श्री विष्णु पुराण कथा दूसरा स्कंध अध्याय 2

भूगोल का विवरण



श्री मैत्रीय जी बोले हे ब्राह्मण आपने मुझसे इस नाउ मनु के वंश कब्रिस्तान कहा है मैं अब आपके मुख्य बिंदु में समस्त पृथ्वी भूमंडल का वृतांत सुनाना चाहता हूं यमुने जितने भी सागर समुद्र 3 वर्ष पहाड़ पर्वत वन जंगल नदियां ए सरिता और देवताओं हदीकी पुरवइया नगर है उन सब का जितना परिणाम है जो अधिकार है तथा जो उत्पादन कारण है और जैसा आकार है आप मुझे वह सब बताएं श्री पराशर जी बोले थे मैथिली मैं इन समस्त बातों का वृतांत कहता हूं वैसे इनका विस्तार पूर्वक वर्णन तो 100 वर्ष में भी पूर्ण नहीं हो सकता है हदीस जम्मू पालक सालमन ऊंट और साख और 57 पूछ कर ऐसा तो दीप चारों तरफ से गहरे पानी दूध और मीठे पानी के साथ समुद्र से गिरे हुए हैं हे मैथिली इन सब के मध्य में जम्मू दीप है तथा उसके भी बीचो बीच में एक पर्वत है जिसका नाम सुमेरु पर्वत है उसकी ऊंचाई 84000 योजन है एवं यहां पर्वत पृथ्वी में 16000 योजन बसा हुआ है ऊपरी भाग में इसका विस्तार 32000 योजन है तथा नीचे तलहटी में 16000 योजन है इस तरह इस पृथ्वी पर यह पर्वत कमाल की कणिकाओं के समान है इसके दक्षिण में इमरान हेमकूट एवं निषेध तथा उत्तर में नील श्वेत श्री नामक वर्ष पर्वत है जिनके द्वारा भिन्न-भिन्न वर्षों का विभाग हुआ करता है उनमें बीच में दो पर्वत निषेध हुआ नील 1-1 लाख योजन तक फैले हैं उनसे दूसरे दूसरे 10 10 कम है अर्थात ही महान तथा श्री अर्शी अर्शी हजार योजन तक फैले हुए हैं और सभी पर्वत 22 हजार योजन ऊंचे और इतने ही छोड़े हैं हे दीज मेरु पर्वत के दक्षिण दिशा की ओर पहला भारतवर्ष है और दूसरा तीन पुरुष वर्ग तथा तीसरा हरि वर्ष उत्तर की ओर पहला रामायण फिर हिरणमय और फिर उत्तर पूर्ण वर्ष है जो दीपू मंडल की सीमा पर स्थित होने के कारण भारत के समान धनुष आकार है एबीपी इनमें से प्रत्येक का विस्तार 99 हजार योजन है और इन सब के मध्य में इला वित्त वर्ष है जिसमें सुगणों सुमेरु पर्वत खड़ा हुआ है हे महाभाग्य सुमेरु पर्वत के चारों ओर इला वृत्त वर्ष नव हजार योजन तक फैला है उनके चारों ओर पर्वत है यह चारों पर्वत सुमेरु पर्वत को टिक आने वाली प्रभु की बनाई हुई कि लिया है क्योंकि इसके बिना नीचे से शकरा और ऊपर से वृतांत फैला होने के कारण सुमेरु के गिरने की संभावना है इनमें से पूर्व में मदिरा चल दक्षिण में गंध मान पश्चिम में विफल तथा उत्तर में सुप्रा यह सभी 10 10 हजार योजन ऊंचे हैं इन पर 11-11 संयोजन ऊंचे पीपल कदम व्हाट आर जम्मू के वृक्ष है हे महामुनी जमुना नदी के कारण जामुन के पेड़ का नाम है इसके फल महान गजराज के समान बड़े होते हैं जब ए फल पेड़ से टूट कर दो पृथ्वी वह पर्वत के ऊपर गिरते हैं तो गिरकर फटने से कारण वह सब और फैल जाते हैं उन फलों के रस से निकली जम्मू नाम की प्रस्तुति नदी कहां बहती है जिसका वहां के निवासी जल पीते हैं उस जल को पीने से वहां के वासियों को दुर्गंध पसीना बुढ़ापा अथवा इंद्र क्षय नहीं होता है उस नदी के किनारे कि मृतिका दूसरा से मिलाकर 1 मंथ वायु के बहाव से सूखने पर जमानत नाम सुमन हो जाते हैं जो सिद्ध पुरुष का कहना है मेरी के पूर्व दिशा में भद्रवाह वर्ष और पश्चिम दिशा में केतु माल वर्ष है तथा इन दोनों के मध्य में हिला वित्त वर्ष है इसी प्रकार उसके पूर्व दिशा की ओर चतरथ दक्षिण दिशा की टीम दिशा की ओर बे ब्रिज तथा उत्तर दिशा की ओर नंदन नामक वन है एवं सदैव देवताओं से सिवनी अरुण महाभारत आशीष तो तथा मानस के चार सरोवर स्थित है

TRANSLATE IN ENGLISH

description of geography

Mr. Maitriya ji said, O Brahmin, you have told me this now Manu's descendants' graveyard, I now want to tell you the story of the whole earth globe in your main point. Whatever is the result of all of them, which is the right, which is the production cause and whatever is the size, you tell me all that Shri Parashar ji had said Maithili, I tell the story of all these things, however, their detailed description cannot be completed even in 100 years. Can Hadith Jammu Spinach Salmon Camel and Sakh and asking 57 such lamps have fallen from the sea with deep water milk and sweet water from all sides O Maithili Jammu Deep is in the middle of all this and there is a mountain in the middle of it too Whose name is Mount Sumeru, its height is 84000 yojanas and here the mountain is situated in the earth for 16000 yojanas, its extension is 32000 yojanas in the upper part and 16000 yojanas in the foothills, in this way this mountain on this earth is like amazing particles. Imran Hemkut and Nidhi in the south and Neel Shvet Shri in the north are Varsha Parvat by which there is division of different years, in the middle of them there are two Nidhi Parvat, Neel is spread up to 1-1 lakh Yojana and the other one is 10 10 less than that. That is, Mahan and Sri Arshi Arshi are spread up to thousand yojanas and all the mountains are 22 thousand yojanas high and left the same. O Dij, the first is Bharatavarsha towards the south of Mount Meru and the second is three Purusha Vargas and the third is Harivarsha towards the north. Ramayana is again Hiranamaya and then Uttar Purna Varsha, which is situated on the border of Deepu Mandal, which has the shape of a bow like India, ABP. O great fortune, this circle around Mount Sumeru extends for nine thousand yojanas. There are mountains around them. There is a possibility of Sumeru falling due to this, in the east, there is alcohol, in the south, Gandha, in the west, in the west, and in the north, Supra. All these are 10, 10,000 yojanas high. On these, there are 11-11 combinations of high Peepal steps, what are the trees of Jammu. The name of Jamun tree is due to the river Mahamuni Jamuna. Its fruits are as big as the great Gajraj. When a fruit is plucked from the tree and falls on the earth, it falls on top of the mountain. Originated from where the river named Jammu flows, whose residents drink water, by drinking that water, the people there do not get bad smell, sweat, old age or Indra decay. On drying, the name of bail becomes Suman, which is said by Siddha Purush, Bhadarvaha year in the east of Mary and Ketu Mal year in the west, and in between these two, there is a financial year, similarly on the east side of her, in the fourth direction, in the south direction. Bay bridge towards team direction and Nandan forest towards north direction and there are always four lakes of Manas and Arun Mahabharat Ashish to the gods.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ