श्री विष्णु पुराण कथा अध्याय 13 का भाग 4



पृथ्वी बोली एनरिक श्रेष्ठ यज्ञ पुरवा आरंभ किए हुए सभी कार्य संपन्न हो जाते हैं इसलिए मैं भी आपको एक उपाय बतलाती हूं यदि आपको वह उपाय अच्छा लगे तो वैसा ही करें हे राजन मैंने जिन संपूर्ण औषधियों को पहचान लिया है यदि आपकी इच्छा हो तो मैं उन्हें दूध के रूप में पुनः दे सकती हूं हे राजन आप अपनी प्रजा के हित के लिए कोई ऐसा बदलाव उत्पन्न कीजिए जिसके वात्सल्य वंश में उन्हें औषधि दूध रूप से निकल सके और आप मुझको सर्वत्र संभाल कर दीजिए जिससे कि मैं उत्तम उत्तम औषधि के बीच रूप दूध का सर्वत्र सब स्थान उत्पन्न कर सकूं श्री पराशर जी बोले यह सब सुनकर महाराज प्रीत ने अपने धनुष की प्राचीनता से हजारों पर्वतों को उखाड़ कर उन्हें एक स्थान पर एकत्रित कर दिया जिसके पूर्व पृथ्वी के समस्त ना होने के कारण पूर्व और ग्राम आदि नहीं होते समय अन्य गौ रक्षक कृषि तथा व्यापार आदि कुछ नहीं होता यह सब तो 1 पुत्र पृथ्वी के समय से ही शुरु हुआ है जहां-जहां भूमि समतलीकरण उसी स्थान पर बात करना पसंद किया उस समय तक प्रजा का आहार भोजन केवल फल-फूल आदि भी थे किंतु वह भी औषधियों के नष्ट हो जाने के कारण अत्यंत कठिन हो गया था तब पृथ्वी पति प्रीत ने यीशु मनु को बड़ा बना कर अपने ही आंख से पृथ्वी से प्रजा की भलाई के लिए समस्त गानों को दुआ दिया यह साथ किसी अन्य के आधार पर आज भी प्रजा जीवित रहती है महाराज प्रीत प्राण दान करने के कारण भूमि के पिता हुए इसलिए उत्सव भूत धारणी को पृथ्वी पति प्रीत के नाम के कारण पृथ्वी का नाम मिला हेमू फिर देवता मोनू दैत्य राक्षस पर्वत गंधर्व सर तथा वितरण आदि में आपने अपने पात्रों में अपना अभिमान दूध दूल्हा तथा जुड़ने वाले के अनुसार उनकी सजीता ही दबोच था और कौशल आदि उत्पन्न हुए इस कारण प्रभु श्री हरि विष्णु जी के चरणों से प्रगट हुए यह पृथ्वी सब को जन्म देने वाले धारण और शक करने वाले हैं इस तरह पूर्व काल में वेन के पुत्र महाराज ऐसे प्रभावशाली और वीर्य वाहन हुए प्रजा का रंजन प्रसन्न करने के कारण हुए राजा कहा जो भी व्यक्ति पृथ्वी किताब महाराज के इस चरित्र के कीर्ति करता है वह कभी भी कोई दुष्कर्म नहीं कर पाता क्योंकि तू ही पिता महाराज प्रीत का यह अति उत्तम जन्म वृतांत और उनका प्रभाव आपने सुनने वाले व्यक्तियों के तू इस नाखून को सदैव सामंत करता है

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Prithvi said that all the works started by Enrique Shrestha Yagya Purva are completed, so I also tell you a solution, if you like that solution, then do the same, O king, I have identified all the medicines, if you wish, I will give them to you. I can give it again in the form of milk O King, create such a change for the benefit of your subjects that they can get medicine in the form of milk in their Vatsalya dynasty and you take care of me everywhere so that I can get the best medicine in the form of milk. Shri Parashar ji said that after listening to all this, Maharaj Preet uprooted thousands of mountains with his ancient bow and collected them at one place, before which due to the non-existence of the entire earth, there were no villages etc. Other cow protector agriculture and trade etc. nothing happens, all this has started from the time of 1st son of earth, where-wherever land leveling liked to talk at the same place till that time the food of the people was only fruits-flowers etc. but That too had become extremely difficult due to the destruction of medicines, then Prithvi husband Preet made Jesus Manu bigger and with his own eyes blessed all the songs for the welfare of the people from the earth. People live, Maharaj Preet became the father of the land because of the sacrifice of his life, so Utsav Bhoot Dharani got the name of Prithvi because of the name of husband Preet, Hemu, then the deity Monu, the demon Parvat Gandharva Sir and in the distribution etc., you showed pride in your characters According to the milk bridegroom and the joiner, his beauty was subdued and skills etc. were born, because of this, this earth appeared from the feet of Lord Shri Hari Vishnu ji, who is the one who gives birth to everyone and who is suspicious. In this way, the sons of Ven Maharaj became such an influential and virile vehicle that pleased the subjects, Ranjan became the king. Whoever glorifies this character of Prithvi Kitab Maharaj can never commit any misdemeanor because you are the father. And their influence you always tame this nail of those who listen to you

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