श्री विष्णु पुराण कथा दूसरा स्कंद अध्याय 1

प्रियव्रत के वंश का वर्णन



श्री मैथिली जी बोले हे मुनि संतप्त आपसे मैंने  सृष्टि की रचना के विषय में कुछ पूछा था वह सब आपने मुझे बता दिया जगत की रचना संबंधित आपने जो प्रथम अंश कहा है उसकी एक बात और मैं आपसे सुनाना चाहता हूं कि इस नाम और मनु के जो प्रियव्रत एवं उत्पाद नामक दो पुत्र थे उनमें से उत्पाद के पुत्र ध्रुव के विषय में आपने कहा है परंतु आपने प्रियव्रत की संतान के विषय में जरा जरा सा भी कुछ नहीं कहा इसलिए मैं उसकी वृतांत  को सुनाने की इच्छा रखता हूं कृपया करके आप उसका वर्णन करें श्री पराशर जी बोले हे मैथिली प्रियव्रत का विवाह कदम जी की पुत्री से हुआ था उससे उसके सम्राट एक कुक्षि नाम 2 कन्याएं और 10 पुत्र उत्पन्न हुए प्रियव्रत के दसों पुत्र बहुत ही बुद्धिमान शक्तिशाली बिना सील तथा अपने माता-पिता के अत्यंत ही प्रिय थे जिनके नाम हैं अग्नि अग्नि बहू व कुमार प्रीतम आन मेघमे धाती भव्य शांत्वन पुत्र तथा यथार्थ नाम ज्योतिष नामा प्रियव्रत के दसों पुत्र अपने बल पराक्रम के कारण प्रसिद्ध थे उसमें से 3 पुत्र तो योग पराशर अर्थ आपने जन्म का वृतांत जानते थे अतः उन्होंने राज आदि में अपना मन नहीं लगाया है मोनी श्रेष्ठ राजा प्रियव्रत ने अपने बाकी के साथ पुत्रों को साथ दीपू बांट दिए राजा प्रियव्रत ने आदमी श्री को जम्मू दीप और मैं अतीत कोप्लास नामक दिव्य दिया उस्मान को सलमान दीप दिया ज्योतिष मांग को दीप दिया प्रतिमान को कोच दीप के शासन पर नियुक्त किया प्रियव्रत के भाग्य को सात दीप का राजा बनाया और सावन को पुष्कर दीप दिया हे मुनि श्रेष्ठ उनमें जम्मू के अधिश्वर राजा अग्नि दृश्य थे उनके प्रजापति के समान 9 पुत्र हुए उनके नाम नाभि कि पुरुष 3 वर्षीय वृद्ध राजू हिरण व पूर्व भद्रवाह और केतु मानते हे विप्र आप उनके जम्मू दीप के भागों को सुनो पिता गणितीय ने दक्षिण की ओर का टीम वर्क जिससे आप भारतवर्ष कहते हैं नाभि को दिया इसी प्रकार की पोस्ट को म्यूट वर्ष तथा हरी वर्ष को तीसरा ने 7 वर्ष दिया जिसके मध्य में मेरु पर्वत है वह इला वृत्त वर्ष को उन्होंने इला वृत्त को दिया एवं नीलांचल से लगा हुआ वर्ष रामा को दिया हिरण वालों को जिसका उत्तर वरती श्वेत वर्ष और जो वर्ष श्रृंग वांगपहाड़ के उत्तर में आए वह पूर्व को और जो मेरू के पूर्व में स्थित है वाह भद्रसाल को दिया केतु माल को गंधमादान वर्ष दिया इस तरह पिता अग्नि गिरी ने अपने पुत्रों को यह वर्ष दिए हैं मैथिली आपने पुत्रों को इन वस्तुओं को देखकर ने तपस्या के लिए सालगराम नामक महा पवित्र क्षेत्र को गमन प्रस्थान कर गए

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Description of Priyavrat's lineage

Mr. Maithili ji said, O Muni Sanspat, I had asked you something about the creation of the universe, you told me all that you told me about the first part of the creation of the world and I want to tell you that this name and the name of Manu There were two sons named Priyavrat and Utada, out of them you have said about Dhruv, the son of Utada, but you have not said anything at all about Priyavrata's child, so I wish to narrate his story, please describe it. Shri Parashar ji said, O Maithili, Priyavrat was married to the daughter of Kadam ji, from her there was an emperor named Kukshi, 2 daughters and 10 sons. The names are Agni, Agni daughter-in-law and Kumar Pritam, Aan Meghme Dhati, Bhavya Shantvan son, and the ten sons of Jyotish Nama Priyavrat were famous for their prowess, out of which 3 sons knew the story of Yoga Parashar meaning their birth, so they did their part in Raj etc. The mind is not set Moni Shrestha King Priyavrat along with the rest of his sons distributed Deepu King Priyavrat gave Jammu Deep to man Shree and I Atit Koplas the divine named Usman gave Salman Deep Appointed Priyavrat's fate as the king of seven lamps and gave Pushkar lamp to Savan, O Muni Shrestha, among them Adhishwar king of Jammu was Agni Darshan. Ketu believes Vipra you listen to the parts of his Jammu Deep father mathematika south side team work which you call Bharatvarsh gave to navel similar post mute year and green year the third one gave 7 years in the middle of which Meru mountain He gave the Ila Vritta year to Ila Vritta and the year attached to Nilanchal to Rama, to the deer whose north Varati is the white year and the year which comes north of Shringa Wangpahad to the east and which is east of Meru. Gave to Ketu Mal gave Gandhamadaan year thus father Agni Giri has given these years to his sons

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