राह में तीर्थ स्थान में मंदिर में नदी में जल या जलाशय के निकट पर और सन्यान त्र में कभी भी मल मूत्र नहीं करना चाहिए है राजन विद्यमान पुरुष को चाहिए कि दिन में उतना मुख और रात्रि में दक्षिण मुक्त होकर मूत्र त्याग करें मल त्याग सोच के समय पृथ्वी को टिका द्वारा तथा सर को वस्त्र कपड़े से ढक लेना चाहिए अथवा उसे स्थान पर अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए और ना ही कुछ बोले हे राजन भाभी की निकली हुई चूल्हा द्वारा बिल से निकाली गई जल के अंदर की सोच कम से बची हुई घर के लिपटन की चींटी आदि छोटे-छोटे जीवों ने धरती में से निकली हो अथवा हाल से उखाड़ की मिट्टी को कभी भी सोच कर्म में उपयोग नहीं करना चाहिए
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description of the conduct of the householder
Sagar said, Mani, I want to hear those virtues of the householder, by practicing which, both the people and the world do not seem like humans and said, O king, now listen carefully to the signs of virtue, men who do good deeds, we are both in the hereafter. Let's win the word Saath means Sadhu and Sadhu can be the one who has no friend, the conduct of a Sadhu man is called Sadhachar, Rajan is virtuous at the time of Karta and Sapta Rishi Muni and Prajapati is Henry Prasad. Wise men with selfishness and healthy signs should think about their religion and anti-religion meaning after Jain in Brahma Muhurta and should also think about such work in which there is no chest of religion and meaning, for the retirement of this friend and invisible evil And there should be feelings similar to the less Triwar. Rajan should give up both meaning and work against religion. Pass urine and faeces by moving away from the village as far as the mountain can reach or by going away from your house, the water from which water should not be poured in the courtyard of your feet or under the shade of a tree above and should not be performed in front of Sun, Agni, Vayu, Guru and Aditi Purush; On and in Sanyana, one should never urinate. Rajan existing man should urinate as much as he can during the day and in the south at night. At the time of defecation, the earth should be covered with a hinge and the head should be covered with cloth. Or he should not stay at the place for a long time and neither should he say anything, O Rajan; The soil that has come out or has been uprooted recently should never be used in thought work.
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