हिरण कश्यप शिशु का दिग्विजय और पहलाद चरित्र
श्री पराशर जी बोले है मैथिली मैं तुमको परम बुद्धिमान महात्मा पहला जी का चरित्र तुमको सुनाता हूं ध्यान पूर्वक सुने पूर्व काल में डिप्टी के पुत्र महाबली हिरण कश्यप शिशु में श्री ब्रह्मा जी से वफा कर शक्तिशाली होकर समस्त देना लोग को अपने अधीन कार्य किया वह दैत्य इन प्रश्न का बुक करने लगे वह सूर्य स्वयं ही सूर्य वायु अग्नि वरुण तथा चंद्रमा बंद बना हुआ था वह स्वयं ही कुबेर तथा यमराज भी बना था नरोवा असुर स्वयं ही संपूर्ण भोगो को भोग करता था उनके भाई से देवता स्वर्ग को छोड़कर मानव शरीर धारण कर भूमंडल पर बिछड़ते रहते थे इस तरह संपूर्ण तीर लोग पर विजय प्राप्त करके त्रिभुवन के वैभव से गर्वित हुए और गंधर्व से अपनी स्तुति सुना कर वह अभीष्ट मोहब्बत का भोग तथा उस समय उस मदिरापान में उस वक्त हिरण कश्यप शिशु की संपूर्ण गंधर्व थानागाजी उपासना करते थे उस देते राज के सामने सीधी गांड हो भाजी बना कर उसका शयनयान करते और कोई प्रसन्न होकर उसकी जय जयकार करता वह असुर राज वह इस पार्टी एवं आग्रह सील के बने हुए सुंदर मनोहारी विशाल महल में जहां अनेक अप्सराएं नृत्य करती थी वह प्रसन्नता के साथ मदिरापान करता था उसका महा भाग्यवान पुत्र पहला था वह बालक गुरु के यहां जाकर शिक्षा ग्रहण करने लगा एक दिन हुआ धर्मात्मा बालक अपने गुरु के साथ अपने पिता भारत का पिता हिरण कश्यप शिशु उस समय मदिरापान करने में लगा हुआ था बालक पहलाद ने अपने गीत आदित्य राज किरण कश्यप फेसबुक के चरण छुए और हिरण का सेक्सी सुनने अपने चरणों में झुके हुए पुत्र पहलाद को उठाकर बड़े प्रेम पूर्वक उसे पूछा हुआ साले अब तक अध्ययन में निरंतर रहा पर तुमने जो भी पड़ा है उसका सारा मैं सुना हूं पहलाद जी बोले हैं पिताश्री मेरे मन में जो स्थित है वह मैं आपकी आज्ञा अनुसार सुनाता हूं सावधान होकर सुनी जो आदि मध्य और अंत से रहित आजमा बिताए सोनिया और अछूत हैं तथा समस्त कारण के कारण तथा समास संसार की स्थिति और अंत करता उन प्रभु श्री हरि विष्णु जी अभी मैं प्रणाम करता हूं
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Digvijay and Pahlad Charitra of Hiran Kashyap Shishu
Shri Parashar ji has spoken Maithili, I am telling you the character of the most intelligent Mahatma Pahla ji, listen carefully. They started to book these questions, the sun itself became sun, air, fire, Varuna and the moon closed, he himself also became Kuber and Yamraj, Narova Asura himself used to enjoy all the enjoyments from his brother, leaving heaven and assuming a human body. In this way, all the arrows used to be scattered on the earth and became proud of the glory of Tribhuvan by conquering the people and after reciting his praise from the Gandharva, he enjoyed the desired love and at that time, in that drinking, the entire Gandharva Thanagaji used to worship the deer Kashyap child. In front of that Dete Raj, there should be a straight ass, making bhaji, and someone would be happy to cheer him, that Asura Raj, in this party and request seal, where many Apsaras used to dance in the beautiful beautiful huge palace, she drank wine with pleasure. Used to do his very fortunate son was the first that child went to the teacher and started learning One day the pious child accompanied his teacher to his father India's father Hiran Kashyap The child was engaged in drinking Kiran Kashyap touched Facebook's feet and listening to the deer's sexy voice, picked up son Pahlad and asked him lovingly, brother-in-law, till now you have been continuing in your studies, but I have heard everything that you have read, Pahlad ji has said my father. I narrate what is in my mind as per your command, listen carefully, who is free from beginning, middle and end, is sonya and untouchable and is the cause of all causes and causes and ends the world, Lord Shri Hari Vishnu ji, now I bow down I do
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