प्राचेताओ का मारिसा कन्या के साथ विवाह दक्ष प्रजापति की उत्पत्ति
श्री पराशर जी बोले एम मैथिली प्रचेता हूं के तपस्या में लगे रहने के कारण कृत आदि द्वारा किसी भी तरह की रक्षा ना होने के कारण पृथ्वी को परीक्षाओं में घेर लिया राजा कष्ट पास पाकर बहुत नष्ट हो गई असमान वृक्षों से भर गया इस कारण 10000 वर्षों तक ना तो हवा चली और ना ही प्रजा किसी प्रकार का प्रयत्न कर सकी जब प्रचेता गण तपस्या पूरी कर जेल से बाहर निकले तो मूछ को देखकर अति क्रोधित हुए और क्रोधित होकर उन्होंने अपने मुख से वायु और अग्नि को छोड़ वायु ने उन वृक्षों को बुखार कर सुखा दिया और प्रचंड अग्नि ने उन वृक्षों को जला दिया तब थोड़े से वृक्षों के रह जाने पर हैं घर प्रीत पर ले देखकर वृक्षों के राजा सुनने प्रजापति प्रचेता ओं के पास जाकर विनम्र भाव से कहा है ग्रुप वालों आप अपने प्राचीन क्रोध को शांत करके मेरी बात ध्यान से सुनिए मैं वृक्षों के साथ आप लोग की संधी करा दूंगा वृक्षों से उत्पन्न हुए इस दिव्य वन वाली रत्ना स्वरूप कन्या का मैंने पहले ही भविष्य को जानकर अपनी अमृत माई किरणों से पालन पोषण किया है वृक्षों की इस कन्या का नाम मरिया है यह महाभाग्य इसलिए ही उत्पन्न की गई है कि अवश्य ही तुम्हारे वंश को बढ़ाने वाला तुम्हारे पत्नी बनी मेरे और तुम्हारे दोनों के आधे आधे तेज पर इसके महान परम विधान दक्ष नाम का प्रजापति पैदा होगा वह तुम्हारे पेट के शहीद मेरे अंश से युक्त होकर अपने देश के कारण अग्नि के समान हो गया और राजा की अत्यंत वृद्धि करेगा पूर्वकाल में वेद वेदांग दो में सर्वश्रेष्ठ एयरपोर्ट नाम के मुनीश्वर हुए थे उन्होंने गोमती नदी के डॉट कॉम और तपस्या की उसका तब फास्ट करने के लिए इंद्र से प्राण मोर्चा नामा अति सुंदर अप्सरा को नियुक्त किया उस अति सुंदर अप्सरा ने उन ऋषि श्रेष्ठ कांडू मुनीश्वर को विचलित कर दिया उससे होकर वे 100 वर्ष से भी अधिक समय तक विजय शाश्वत होकर मंदराचल की गुफा में रहे तब फिर एक दिन पर लोचा अफसरों ने तू ऋषि से कहा ब्रह्मांड अब वापसी स्वर्ग लोक जाना चाहता हूं आप प्रसंता से मुझे स्वर्ग लोक जाने की आज्ञा दें लोचा के मुख से जाने की बात सुनकर उन्होंने उस वक्त चिंतित हुए कुंडू कृषि बोले हे प्रिय अभी कुछ और समय यही मेरे पास रहो बंदूक ऋषि के आयशा कहने पर परियोजना ने अगले 100 वर्ष तक साहस करके नाना प्रकार के भागों का शुक्रिया उसके फिर से वह या उसने पर की रिसीवर मुझे स्वर्ग लोक जाने की आज्ञा दीजिए बंदूक ऋषि ने फिर वही कहा कि अभी कुछ समय तक और रुको तब फिर से 100 वर्ष से अधिक बीत जाने पर प्रमोद चेतला इंद्री से प्रयुक्त मुस्कान से सुशोभित वनों से फिर कहा है ब्राम्हण अब मुझे स्वर्ग लोक जाने की आज्ञा दीजिए सुंदरी पर लो ताकि यह बात सुनकर ऋषि कुंडू अपने उस विशाल लक्ष्य को अलगेन्ना किया और बोले अब तो तू बहुत दिनों के लिए स्वर्ग लोक चली जाएगी इसलिए पलभर और ठहर जा तब वह तू सोनी सुंदर कमर वाली ऋषि के साथ कीड़ा करती हुए 200 वर्ष से कुछ कम समय तक और रही
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Prachetao's marriage with Marisa daughter Origin of Daksha Prajapati
Shri Parashar ji said, I am Maithili Pracheta, because of being engaged in penance, due to the lack of any kind of protection by Krit etc., the earth was surrounded by trials, after getting near the king's pain, it was destroyed a lot, it was filled with uneven trees, because of this 10000 years Till then neither the wind blew nor the people could make any kind of effort. When Pracheta Gana came out of the prison after completing his penance, seeing the moustache, he became very angry and in anger, leaving air and fire from his mouth, the wind caused fever to those trees. Dried up and the fierce fire burnt those trees, then only a few trees are left, seeing the love of the house, the king of the trees went to the Prajapati Prachetas to listen and said humbly, people of the group, calm your ancient anger. Listen to me carefully, I will make you people a treaty with the trees. Knowing the future, I have nurtured this girl born in the divine forest with my rays of nectar, the name of this girl of trees is Maria. This great fortune has been created because of course, your wife, who will increase your progeny, will be born on half the brightness of both of you and me. became like fire due to and will greatly increase the king. Appointed that very beautiful Apsara distracted that sage Shrestha Kandu Munishwar, through her he remained victorious for more than 100 years in the cave of Mandarachal, then one day Locha officers said to the sage, the universe now return to heaven I want to go to the world, you happily allow me to go to heaven, after hearing about Locha's mouth, he was worried at that time Kundu Krishi said, O dear, stay with me for some more time. By daring for years thanks to various parts he again he or she on the receiver allow me to go to heaven Gun Rishi again said the same wait for some more time then again Pramod after more than 100 years have passed The forests adorned with a smile used by Chetla senses have again said, Brahmin, now allow me to go to heaven, take me on the beauty, so that after hearing this, Rishi Kundu separated his huge goal and said, now you will go to heaven for many days. That's why stay for a moment, then she remained for a little less than 200 years while doing worm with the sage with beautiful waist.
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