वहां वक्त मानस और मादक hr1 है इसमें सेवक सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण है मर्द छतरी है मानस वैश्य है तथा मादक सूत्र है यह मुनि शक्ति में शास्त्र अनुकूल कर्म करने वाले पूर्वार्ध चारों वर्णों द्वारा संयंत्र इत से विधि पूर्वक सूर्य रूप धारी प्रभु श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं हम मैत्रीय यदि आपने प्रमाण वाले दूध के सागर से घिरा है और वहां दूध का सागर शिव सागर दीप से दुगुने आकार वाले पुष्कर दीप से घिरा हुआ है पुष्कर दीप के अधिपति महाराज सावन है उसके महावीर और धात्विक नामक दो पुत्र हुए दोनों के नाम पर 2 वर्ष हुए महावीर खंड एवं धातकी खंड इसमें मानसरोवर नामक एक ही वर्ष पर्वत कहा जाता है जो इसके मध्य में वाला आकार स्थित है तथा 5000 योजन ऊंचा और इतना ही गोलाई में चारों ओर से फैला हुआ है यह पर्वत पुष्कर दीप रूप गोले को बीच से मानव विभक्त कर रहा है और इससे विभक्त होने से उसमें 2 वर्ष हो जाएंगे उनमें से प्रत्येक वर्ष और यह पर्वत वाला कार ही है वहां के प्राणी रोग शोक आदि से विभक्त होकर 10000 वर्ष तक जीवित रहते हैं उसमें ना एशिया एशिया भाई द्वेष और लोग आदि द्वेष ही है वह सब विषयों से दूर है महावीर वर्ष मानना सरोवर पर्वत के बराबर के बाहर की और हाय और घाट की अखंड भीतर की ओर इसमें दैत्य देव आदि निवास करते हैं दो खंडों से युक्त उस पुष्कर दीप में सत्य और मिथ्या का व्यवहार नहीं है इस दीप में पर्वत और नदियां नहीं है यहां के मानव और देवगन सामान वेज और समान रूप वाले होते हैं यह दोनों वर्षों स्वर्ग है यहां श्री ब्रह्मा जी का रमणीक स्थान 1 वाट का वृक्ष है जहां देवता और दानव आदि से पूजे जाने वाले ब्रह्मा जी के विराजते हैं यहां पुष्कर दीप चारों ओर से आपने ही समान विस्तार वाले मीठे जल के सागर समुद्र से घिरा हुआ है इस तरह सातों दिन समुद्र से गिरे हुए हैं और वे दीप और उन्हें घेरने वाले समुद्र परस्पर सम्मान है और उत्तर दुगुने होते गए हैं सभी समुद्र में सदैव एक जल रहता है उसमें कभी काशी और ब्रेट नहीं होती है मुनि श्रेष्ठ पात्र काजल जिस प्रकार अग्नि का ताप पाने से उबलने लगता है उसकी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने से समुद्र का जल भी बढ़ने लगता है और कृष्ण पक्षों में चंद्रमा के उदय और अस्त होने पर म्यूजिक ना होते हुए भी जल घटता बढ़ता रहा करता है इस प्रकार समुद्र के जल की वृद्धि और - 510 उंगली तक हो जाता है यह विप्र पुष्कर दीपू में समस्त प्रजा को पोस्ट रस्म पोयम बिना पर यान के स्वयं ही प्राप्त हो जाते हैं मीठे जल के समुद्र के चारों ओर लोग निवास से शून्य और समस्त प्राणियों से रहित उससे दोगुनी सुहानी माय भूमि दिखाई देती है वहां 10000 योजन वाला लोक आलोक पर्वत है उसकी ऊंचाई भी 10000 योजन है उसके आगे उस पर्वत को समस्त ओर से अमृत कर घोर अंधकार छाया हुआ है तथा वह अंधकार चारों ओर से ब्राह्मण कटक से अमृत है हे मुनि श्रेष्ठ दिव्य सागर पर्वत और अखंड कटारा सहित या समस्त भूमंडल 50,000 करोड़ योजन विस्तार वाला है हे मैथिली आकाश आदि समस्त भूतों से अधिक गुण वाले यह पृथ्वी समस्त जगत की आधारभूत और उसका पालन तथा उद्भव करने वाले हैं
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There time is manas and narcissist hr1 in this servant is best Brahmin man is umbrella manas is vaishya and narcissistic sutra it is muni shakti plant by first half four varna who perform scriptures according to scriptures so methodically we worship Lord Shri Hari Vishnu in the form of Sun we are friendly if you are surrounded by ocean of milk with evidence and there the ocean of milk is surrounded by pushkar lamp twice the size of shiv sagar lamp lord of pushkar lamp is maharaj sawan its mahavir and dha There were two sons named Attvik, both named Mahavir Khand and Dhatki Khand. In this, there is only one year called mountain named Mansarovar, which is located in its middle shape and is 5000 Yojan high and is spread all around in the same circularity. No Asia, Asia, brothers, malice and people etc. live in it, it is away from all subjects. Lord Brahma, who has been worshiped since ancient times, resides here, the Pushkar lamp is surrounded by an ocean of sweet water of the same extent as the sea itself, thus seven days have fallen from the sea and those lamps and the sea surrounding them are mutual respect and the answers have been doubling. And when the moon rises and sets in Krishna Pakshas, the water continues to decrease, even if there is no music, thus the sea water increases and it reaches up to 510 fingers. In Vipra Pushkar Deepu, all the subjects get post rituals and poems on their own, without vehicles, surrounding the sea of sweet water, void of people and devoid of all living beings. There are 0000 Yojanas, in front of that mountain is covered with nectar from all sides and that darkness is nectar from Brahmin ridge from all sides.
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