हेमा भाग जब-जब सुंदरी प्रतियोगिता स्वर्ग लोक जाने की आज्ञा मंगाती तभी कुंडू कृषि उससे अभी बाहर जा सकते ऋषि के इस प्रकार के वचन कहने पर प्रणाम की पीड़ा को जाने वाले उच्च अफसरों ने ऋषि के श्राप से भयभीत होकर उन्होंने नाकोड़ा तथा महर्षि का भी काम सख्त जन से उसके साथ रमण करते-करते अक्षरा में नित नूतन प्रेम प्रगट होता एक दिन भूमि वर बड़ी शीघ्रता से अपनी कुटिया से बाहर निकले उन्हें जाता देख वहां अप्सरा बोली आप कहां जाते हो अक्षरा के इस तरह पूछने पर मुनि बोले फिर सुबह दिन अस्त हो चुका है संध्या उपासना करनी है अन्यथा नहीं प्रक्रिया नष्ट हो जाएगी वह जरा हंसकर मुनिवार से बोली है सर्व धर्म राज क्या आपका दिन आज हुआ है अनेक वर्षों के पश्चात अब आपका दिन अस्त हुआ है बताएं किसको आश्चर्य ना होगा मुनि बोले के भतरे आज सवेरे ही तो तुम इस नदी के सुंदर तट पर आई हो मैंने अपने आश्रम में तुमको आज ही प्रवेश करते देखा था अब दिन के अस्त होने पर या संध्याकाल हुआ है फिर तुम ऐसा उपहार मुझसे क्यों कर रही हो अब जरा पर किलो ता बोली है ब्राह्मण आपका यह कहना है कि तुम सवेरे ही तो आए हो ठीक है किंतु उस समय को तो आज सैकड़ों वर्ष बीत चुके हैं ऋषि बोले अरे धीरू सच सच बता तेरे साथ भ्रमण करते हुए मुझे कितना समय व्यतीत हो गया अब सर आप रख लो ता बोली अब तक आपको मेरे साथ भ्रमण करते हुए 900 7 वर्ष 6 महीने और 3 दिन व्यतीत हो चुके हैं ऋषि बोले अरे वीरू तू सत्य कह रही है अथवा मेरा उपहास उड़ा रही है मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मैं इस स्थान पर तेरे साथ केवल एक दिन रहा हूं प्रीति की बात सुनकर अप्सरा जो ता बोली है ब्राह्मण समाज आपसे झूठ कैसे हो सकती हूं अक्षरा की बात सुनकर ऋषि बोले मुझे स्वीकार है ऐसा कह कर उन्होंने स्वयं ही अपने आप को काफी बुरा भला कहा मेरी तपस्या नष्ट हो गई और ब्रह्मा विजेताओं का मेला पास धन था वह सब टूट गया हो ऋषि को हर हाल में ही किसी ने नोटबुक जाने के लिए उत्पन्न किया मुझे अपने मन पर विजय प्राप्त करके भाइयों इंद्रियों प्रतियोगिता लोग जरा तथा मृत्यु द्वारा अजीत को समझना चाहिए जिससे मेरे इस तरह के ज्ञान को नष्ट कर दिया कमरूपी महा ग्रह को अधिकार है नर्क के ग्राम मार ग्रुप जिस स्त्री के संग द्वारा प्रभु श्री हरि विष्णु जी की प्राप्ति के कारण रूप मेरे समस्त व्रत नष्ट हो गए इस तरह उस धर्म ज्ञानी मुनिवर ने स्वयं ही अपना निंदा करते हुए अफसरों से कहा अरे पापलीन दे रे जहां इच्छा हो चली जा तू ने अपने भावना से मुझे इश्क करके इंद्र का जो कार्य था उससे उन्हें पूरा कर लिया आपने क्रोध से प्रज्वलत हुए अभी द्वारा तुझे खत्म नहीं कर सकता क्योंकि सज्जनों की मित्रता बात पर साथ रहने से हो जाती है मैं तो तेरे साथ ही दिनों तक रह चुका हूं तेरा दोस्त ही क्या है जो मैं तुझ पर वोट करो क्योंकि मैं अत्यंत अजीत इंद्रियां सारा दोस्त मेरा ही है मुझे धिक्कार है
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Hema ran whenever the beauty pageant asked for permission to go to heaven, only then Kundu Krishi could go out of it. Akshara used to have a new love every day while having fun with the hard man. One day the land groom came out of his hut very quickly, seeing him going there, Apsara said, where do you go? The evening has set for worship, otherwise the process will be ruined, she said with a smile to Muniwar, Sarva Dharma Raj, is your day today? After many years, now your day has set. You have come to the beautiful banks of this river early in the morning, I saw you entering my hermitage today itself, now it is day set or evening, then why are you doing such a gift to me? You have to say that you have come only in the morning, it is okay, but hundreds of years have passed since that time. 900 7 years 6 months and 3 days have passed since you traveled with me. After listening to Preeti, the Apsara who has spoken, how can the Brahmin society lie to you? After listening to Akshara, the sage said, "I accept it." The fair had money, all that has been broken. Rishi in any situation, someone has generated to go to the notebook. The great planet in the form of Kamrupi has the right to kill the village of hell, the woman with whom all my fasts were ruined due to the attainment of Lord Shri Hari Vishnu ji. Hey Paplin, go wherever you want, you have fulfilled the task of Indra by loving me with your feelings, you are burning with anger, I cannot finish you now, because the friendship of gentlemen is done by staying together on the matter. Yes, I have lived with you for days, what is your friend that I should vote for you, because I am extremely wondrous senses, all friends are mine, I am sorry
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