प्लक्ष और शाल्मलादि दीपों का वर्णन
श्री पराशर जी बोले जिस प्रकार जम्मू दीप को खारे पानी के सागर समुद्र ने चारों तरफ से घेर रखा है उसी प्रकार चार सागर समुद्र को गिरे हुए पलक्ष दीप स्थित है जम्मू दीप का विस्तार एक लाख योजन है लक्ष्य दीप के अधिपति मेधातिथि के 7 पुत्र हुए उसमें सबसे बड़े पुत्र का नाम शांत हाय था और उससे छोटा शिशिर उसके बाद सुखोदय आनंद शिव क्षेमक थे और सातवां ध्रुव था यह सारे लक्षदीप के अधिपति बने उनके अपने अपने अधिकृत वर्षों में पहला शान 1 वर्ष है तथा अन्य शिशिर वर्ष सुखद वर्ष आनंद वर्ष वर्ष एम का वर्ष अधिवर्ष है उसकी मर्यादा निश्चित करने वाले अन्य सात पर्वत हैं हे मुनि श्रेष्ठ उनके नाम गोमेद चंद्र नारद दूदू बिग शो भाग सुमन और शांत्वन विराज इस वर्ष पर्वतों तथा वर्षों में गंधर्व और देवताओं सहित पाप ही प्रजा सदैव वास करती है वहां के निवासी गाना पुण्यवान होते हैं और वे चिरकाल तक जीवित रह कर मरते हैं उन्हें किसी भी प्रकार की व्याधि नहीं होती निरंतर सुखी रहता है उन वर्षों की साथ ही समुद्र गामिनी नदियां है जिनकी श्रवण मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं उन नदियों के नाम अतुल ट्रिक सीखे विश्वा त्रिदेव कलमा अमृता और सुमित्रा है या मैंने तुमसे प्रधान पर्वत और नदियों का वर्णन किया है क्योंकि छोटी-छोटी पर्वत और नदियां तो हजारों हैं उस देश के वासी उन नदियों का जलपान करके हष्ट पुष्ट रहते हैं उन लोगों में हाफ तथा वृद्ध नहीं होती उन 7 वर्षों में युग भी नहीं होते ब्राह्मण लक्ष दीप से लेकर साहब दीप तक 6 दीपों में सदैव त्रेतायग के समान समय रहता है इन दीपों के निवासी सदैव निरोगी रहकर 5000 वर्ष तक जीवित रहते हैं और इनमें राणा आश्रम के विभाग के अनुसार 5 धर्म अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह है वहां जो चार वर्ण है वह मैं तुम्हें सुनाता हूं हे मुनि उस दीप में ब्राह्मण की तरह आर्य क्षत्रिय की तरह पूरा वैश्य जाति की विदिशा और शुद्र की तरह भावी नाम 4 जातियां हैं हे दीजो उत्तम उसी में जम्मू फ्रिज के ही आकार वाला 100000 पाकर का वृक्ष है उसी के नाम से ब्लॉक दीप का नाम सार्थक है उसी स्थान पर आर्य जाति के द्वारा प्रभु श्री हरि विष्णु का स्वरूप से भजन किया जाता है लक्ष्यदीप में आपने ही बराबर आकार वृक्ष वाले इस ब्राउन रस के समुद्र से घिरा हुआ है हे मैत्रीय अब तुम सालमन दीप का वृतांत सुनाओ चाल मनदीप के स्वामी वीर वर्ग व पुष्पा थे उसके पुत्र श्वेत हरित जी भूत रोहित वैद्युत मानस और तू प्रभु थे जिसके नाम से उनके 7 वर्ष में क्लास दीप को गिरने वाला इस प्रारूप राष्ट्र का समुद्र अपने सद्गुणों विस्तार वाले इस साल दीप से चारों ओर से घिरा हुआ है वहां भी रत्नों के उद्भव स्थान रूप साथ पर्वत हैं जो उसके 7 वर्षों के विभाजक हैं तथा वहां साथ ही नदियां हैं पर्वत में पहला कुमुद दूसरा उन्नत और तीसरा बल हक और चौथा द्रोणाचार्य के नाम से प्रसिद्ध है जिसके ऊपर अनेक प्रकार की औषधियां हैं पांचवा कंकड़ छठवां महीना और सातवां को धान इरीवर है अब नदियों के नाम सुनो की योनि प्रयोग वितरण चंद्रमा मुक्ता विमोचन और निवृत्त है जिनको मात्र स्मरण करने से ही समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं श्वेत हरित वैद्युत मानस जी भूत रोहित और सुप्रा चारों गुणों से युक्त यह 7 वर्ष है हे महामुनी साल मनदीप में कपिल अरुण की और कृष्णा के चार वर्णों निवास करते हैं जो पृथक पृथक ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शुद्र हैं यह लोग प्रभु श्री हरि जी का श्रेष्ठ यज्ञों द्वारा या जन करते हैं इस अनंत मनोहारी दीप में सदैव देवता विराजमान रहते हैं इसमें सालमन नाम का एक महान वृक्ष है जो शांति देने वाला है या दीप अपनी तरह ही विस्तार वाले मदिरा के सागर से सब ओर से पूरी तरह घिरा हुआ है तथा मदिरा के इस दीप से दुगुने विस्तार वाला को शादी बुधवार सब तरफ से घिरा हुआ है
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Description of Plaksha and Shalmaladi lamps
Mr. Parashar ji said, just as the Jammu lamp is surrounded by the ocean of salt water from all sides, in the same way the Palaksha lamp is situated on the four seas, the expansion of the Jammu lamp is one lakh schemes. Medhatithi, the ruler of the lamp, had 7 sons In him the eldest son's name was Shant Hi and the younger one was Shishir, after him Sukhodaya Anand Shiva Kshemak and the seventh was Dhruv. He became the ruler of all Lakshadweep in his own official years. M's year is a leap year, the other seven mountains that determine his dignity, O Muni Shrestha, their names are Onyx, Chandra, Narad, Dudu, Big Show, Bhag, Suman, and Shantvan Viraj, in this year, the mountains and the years, including the Gandharvas and the deities, only sinful people reside there. Songs are virtuous and they die after living forever, they don't have any kind of disease, they remain happy forever, along with those years, there are sea and earth rivers whose sins are destroyed just by listening to them, the names of those rivers are Atul Trick. Learn Vishwa Tridev Kalma Amrita and Sumitra or have I described to you the main mountains and rivers because there are thousands of small mountains and rivers; There are no eras in those 7 years. From Brahmin Laksh Deep to Saheb Deep, 6 Deeps always have the same time as Tretayag. Residents of these Deeps always remain healthy and live for 5000 years. Satya Asteya Brahmacharya and Aparigraha, the four varnas there, I tell you, O Muni, in that lamp like Brahmin, Arya like Kshatriya, complete Vaishya caste, Vidisha and Shudra like future names, there are 4 castes. There is a tree of 100,000 pakars of the same size, the name of the block lamp is meaningful by its name, at the same place Lord Shri Hari Vishnu is worshiped in the form of Arya caste. Is surrounded O friend, now you tell the story of Salmon Deep. The sea is surrounded on all sides by the lamp of its virtues, this year there are also mountains with the origin of gems, which are the separators of its 7 years and there are also rivers in the mountain, the first is Kumud, the second is elevated and the third is Bal Haq and the fourth. Famous by the name of Dronacharya, on which there are many types of medicines, the fifth pebble, the sixth month, and the paddy on the seventh, is the river. Now listen to the names of the rivers, the vaginal experiment, the distribution of the moon, Mukta Vimochana and Nivritta, by remembering whom all sins are destroyed. White Green Electric Manas Ji Bhoot Rohit and Supra This is 7 years with all four qualities O Mahamuni Sal Mandeep Kapil resides in four characters of Arun and Krishna who are separate Brahmins Kshatriya Vaishya and Shudra these people are the best of Lord Shri Hari ji The deities always reside in this eternally beautiful lamp by sacrifices or people. It has a great tree named Salmon which gives peace. This lamp of twice as wide as the wedding Wednesday is surrounded on all sides
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