है मैथिली किस्मत की उत्तम तमाशा औरत के चार मनु राजा प्रियव्रत के वंश उधर कहे जाते हैं राजा प्रियव्रत ने तब करके प्रभु श्री हरि विष्णु जी को प्रसन्न करके इन चार मनु अंतरण उत्तराधिकारी यों को पाया था छठवें मनु अंतरण में छूट नामक मनु और मनोज जाओ नामक इंद्र थे उस समय जो देवता करते हुए यह थे स्त्रोत भव्य पृथक और लेख 15 तरह के देवगढ़ वर्तमान थे और उनमें से प्रत्येक गांव में 88 देवता थे इस मनु अंतरण में सप्त ऋषि देव सुमेधा विराजमान उत्तम मधु अति नाम और शहीदों और आरोप गुरु शब्द गुरु चाचू के अति बलवान पुत्र थे हेवी प्रतिशत निमंत्रण में सूर्यदेव के महा तेजस्वी और बुद्धिमान पुत्र श्रद्धेय देवजी मनु है हे महामुनि इस मनोहरण में अदिति वस्तु और रुद्र आदि देवता गण है तथा पुरव नामक इंद्र है इस समय वशिष्ठ कश्यप अत्रि जमदग्नि गौतम विश्वामित्र और भारद्वाज के साथ-साथ ऋषि हैं विश्वत मुन्नू के दक्ष सुख निर्भक्त दृष्ट सरवत निर्वंतर ना भाग एसिस्ट करुष और तृषा के अत्यंत विख्यात और धर्म परायण नव पुत्र हैं संपूर्ण मन्वंत्रण में देव रूप से स्थित प्रभु श्री हरि विष्णु जी की अनुपम और सात्विक प्रधान व्यक्ति ही जगत की स्थिति में उसकी अधिष्ठित हुआ करते हैं सर्वप्रथम इस नभ मनुवंत्रण में मानव देव यज्ञ पुरुष और विष्णु शक्ति के अंत से ही आकृति के गर्व से उत्पन्न हुए थे फिर किस नाउन मनमंत्रण के उपस्थित होने पर हुए मानस देव श्री अजीत ही दूषित नमक देवगन के साथ तुषिता से उत्पन्न हुए उत्तम मन्वंतरण में सद्गुण सहित सत्य के 11 कृषि देव के जन्म लिया थॉमस मन्वंतरण के प्राप्त होने पर हाथी के गर्भ द्वारा देवगन सहित वह हरि नाम उत्पन्न हुआ तत्पश्चात हुए देव श्रेष्ठ हरि रेवत मनुवंत्रण में तत्कालीन देवगन के सहित संपुटित के उधर से प्रगट होकर मानस नमक से प्रसिद्ध वह चाचू मन्वंत्रण में हुए बैकुंठ नाम के देवताओं के साथ पुरुषोत्तम भगवान स्टार्ट से उत्पन्न होकर बैकुंठ कहलाए यदि इस बेस वक्त मन्वंतरण के प्राप्त होने पर प्रभु श्री हरि विष्णु जी कश्यप द्वारा अतिथि के गर्व से उत्पन्न हुए और वामन नाम से प्रसिद्ध हुए उसे वामन जी ने तीन भाग में संपूर्ण लोगों का नाप कर स्थिर लौकी को इंद्र को दे दिया था इस प्रकार सातों मन्वंतरण में प्रभु श्री हरि विष्णु जी ही सातों रूपों में उत्पन्न हुए जिसे संपूर्ण प्रजा की वृद्धि हुई यह समस्त जगत उसे परमात्मा की ही शक्ति से व्याप्त है इसलिए वह भगवान विष्णु कहलाते हैं क्योंकि विश्व शब्द का अर्थ है प्रवेश करना समस्त देवता मनु सप्त ऋषि तथा मनु पुत्री एवं देवताओं के अधिपति इंदरगढ़ ऐसा प्रभु श्री हरि विष्णु जी की ही विभूति है
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Maithili is the best spectacle of luck, women's four Manu descendants of King Priyavrat are said there, King Priyavrat then by pleasing Lord Shri Hari Vishnu ji got these four Manu transfer successors, in the sixth Manu transfer named Manu and Manoj go Name was Indra at that time the deities doing it were sources grand separate and articles 15 types of Devgarhs were present and each of them had 88 deities in the village Sapta Rishi Dev Sumedha Virajman Uttam Madhu Ati Naam and martyrs and allegation guru word in this Manu transfer Guru Chachu's very strong son was in the heavy percent invitation, the great bright and intelligent son of the Sun God, revered God Manu, O great sage, Aditi Vastu and Rudra etc. gods are in this charm and Indra named Purva, at this time Vashishtha Kashyap Atri Jamadagni Gautam Vishwamitra and Bhardwaj Along with the Rishis are Vishwat Munnu's Daksha Sukh Nirbhakta Drishta Sarvat Nirvantar Na Bhag Assist Karush and Trisha are the most famous and pious new sons of Lord Shri Hari Vishnu ji who is situated in the form of God in the entire Manvantran. First of all, in this Nabha Manuvantra, Manav Dev Yagya Purush and Vishnu Shakti were born out of the pride of the figure, then on the presence of which name Manmantranan, Manas Dev Shri Ajit was born with the polluted salt Devgan. In Uttam Manvantaran born from Tushita, 11 agriculture gods of truth with virtue were born. Manifested by Manas salt, that Chachu became known as Vaikunth after being born from Purushottam God Start with the deities named Vaikunth in Manvantaran. Vaman ji had measured all the people in three parts and gave the stable gourd to Indra, in this way Lord Shri Hari Vishnu ji was born in all the seven forms in the seven manvantaran, who increased the entire people, this whole world was given to him as the divine. This is why he is called Lord Vishnu because the word Vishwa means to enter. All the deities Manu, Sapta Rishi and Manu's daughter and Indergarh, the ruler of the deities, are the Vibhuti of Lord Shri Hari Vishnu.
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