श्री पराशर जी बोले अपने पिता की ऐसी आज्ञा सुनकर प्रचेता नामक दसों पुत्र ने श्री नारायण जी के निवास स्थान समुद्र के जल में डूबे रहकर सावधानीपूर्वक तपस्या करने लगे उन्हें 10000 वर्ष तक जेल में ही स्थित रहकर देवाधिदेव प्रभु श्री हरि विष्णु जी की स्तुति की श्री मैथिली यदि बोले हे मुनि श्रेष्ठ समुद्र के जल में रहकर प्रति अदाओं ने जो प्रभु श्री हरि विष्णु जी की अति पावन स्तुति की थी वह आप कृपा करके सुनाएं श्री पराशर जी बोले हैं मैथिली पूर्व कालों में समुद्र के जल में रहकर उन महात्मा विजेताओं ने जो प्रभु श्री हरि विष्णु जी की स्तुति की हो वह मैं तुम्हें सुनाता हूं ध्यान लगाकर सुनो विजेताओं ने कहा हम उन निखिल जननायक परम प्रभु को प्रणाम करते हैं तो संपूर्ण हुआ क्योंकि नित्य प्रतिष्ठा है तथा जो जगत की वह अब और ज्योति स्वरूप अनु अनु अत्यंत अपार और संपूर्ण चराचर के कारण है तथा जिन रूप ही परमेश्वर के दिन रात और सानिया सर्वप्रथम रूप है उस काल रूप काल स्वरूप भगवान को हम प्रणाम करते हैं समस्त प्राणियों के जीवन रूप जिनके अमृत माय स्वरूप को देवता एवं वितरण प्रतिदिन भोंकते हैं उन उन स्वरूप प्रभु को प्रणाम है हम उन परम परमेश्वर सूर्य स्वरूप श्री नारायण को प्रणाम करते हैं जो तीसरा स्वरूप धारण करके अपने तेज से आकाश मंडल को प्रकाशित करते हुए अंधेरे का नाश कर डालते हैं तथा जो धूप शीतल और जल के उद्गम स्थान हैं जो अधिकारी अनिरुद्ध निर्गुण निर्मल और प्रभु श्री विष्णु का परम पद है उस परम ब्रह्मा स्वरूप को हमारा प्रणाम है जो प्रणाम पान आदि 5 तरह से देश में स्थित होकर दिन-रात चेष्टा करता रहता है तथा जिन की योनि आता है उस वायु रूप प्रभु को प्रणाम है जो शुद्ध और निर्गुण होकर भी भ्रम वर्ष पूर्ण रूप से दिखाई देते हैं उन आत्मा स्वरूप प्रभु पुरुषोत्तम को हमारा प्रणाम है श्री पराशर जी बोले एमएसली इस तरह प्रतीत होने महासागर में प्रभु श्री हरि विष्णु जी की समाधि स्थित होकर उसकी सूती करते हुए 10000 वर्ष तक या फिर प्रभु श्री हरि विष्णु जी प्रसन्न हुए और उन्होंने प्रस्ताव को खिले हुए नीलकमल की अभियुक्त दिव्य छवि से जल के भीतर ही दर्शन दिया विजेताओं ने पक्षीराज गरुड़ पर आसीन हुए श्री हरि को देखकर उन्हें भाव से नतमस्तक होकर प्रणाम किया तब प्रभु श्री हरि विष्णु जी बोले मैं तुम्हारे तपस्या से प्रसन्न होकर तुम्हें 1 दिन में आया हूं अपना मनचाहा वर मांग लो तब प्रस्तावों में प्रभु श्री हरि विष्णु जी प्रणाम करके जिस प्रकार उनके पिता उन्हें प्रजा की वृद्धि करने की आज्ञा दी थी वह सब उन से निवेदन किया प्रभु श्री हरि विष्णु जी ने उन्हें इच्छित वर देकर अंतर्ध्यान हो गए और प्रजातांत्रिक जल से बाहर निकल आए
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Shri Parashar ji said, listening to such an order of his father, the ten sons named Pracheta started performing penance carefully by being immersed in the sea water at the abode of Shri Narayan ji. Maithili, O great sage, please narrate the most holy praise of Lord Shri Hari Vishnu ji, which was praised by Prati Adanas by staying in the water of the sea. Lord Shri Hari Vishnu ji has been praised, I tell you, listen carefully, the winners said, we bow down to the Supreme Lord, Nikhil Jannayak Param Prabhu, then it is complete, because he is eternally respected and the light of the world now, Anu Anu is extremely immense. And it is due to the entire pastime and the form of God who is the first form of day and night and Saniya is the first form, we bow down to God in the form of time, the life form of all beings, whose nectar my form, the Gods bark and distribute daily, that form Lord We bow down to that Supreme God Sun Swaroop Shri Narayan, who takes the third form and destroys the darkness by lighting up the sky, and who is the source of sunlight, cool and water, who is Adhikari Anirudh Nirgun Nirmal And Lord Shri Vishnu is the supreme position, we salute that supreme Brahma Swaroop, who keeps on trying day and night by being situated in the country in 5 ways like salutations etc. Despite being devoid of qualities, illusions are completely visible for years, we salute that soul-form Lord Purushottam, Shri Parashar ji said MSLI, appearing like this, Lord Shri Hari Vishnu ji's samadhi is located in the ocean, while doing sooti for 10000 years or so Lord Shri Hari Vishnu ji was pleased and he gave darshan to the proposal within the water with the accused divine image of blooming Nilkamal. Pleased with your austerity, I have come to you in 1 day, ask for your desired groom, then by saluting Lord Shri Hari Vishnu ji in the proposals, the way his father had ordered him to increase the people, he requested Lord Shri Hari Vishnu ji. gave them the desired boon, disappeared and came out of the democratic waters
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