श्री विष्णु पुराण कथा दूसरा स्कंध अध्याय 5

सात पाताल लोक का वर्णन



श्री पराशर जी बोले यह देश मैंने तुमको पृथ्वी का विस्तार कहा उसकी ऊंचाई 70000 योजन है एम मुनि 707 पताल है अतल वितल मित्तल गढ़वी स्थान मान महाकाल सुतल और पताल इन सातों पदों में से प्रत्येक 1010 योजन की दूरी पर है यह मैत्रीय वहां की भूमि बहुत ही सुंदर सुंदर माहौल से सुशोभित है वहां की भोमिया शुक्ला कृष्णा हारून एवं प्रीत कुमार की तथा साकरा में काकरिया पत्थर की और स्वर्णमयी हैं उन महलों में दानव यक्ष दैत्य तथा बड़े-बड़े नाक आदमियों की सैकड़ों जातियां वास करती है एक दिन देवर्षि नारद जी पाताल लोक से ब्राह्मण करके स्वर्ग लोक पहुंचकर वहां के निवासियों से बोले पताल लोक तो स्वर्ग से बहुत अधिक सुंदर है पाताल लोक के नागों के आभूषण में सुंदरमणी या जड़ी हुई है देश के दानों की कन्या से पताल लोक सुशोभित है जहां दिन में सूर्य की किरण केवल रोशनी करती है धूप गर्मी नहीं फैलाते और रात्रि में चंद्रमा की किरण शीतल सर्दी नहीं होती केवल चांदनी ही फैल आती है वहां सुंदर वन रमणीक सरवर कथा कमरों के 1 है जहां नर वकीलों की मधुर कुक गुजरती रहती है एवं आकाश मनोहारी है वहां पताल के निवासी दैत्य दानव एवं नागौर द्वारा अति स्वक्ष आभूषण सुगंध में लैब वीणा वीणा आदि अनेकों भोग भोगे जाते हैं पताल के नीचे प्रभु श्री हरि विष्णु जी का शेषनाग नामक जो तपो माय विग्रह है उनके गुणों का देवता और दानव गढ़ भी वर्णन नहीं कर सकते इन गुणों का अत्यंत गंधर्व अप्सरा सिद्ध किन्नर एवं चारण आदि कोई भी नहीं पा सकते इसलिए वे अनिवासी देव अत्यंत कहलाते हैं जिनका नाग वध द्वारा लेपित हरिचंदन पुनाह पुनाह स्वास्थ स्वास्थ वायु छूट छूट कर सब दिशाओं को सुशोभित करता रहता है जिसकी आराधना से पूर्व कालीन महर्षि गर्ग ने संपूर्ण ज्योति मंडल ग्रह नक्षत्र आदि और शगुन अपशगुन आदि ने बीती फलों को तो अथवा जाना था उस नाहक श्रेष्ठ से जी ने इस पृथ्वी को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है

TRANSLATE IN ENGLISH 

The description of Seven Hades

Shri Parashar ji said this country I called you the extension of the earth, its height is 70000 Yojans M Muni 707 Patal Hai Atal Vittal Mittal Gadhvi Sthan Maan Mahakal Sutal and Patal Each of these seven positions is at a distance of 1010 Yojanas this friendly land is beautified with a very beautiful environment. Hundreds of castes of demons, yakshas, demons and big-nosed men reside in them. One day Devarshi Narad ji, after becoming a Brahmin from Patal Lok, reached Swar Lok and said to the residents of Patal Lok, Patal Lok is much more beautiful than heaven. The moonlight spreads there, there is a beautiful forest, Ramnik Sarwar Katha, there is 1 of the rooms, where the sweet cook of male lawyers passes by and the sky is beautiful, there the residents of Patal, the giants, demons and Nagaur, lab veena, veena, etc., in the fragrance of very beautiful ornaments, enjoy many pleasures. Ra and Charan etc. cannot be found by anyone, therefore they are called non-resident Gods, whose Harichandan, Punah, Punah, covered by the killing of snakes, keeps on beautifying all the directions leaving health and air, before worshiping whom Maharishi Garg, the entire Jyoti Mandal, planets, constellations etc. and omens, bad omens etc. had known about the fruits of the past.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ