राजा बेन तथा पृथु का चरित्र
श्री पराशर जी बोले है मैथिली युवक के द्वारा उसकी पत्नी से 30 और भव्य उत्पन्न हुए और भव्य से शंभू का जन्म हुआ तथा पृष्ठ की पत्नी तू छावनी द्वारा रिपोर्ट रिपोर्ट जय द्वारा पीट-पीटकर और वित्त तेजा नामक 5 पुत्र उत्पन्न हुए उनमें से श्रीपुर के द्वारा प्रगति के गर्व से महा तेजस्वी चतुर का जन्म हुआ पद्मिनी पुरूस्कार अनी द्वारा मोनू को उत्पन्न किए जो सर्वे मधुबन के अधिपति बने द फसलों में सर्वश्रेष्ठ मुनि ने वह राज्य प्रजापति की पुत्री नेट वाला चेतक महान तेजस्वी पुत्र पैदा किए पूर्व पूर्व सतगुरु तपस्वी सत्यवान सूची आदमी को उत्तम अति उत्तम उत्तम तथा अभिमान के 10 महान तेजस्वी पुत्र थे गुरु के द्वारा उनकी पत्नी अग्नि से अंग यमुना खली रितु अंगिरा और युवक नामक है परम तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुए अंग द्वारा सुनीता के गर्व से वेन नामक पुत्र उत्पन्न हुए ऋषिओ मैं बेन के दाहिने सीधे हाथ का मंथन संतान उत्पन्न करने के लिए किया था वेन के हाथ का मंथन करके पर वह नामक के महिपाल उत्पन्न हुए जो प्रीत के नाम से विख्यात प्रसिद्ध हैं तथा जिन्होंने प्रजा के हित के लिए पूर्व काल में पृथ्वी को दुआ था श्री मैथिली जी बोले थे मुनि श्रेष्ठ विषयों के बेन के हाथ को क्यों मत था जिससे अतिप्रा क्रमिक प्रीत का जन्म हुआ मुझे विस्तार से बताएं श्री पराशर जी बोले हे मुनि मृत्यु की सुनीता नाम की जो प्रथम पुत्री थी वह अंग को ब्याही की थी उसे व्हेन उत्पन्न हुआ वह मृत्यु की कन्या का पुत्र अपने नाना के दोस्त से प्रवृत्ति स्वभाव से ही दुष्ट बना वेनक जय महर्षि यों ने राजपथ पर अभिषेक किया तो उसी समय उस पृथ्वी पति ने समस्त संसार में यह घोषणा कर दी कि यज्ञ पुरुष भगवान मैं हूं मुझे से अतिरिक्त यज्ञ का भोक्ता और स्वामी और कौन हो सकता है इसलिए आज से अब कभी कोई यज्ञ हवन और दान आदि ना करें है मैथिली जब ऋषि यों ने उस पृथ्वी पति के पास जाकर पहले तो उसकी खूब प्रशंसा कर मधुर वाणी से बोले ऋषि गण बोले हे राजन् पृथ्वी पति तुम्हारे राज्य और देह शरीर तथा प्रजा के उपकार के लिए हम जो बताए आपसे कह रहे हैं उसे ध्यान पूर्वक सुनो तुम्हारा कल्याण हो देखें हम विशाल यज्ञ संपन्न करके स्वर्ग ज्ञानेश्वर देवा दी देव प्रभु श्री हरि का पूजा करेंगे उसके फल में से तुमको छठवां भाग मिलेगा हे राजन इस प्रकार यज्ञ द्वारा यज्ञ पुरुष प्रभु श्री हरि विष्णु जी उत्पन्न होकर हम लोग के साथ तुम्हारे भी समस्त कामनाएं पूरी करेंगे जिन राजाओं के राज में यज्ञ द्वारा प्रभु श्री हरि विष्णु जी का पूजा होता है हुए उनकी समस्त कामनाओं को पूरा करते हैं
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Character of Raja Ben and Prithu
Mr. Parashar ji has said that 30 more Bhavyas were born from Maithili youth to his wife and Shambhu was born from Bhavya and 5 sons named Tu Chhavani were born by Pratima's wife after being beaten by Jai and Finance Teja. By the pride of progress Maha Tejasvi Chatur was born by Padmini Award Ani produced Monu who became the ruler of survey Madhuban The best of the crops Muni He gave birth to Chetak the great Tejasvi son of net wala the daughter of Rajya Prajapati former Satguru ascetic Satyavan list The man had 10 great brilliant sons named Uttam Uttam Uttam Uttam Uttam and Abhimaan, through Guru his wife Agni, Anga Yamuna Khali, Ritu Angira and Yuvaka, the ultimate resplendent son was born; Sunita's proud son, Ven, was born by Anga. The churning of the right hand was done to produce a child. By churning the hand of Ven, he was born named Mahipal, who is famous by the name of Preet and who had blessed the earth in the past for the welfare of the people. Muni had said that why did the hand of the ben of the best subjects not matter, due to which excessive love was born, tell me in detail, Shri Parashar ji said, O Muni, Sunita, the first daughter of Mrityu, who was married to Anga, when was she born? The son of the daughter of death became evil by nature because of his maternal grandfather's friend. When Venka Jai Maharishi performed abhishek on the Rajpath, then at the same time that husband of the earth announced in the whole world that I am the God of Yagya, the God of Yagya other than me. Who else can be the enjoyer and owner, so from now on, never do any Yajna, Havan and charity etc. Maithili When the sages went to that husband of the earth, first praised him a lot and said in a sweet voice, the sages said, O Rajan, the husband of the earth. Listen carefully to what we are saying to you for the benefit of your kingdom and body and people, see that you are well. O King, in this way, through Yagya, Lord Shri Hari Vishnu Ji will be born as Yagya Purush and fulfill all your wishes along with us.
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