पहले साथ मनोवांतरणों के मनु इंद्र देवता सप्त ऋषि तथा मनु के पुत्रों का वर्णन
श्री मैथिली जी बोले हे गुरुदेव अब मैं आपके मुखारविंद से समस्त मन्वंतरण तथा इंद्र और देवताओं सहित मन्वंत्रण के अधिपति समस्त मनुओं का वर्णन सुनना चाहता हूं श्री श्री पाराशर जी बोले भूतकाल में जितने मन्वंतर हुए हैं तथा आगे भी जो भविष्य में होंगे उन संपूर्ण मन्वंत्रण का मैं तुमसे वर्णन करता हूं सर्वप्रथम मनु इस नामहू थे उसके बाद क्रमशः ईश्वर चीज उत्तम तमस रेवत और चतुर हुए एक छह मनु पूर्व काल में हो चुके हैं इस समय सूर्य देव के पुत्र हुए स्वस्थ मनु है जिसका यह सातवां मन्वंतरण चल रहा है कल के आरंभ में जी इना भाव मनोरंजन के संबंध में कहता हूं उनके देवता और सप्त ऋषियों का तो मैं पहले ही वर्णन कर चुका हूं अब आगे मैं इस प्रोजेक्ट मनुष्य के मनुवातारण अधिकारी देवता ऋषि और मनु पुत्रों का वर्णन करूंगा हम मैत्री इस नौचर मनमोहंत्रण में पारंगत और तुष्टि कर ग्रहण देवता है महाबली विपरीत इंद्र थे उसे समय सप्त ऋषि उच्च स्तंभ प्राण वध प्रीत निगार और परिवहन थे तथा चैट और किम पुरुष आदि स्मावत मनु के पुत्र थे इस प्रकार मैं तुमसे द्वितीय मनुवातारण का वर्णन सुना दिया आप उत्तम मधुवंत्रण का विवरण सुनो हे ब्राह्मण तीसरे मन्वंतरण में उत्तम नमक मनु और स शांति नमक देवाधि देव इंद्र थे उसे समय सुदाम सत्य जब प्रावधान और वाष्पीकृत के पांच 12 12 देवताओं के ज्ञान थे तथा श्री वशिष्ठ जी के साथ पुत्र सप्त ऋषिगण और आज वरुण एवं तृप्ति आदि उत्तम मनु के पुत्र थे तमाशा मनुवंत्रण में देवताओं के चार वर्ग द सुपर हरि सत्य और सुधि तथा प्रत्येक वर्ग में 27 27 देवगढ़ थे और अश्वमे ग यज्ञ वाला राजा शिव इंद्र था तथा उसे समय के सप्त ऋषि के थे ज्योतिष धर्म पिता काव्य चैत्र अग्नि वनक और वीर तथा नरक खटीक केतु रूप और जानवी आदि तमस मनुष्य के महाबली पुत्र ही उसे समय राज के अधिकारी थे है मैथिली पांचवें मन्वंतरण में रेवत नमक मनु और विभु नमक इंद्र हुए और उसे समय जो देवता गण हुए उसके नाम सुनो इस मनुवंत्रण में 14 14 देवताओं के अभिताभ पूर्व बैकुंठ और सामवेद नाम गण थे यह भी पूरा इस मांढरण के सप्त ऋषि थे हिरण रोमा वेद श्री ऊषा वेद बहू सुदामा पराजय और महामुनि रेवत मुनि के उसे समय महावीर साली पुत्र बाल बंधु संभव और सत्याग्रह आदि राजा थे
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Description of Manu Indra Devata Sapta Rishi and sons of Manu
Shri Maithili ji said, O Gurudev, now I want to hear from your Mukharvind the description of all the manvantras and all the Manus, the lords of manvantras including Indra and the deities. Let me describe to you, first of all, Manu was this name, after that Ishvara thing, Uttam Tamas Revat and clever one six Manus have happened in the past, at this time there is a healthy Manu, the son of Sun God, whose seventh Manvantaran is going on, beginning tomorrow. I say in relation to entertainment, I have already described their deity and seven sages, now further I will describe this project manuvataran officer deity Rishi and Manu's sons, we are well-versed in this Nauchar Manmohantran and appeasement. Kar eclipse deity is Mahabali opposite Indra, at that time Sapta Rishis were the high pillars, Prana Vadh, Preet Nigar and Transport and Chat and Kim Purush etc. were the sons of Smavat Manu. In the third Manvantaran, Uttam Namak Manu and Sa Shanti Namak were Devadhi Dev Indra, at that time Sudam Satya was the knowledge of the five 12 12 deities of provision and vaporized and the seven sages with Shri Vashishtha ji and today Varuna and Trupti etc. were the sons of Uttam Manu. Tamasha Manuvantaran has four classes of Gods the Super Hari Satya and Sudhi and in each class there were 27 27 Devagarhs and the King of Ashwame Ga Yajna was Shiva Indra and he had seven sages of time Jyotish Dharma father Kavya Chaitra Agni Vanak and Veer and Narak Khatik Ketu Roop and Janvi Adi Tamas were the mighty sons of human beings who were entitled to the rule of time. And Samveda was named Gana, this was also complete, there were seven sages of this Mandharan, Deer, Roma Veda, Shri Usha Veda, daughter-in-law, Sudama, Parajay and Mahamuni Revat Muni.
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