श्री विष्णु पुराण कथा अध्याय 14

प्राचीन वहीं का जन्म और प्राचेताऔ की भागवत आराधना




श्री पराशर जी बोले हे मैथिली पृथ्वी के अंतर्ध्यान और वादी नाम के 2 पुत्र थे उनमें से अंतर्ध्यान से उनकी शिखंडी नींव से हर क्षण को जन्म दिया रतन से अग्नि पूर्व रीन अधिपति गढ़ से 6 पुत्र उत्पन्न किए उनके नाम क्रम से प्राचीन विजिट शुक्र ग्रह पृथ्वी विद ऑरेंज इन थे हे महा भाग्य हर्ष धन से उत्पन्न हुए प्रभु प्राचीन वहीं एक महान प्रजापति हुए जिन्होंने यज्ञ संपन्न करने के राजा की बहुत बृद्धि की उनके समय में संपूर्ण पृथ्वी में यज्ञ अनुष्ठान की अधिकता के कारण प्राचीन नागपुर कुछ पृथ्वी में फैले हुए थे इसलिए वे महाबली प्राचीन वाही के नाम से प्रसिद्ध हुए हेम महात्मा महिपति ने महान तपस्या की और समुद्र की पुत्री सरवन से विवाह संपन्न किया प्राचीन वहीं से उसकी पत्नी सर्वस्व ने 10 पुत्र उत्पन्न किए उनके सभी पुत्र धनुर्विद्या के विशेषज्ञ थे उन्होंने समुद्र के जल में निवास कर के 10000 वर्ष तक सामान धर्म का आचरण करते हुए घोर तप किया श्री मैथिली जी बोले हे मुनीश्वर उन महात्मा प्रचेता ओं ने समुद्र के जल में किस कारण से इतना घोर तप किया था मुझे विस्तार से बताएं श्री पराशर जी बोले थे मैथिली एक बार प्रजापति की प्रेरणा से विजेताओं के महात्मा पिता प्राचीन वहीं ने उन्हें सम्मान पूर्वक संतान उत्पन्न के लिए इस तरह कहा प्राचीन वही बोले भाजी में मुझे आज्ञा दी कि राजा की वृद्धि करो मैंने भी देवाधिदेव ब्रह्मा जी को राजा की वृद्धि करने का वचन दे दिया अतः हे पुत्र गान तुम भी मेरे वचनों के पालन के लिए सावधानीपूर्वक प्रजा की वृद्धि करो क्योंकि देवा दी देव प्रजापति श्री ब्रह्मा जी की आज्ञा तुमको भी सर्वत्र माननीय है श्री पराशर जी बोले हैं मनु उन राजकुमारों ने अपने पिता के वचन की बात सुनकर उन्हें प्रजा में वृद्धि करने का वचन दिया प्रचेता बोले हे तात कृपा करके आप हमसे पूर्ण उपाय की व्याख्या कीजिए जिस कर्म से हम प्रजा वृद्धि में समर्थ हो सके उनके पिता ने कहा वर दायक प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना करने से मनुष्य को निसंदेह इच्छित वस्तु प्राप्त होती है अतः तुमको भी यही उपाय करना चाहिए यदि तुम भी सफलता प्राप्त करना चाहते हो तो प्रजा की वृद्धि के लिए स्वर्ण भूतों के स्वामी प्रभु श्री हरिनारायण जी की तपस्या करनी चाहिए धर्म और मोक्ष काम की इच्छा वाले को सदैव अनादि विश्वात्मा प्रभु श्री हरि विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए कल्प के आरंभ में जिन की उपासना करके प्रजापति श्री ब्रह्मा जी ने संसार को चौथा तुम उन अचूक नारायण की ही उपासना करो इससे तुम्हारी संतान की वृद्धि होगी

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Birth of the ancient place and divine worship of Prachetau

Shri Parashar ji said, O Maithili earth, there were 2 sons named Antardhyan and Vadi, out of them, Antardhyan gave birth to every moment from their shikhandi foundation, Agni from Ratan, Reen, from the former ruler of the stronghold, 6 sons were born in order of their names, the ancient visited Venus, the planet Earth. With Orange in thee O Maha Bhagya Harsh Dhan born from Prabhu ancient there was a great Prajapati who greatly increased the king of performing Yajna in his time due to abundance of Yagya ritual all over the earth ancient Nagpur was spread in some earth so He became famous as Mahabali Prachin Vahi. Hem Mahatma Mahipati did great penance and married Sarvan, the daughter of the sea. From there his wife Sarvasva gave birth to 10 sons. For 10000 years, practicing the same religion, Mr. Maithili ji said, O Munishwar, for what reason those Mahatma Prachetas had done so much penance in the sea water, tell me in detail Mr. Parashar ji said Maithili once Prajapati With inspiration, the Mahatma father of the victors, Prachian Wahi told them to beget progeny with respect. You also follow my words carefully to increase the people because the order of Deva di Dev Prajapati Shri Brahma ji, you are also respected everywhere. Promised Pracheta said, O Tat, please explain to us the complete remedy, by which we can be able to increase the population. You should also do the same remedy, if you also want to achieve success, then for the growth of the people, you should do penance to Lord Shri Harinarayan ji, the lord of the golden ghosts, those who wish to work for religion and salvation, should always worship the eternal universal soul Lord Shri Hari Vishnu ji. You should worship only that infallible Narayan, by worshiping whom Prajapati Shri Brahma ji created the world at the beginning of the Kalpa, this will increase your progeny.

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