सोम की 27 सुब्रत पत्नियां नक्षत्र योगिनी है और उन नामों से ही प्रसिद्ध उन्नति के जरिए उन्हें प्रतिभा वाले पुत्र उत्पन्न हुए हरीश चंद ने भी की पत्नियों से 16 पुत्रों की उत्पत्ति हुई बुद्धिमान बहु पुत्र थी पत्नी का पीला पिता तथा अश्मित नामक चार प्रकार की विद्युत कही जाती है रिचा ओके अभिमानी देव श्रेष्ठ पर जंजीरा से उत्पन्न हुए और देव ग्रहण नामक देवता देवर्षि कुशा की संतान कहलाते हैं हे मात हित ऋषि वेदोस तक देवता अष्ट वसु 11 रुद्र 12 आदित्य प्रजापति तथा वह सरकार अपनी इच्छा अनुसार उत्पन्न हुआ करते हैं कहते हैं इन लोग में इनकी उत्पत्ति और विरोध निरंतर हुआ करते हैं 1000 यू के पश्चात पुनः उत्पन्न होने हे मैथिली गीत लोक में सूर्य का उदय और अस्त लगातार हुआ करते हैं उस प्रकार एक देवगण भी युग युग में जन्म लेते रहते हैं कश्यप जी के वीर्य द्वारा परम दूर जाए हिरण कश्यप हिरण्याक्ष नाम के दो पुत्र तथा सीहाक्स नम की एक कन्या हुई जिसका विवाह वृत्त के साथ हुआ हीरोइन यक्ष शिशु के महा प्रक्रम में और अति तेजस्वी 4 पुत्र हुए जिसका नाम अनु हाथ हाथ बुद्धिमान पहला तथा सवार थे यह चारों पुत्र देते वंश में वृद्धि करने वाले थे महाभाग्य उन चारों में पहलाद जी सर्व सर वस्त्र समदर्शी तथा जितेंद्रिय थे जिन्होंने प्रभु श्री हरि विष्णु जी की भक्ति की थी जिनको देते राज की आज्ञा अनुसार आदमी भी जला नहीं पाई थी क्योंकि पहलाद की ही दे में प्रभु श्री हरि विष्णु जी विराजमान थे यह वही थे जिन महाबोधि मान के पराशर होकर समुद्र के जल में पड़े पड़े इधर-उधर हिलने डुलने व रुकावट करवट लेने से सारी पृथ्वी हिलने लगती थी जिस पर्वत के समान कठोर शरीर सारस्वत भागवत हराने के कारण देते राज के चलाए हुए अस्त्र-शस्त्र से भी छिन्न-भिन्न नहीं हुआ जिसका अंतिम तिथि राज द्वारा प्रेरित अग्नि द्वारा प्रचलित मुंह वाले सांप ही नहीं कर सके भगवान रूपी कवच धारण किए रहने के कारण पत्र की मार पड़ने पर श्री प्रभु श्री विष्णु जी कृपा से इनका पूछना बिगड़ सद विद्यापति द्वारा ऊपर से गिर जाने पर भी उनको प्रीति ने बीच में ही अपने गोद में उठा लिया मन में प्रभु श्री हरि विष्णु जी के स्थित रहने से सब का शोषण करने वाले वायु भी जिनके शरीर में लगने से शांत हो गया बेतियों द्वारा आक्रमण के लिए नियुक्त दिग्गजों के दांत जिनके वृक्ष स्थल में गाड़ने से टूट गए और हाथियों का समस्त मत चूर हो गया पूर्व काल में देते राज के पुरोहित की उत्पत्ति हुई तृतीया भी भक्तराज के अंत का कारण नहीं हो सकी यह वही भक्त पहलाद थे जिनके ऊपर चलाने से अति माया वीर सावरा सूर के हजारों माया प्रभु श्री कृष्णा के चक्र से व्यर्थ हो गए देखते राज के रसोईया द्वारा लाया गया हलाहल विष भी प्रभु की दया से प्राचार्य जो इस जगत में संपूर्ण प्राणियों के प्रति एक समान चितौरा अपने ही समान दूसरों के लिए भी परम प्रेम युक्त थे तथा जो परम धर्मात्मा महापुरुष सत्यम शौर्य आदि गुणों की खान तथा समस्त साधु पुरुष के लिए वहां स्वरूप उत्पन्न हुए थे
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Som's 27 Subrata wives are Nakshatra Yogini and through those names, they were born with talented sons. It is said that Richa Ok Arhimani Dev was born from Shrestha Par Janjira and the deity named Dev Grahan is said to be the child of Devarshi Kusha O Mata Hit Rishi Vedos Tak Devta Ashta Vasu 11 Rudra 12 Aditya Prajapati and that government is said to be born according to its will In these people, their origin and opposition are continuous, they are to be born again after 1000 years, in Maithili Geet, the sun rises and sets continuously in the world, in the same way even a deity is born again and again through the semen of Kashyap ji. Deer went away, Kashyap had two sons named Hiranyaksh and a daughter named Seahawks, who was married to Vritta, Heroine Yaksha in the great process of child birth and gave birth to 4 very bright sons, named Anu, Hath, Hath, Wise, the first and Savar, these four sons give descendants. Pahlad ji was the one who was going to increase the great fortune, among those four, Pahlad ji was all-rounded, equanimous and Jitendriya, who had worshiped Lord Shri Hari Vishnu ji, according to the order of the king, even a man could not burn because in the fire of Pahlad, Lord Shri Hari Vishnu Ji was sitting, he was the one who was lying in the water of the ocean after being overwhelmed by Mahabodhi Maan, due to moving here and there and turning the obstacle, the whole earth started shaking whose hard body like a mountain, due to the defeat of Saraswat Bhagwat, the weapons fired by the king. -It was not disintegrated even by the weapon, whose last date could not be done by the fire inspired by the Raj, even the snakes with mouths could not do it. Even after falling from above, Preeti picked him up in her lap in the middle of the day due to the presence of Lord Shri Hari Vishnu ji in the mind, even Vayu, who exploits everyone, calmed down by touching the body appointed for attack by the daughters. Giants whose teeth were broken when the tree was buried in the place and all the opinion of elephants was destroyed. In the past, the priest of Dete Raj was born, Tritiya also could not be the reason for the end of Bhaktaraj. Thousands of illusions of Veer Savra Sur were wasted by the cycle of Lord Shri Krishna, seeing that the halal poison brought by the cook of the king, by the mercy of the Lord, the principal who has the same love for all the creatures in this world, the ultimate love for others as well as himself. He was united and who was born there as a source of virtues of the supremely virtuous great man, Satyam, Shaurya etc. and for all the sages.
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