श्री विष्णु पुराण कथा दूसरा स्कंध अध्याय एक का भाग 2



हे महामुनी किम पुरुष आदि जो 8 वर्ष है उसमें सुख का बहुमूल्य है और बिना प्रयत्न ही भूख सिद्धियां प्राप्त हो जाती है उनमें किसी प्रकार की वस्तु या अकाल मृत्यु आदि एक वृद्ध अवस्था एवं मृत्यु का कोई भय नहीं होता और ना धर्म अधर्म अथवा उत्तम अधर्म एवं मध्य आदि का ही वेद है उन 8 वर्षों में कभी कोई युग परिवर्तन भी नहीं होता महात्मा नाभि का ही मामा वर्ष था उसके मारुदेवी के गर्व से श्रीम बम नामक पुत्र हुआ श्रीमान जी के यहां सब पुत्रों ने जन्म दिया उसमें भरत सबसे बड़े थे महाभारत पृथ्वी पति ऋषभदेव जी धर्म पूर्वाग्रह शासन और विधि यज्ञ का अनुष्ठान कराने के पश्चात ऋषभ जी आपने वीर पुत्र भारत को राजगद्दी सौंपकर के लिए पूरा आश्रम को चले गए महाराज ऋषभ ने वहां पर 1 प्राप्त आश्रम की विधि से रहते हुए नियमों के अनुकूल यज्ञ अनुष्ठान और तब या तपस्या के कारण वे शूकर अत्यंत निर्बल हो गए कि उनके शरीर की शिराएं रक्त वाहिनी अनारिया दिखने दिखाई देने लगी अंत में एक पत्थर की भाटिया आपने मुंह में रखकर हुए नग्न अवस्था में महा प्रस्थान कर गए क्योंकि पिता रिसीव देव ने वन को जाते हुए 3 वर्ष भरत जी को दे दिए थे तब से वहीं वर्ष इस लोक में भारतवर्ष के नाम से विख्यात प्रसिद्ध हुआ भरत जी के सुमति नामक परम धार्मिक पुत्र हुआ भरत जी के राज सुख भोग कर अपना राज सुमति को सौंप दिया हे मुनि अपना राज सुमति को शो भारत जी ने योगाभ्यास में लीन रहकर अंत में शालिग्राम क्षेत्र में अपना शरीर त्याग दिया फिर उन्होंने योगियों के पवित्र पूल में ब्राह्मण रूप में जन्म लिया है मैथिली जिनका यह चरित्र मैं तुमसे फिर कहूंगा सुमति के वीर्य से इंद्र धूम का जन्म हुआ उससे पर सृष्टि और पर सृष्टि का पुत्र प्रतिहार उत्पन्न हुआ प्रतिहार का पुत्र हाय भाव का पुत्र खुद गीत लोकगीत का पुतला आती सामर्थ प्रस्ताव हुआ प्रस्ताव का प्रीत प्रीत का नाथ और अनाथ का पुत्र गए वह के नाम और उसके विराट नाम का पुत्र हुआ उसका पुत्र महावीर यथा जिससे धीमान ने जन्म लिया तथा धीमान का पुतला महानता और उसका मन उसमें हुआ मनुष्य का पुत्र स्वस्थ स्वस्थ का विराज विराज का पुत्र राज हुआ राज के पुत्र सत्ता जीत नामक पुत्र व राज्य के पुत्र सता जीत के 100 पुत्र उत्पन्न हुए जिसमें 200 ज्योति नाम का लड़का प्रधान था उन सब पुत्रों से यहां की प्रजा में काफी वृद्धि हो गई तब उन्होंने इस भारतवर्ष को 9 विभागों में विभक्त किया अर्थात वह सब इस को नव भागों में बांट कर भागने लगे उन्हीं के वंशजों ने पूर्व काल में कृत त्रेता आदि युग ग्राम से 71 लोगों तक इस भारत भूमि को बोगाथा हे मुनि यही इस 12 कल्प में सर्वप्रथम मनु अंतरण दीप बाबू मनु का वंश है जिससे उस समय इस समस्त संसार को व्याप्त किया हुआ था

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O great sage Kim Purush, who is 8 years old, happiness is valuable and hunger and achievements are achieved without effort, there is no fear of any kind of object or untimely death, old age and death, and neither religion, unrighteousness or perfect unrighteousness. And there is Veda of Madhya Adi only, in those 8 years there is no era change, Mahatma Navel was maternal uncle's year, with the pride of Marudevi, he had a son named Shrim Bam, all the sons gave birth to Mr. Prithvi husband Rishabhdev ji, after performing the rituals of religious prejudice governance and ritual sacrifice, Rishabh ji handed over the throne to his brave son Bharat and went to the entire ashram. Then or due to penance, those pigs became extremely weak that the veins of their body became visible as the blood vessels of the anaria. Finally, you left naked with a stone bowl in your mouth because father Received Dev while going to the forest. 3 years were given to Bharat ji, since then the same year became famous in this world by the name of Bharatvarsha. Show Bharat ji left his body in the Shaligram area after remaining engrossed in the practice of Yoga, then he was born as a Brahmin in the holy pool of Yogis. Maithili whose character I will tell you again. Indra Dhoom was born from Sumati's semen. And the son of creation, Pratihar was born, the son of Pratihar, the son of Bhava himself, the effigy of the song, the power of the song, the proposal, the love of the proposal, the son of Preet, and the son of the orphan, went by the name of him and he had a son named Virat. Dhiman was born and the effigy of Dhiman became greatness and his mind in him, the son of a man, healthy, the son of Viraj, the son of Raj, the son of Raj, the son of Satta Jeet and the son of the kingdom, Sata Jeet, 100 sons were born, in which 200 boys were named Jyoti. Pradhan was the son of all those sons, there was a lot of increase in the subjects, then he divided this Bharatvarsha into 9 departments, that is, they all divided it into nine parts and started running away. O Muni, this land of India is known to the people, this is the lineage of the first Manu Antaran Deep Babu Manu in this 12 kalpas, which at that time pervaded the entire world.

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