श्री पराशर जी बोले है मैथिली कृष्णा बाबू भगवान श्री ब्रह्मा जी की ऐसी आज्ञ होने पर कि तुम प्रजा की उत्पत्ति करो दक्ष ने पूर्व काल में जिस तरह प्राणियों की उत्पत्ति की थी वह बहुत ध्यान पूर्वक सुने उस समय दक्ष ने पहले तू ऋषि गंधर्व और सूर तथा सर्व आदि मानसिक प्राणियों को ही उत्पन्न किया इस तरह उत्पत्ति करते हुए तब उनकी प्रजा और नहीं बढ़ी तो उन प्रजापति ने सृष्टि की वृद्धि के लिए चित्र मन में विचार करना तुम द्वारा अनेक प्रकार की प्रजा उत्पन्न करने की इच्छा से मेड़ता प्रजापति की अति तपस्वी पुत्री और अपनी से विवाह किया वीर जवान दक्ष प्रजापति दक्ष के संवर्ग की बुद्धि के लिए वीरता सूटता अश्विनी के गर्भ द्वारा पांच सहस्त्र पुत्र उत्पन्न किए उन्हें प्रजा की वृद्धि में इच्छुक देखकर देवर्षि नारद जी उनके पास आकर बोले हे महापुरा क्रमिक आर्य स्वर्णकार लगता है कि आप लोग प्रजा की बुद्धि करना चाहते हैं तो मेरा यह कथन ध्यानपूर्वक सुनो बड़े खेद की बात है कि तुम लोग अभी हो तुम इस पृथ्वी का मध्य उधर ऊपरी भाग पर उधर नीचे का भाग के संबंध में कुछ भी तो नहीं रचना किस प्रकार कर सकते हो देखो जब तुम्हारी गति इस ब्रह्मड में ऊपर नीचे और इधर उधर सब तरफ आवृत्ति हद है तो तुम सब मिलकर इस पृथ्वी का अंत क्यों नहीं देखते देवर्षि नारद जी के मुख से यह सब सुनकर वे सब अलग-अलग दिशाओं में चले गए और फिर जिस प्रकार समुद्र में गिरने के पश्चात नदियां अभी वापिस नहीं लगती उसी तरह से हुए भी आज तक वापस नहीं लौटे इस तरह अचानक आर्य वंश के चले जाने के पश्चात क्षेत्रों के पुत्र दक्ष प्रजापति हुए रोने से एक सहस्त्र पुत्र उत्पन्न किए जो साबला स्वरोजगार की प्रजा की उत्पत्ति की चौथी देवर्षि नारद जी ने उनसे भी वही पहले वाली बात कह दी वह सब आप से मैं एक दूसरे से बोले देवर्षि नारद जी की बात सत्य है हमको भी अपने भाइयों के मार्ग का ही अव्वल मा करना चाहिए वह सब भी समस्त दिशाओं की तरफ चल दिए और जिस प्रकार समुद्र में जाकर नदियां ऑफिस नहीं लगती उसी प्रकार हुए भी आज तक नहीं लौटे हदीस उस समय से ही यदि भाई को खोजने के लिए भाई ही जाए तो वह नष्ट हो जाता है अतः विचार वहां पुरुषों को ऐसा नहीं करना चाहिए दक्ष प्रजापति ने उन पुत्रों को भी लाए जानकर देवर्षि नारद जी पर बहुत विरोध किया और क्रोध में उन्हें साहब दे दिया हे मैथिली फिर दक्ष प्रजापति बिरयानी से 60 कन्याएं उत्पन्न की उन कन्याओं में से उन्होंने 10 धर्म को तेरा कश्यप को 27 फ्रॉम चंद्रमा को और 4G स्टिंग नवि को दी और दो बहू पुत्र तो अंगिरा तथा दो कि सभी के साथ विवाह दिया धर्म की 10 पत्नियों के नाम और उद्धव अश्वनी लंबा भानु मारुति संकल्प मुहूर्त संध्या और विश्वा थे अब इनके पुत्रों के नाम सुनो विश्वा के पुत्र 20 वा देवा थे सानिया से संधारण हुए मारुति से मारुति वान हुए वसु से वासु गण उत्पन्न हुए भानु से भानु तथा मुहूर्त द्वारा मुहूर्त अभिमानी देवगढ़ हुए लंबा से घोष यामीन से नाग विधि तथा दूधधरी से संपूर्ण पृथ्वी विशेषज्ञ प्राणी उत्पन्न हुए तथा संकल्प से सर्वद संकल्प की उत्पत्ति हुई
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Mr. Parashar ji has said that Maithili Krishna Babu Lord Shri Brahma ji has said that you should give birth to the subjects, listen very carefully to the way Daksha had given birth to the living beings in the past. And all the other mental beings were born only after being born in this way, then their people did not increase, then that Prajapati thought in the mind for the growth of the creation. Daughter and married to his own son Daksha Prajapati for the wisdom of Daksh's cadre, gave birth to five thousand sons from Ashwini's womb, seeing them interested in the increase of the people, Devarshi Narad ji came to him and said, O Mahapura, gradual Arya Swarnakar. If you want to educate the people, then listen carefully to my statement, it is a matter of great regret that you are now, how can you create anything in relation to the middle, upper and lower parts of this earth? Look, when your speed up, down and here and there in this universe has frequency limit, then why don't you all see the end of this earth together? After falling in the sea, the rivers do not come back, in the same way they did not come back till today, in this way, after the sudden departure of the Aryan dynasty, Daksh Prajapati, the son of the regions, produced a thousand sons by crying, who originated the people of Sabla self-employment. that the fourth Devarshi Narad ji told him the same thing as before, all of them said to each other, Devarshi Narad ji's words are true, we should also follow the path of our brothers, they all also walk towards all directions. Diyas and the way rivers do not take office after going to the sea, in the same way they did not return even till today. Hadith, since that time, if brother goes to find brother, he gets destroyed, so think that men should not do this there. Knowing that he brought those sons too, Devarshi Narad ji protested a lot and in anger gave him sir Maithili, then Daksh Prajapati Biryani gave birth to 60 girls, out of those girls, he gave 10 to Dharma, Tera Kashyap, 27 to Moon and 4G Sting. Gave to Navi and two daughter-in-law sons Angira and two that married with all the names of 10 wives of Dharma and Uddhav Ashwani Lamba Bhanu Maruti Sankalp Muhurta Sandhya and Vishwa Now listen to the names of their sons Vishwa's son was the 20th son of Deva from Sania From Maruti, Maruti became Van, from Vasu, Vasu Gana was born from Bhanu, from Bhanu and Muhurta, from Abhimani Devgarh, from Lamba, from Ghosh, from Yamin, snake method, and from milk-dhari, all the expert creatures of the earth were born, and from Sankalp, eternal resolution was born.
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