श्री हरिवंश पुराण कथा

विष्णु की नाभि कमल का वर्णन



हे महाराज एक आवाज में शयन करते हुए नारायण आवा रूप में तपस्या करने लगे तब तब के प्रभाव से उसके तेज भोपाल में बहुत अधिक वृद्धि होने से नारायण को सृष्टि की रचना का विचार आया और उन्होंने क्रमशाह आकाश वायु जर्मनी तथा पृथ्वी 5 महा भूतों की उत्पत्ति की फिर ब्रह्मा को ओपन करके वेदों की रचना की तब ब्रह्मा को सृष्टि के आगे निर्माण करने का कार्य सौंप कर स्वयं महारानी निषेचन पूर्वक सहन करने लगे कालांतर में श्री नारायण की नाभि से सूर्य के समान तेजस्वी एवं स्वयं के आलोक से प्रकाशित एक हजार पंखुड़ियों दलों वाले एक दीप कमल की उत्पत्ति हुई और सुगंध वाला सुंदर प्रपोजल शुभ आयुक्त पोस्ट तथा स्वच्छ एवं निर्मल था तरबूज कमल के शीर्ष पर आसन बनाकर श्री हरि ने ब्रह्मा को वहां स्थापित किया संपूर्ण पार्श्विक गुणों से युक्त उस कमल का विस्तार होने की वजह था वह सपना ने आगे कहा उसका मलके केसर अंगूर गाड़ी का है हिमालय कैलाश सुमेरू विंध्या गतिमान उदय तथा अस्तित्व आदि पर्वत के रूप में थे जो सदा ऋषि यों सिद्धियों महात्माओं तथा मुनियों द्वारा सेवित रहते थे इन पर्वतों के बीच का हिस्सा ही कर्म स्थलीय और यज्ञ भूमि जादू दीप कहा जाता है इस कमल के केस इसके भीतर के खनिज आदि ही है क्योंकि वह यह कमल वास्तव में हमारी पृथ्वी का रूप है कमल के नीचे के पत्र ही पता लोग हैं जहां सर और धदैत्य निवास करते हैं उनसे भी नीचे उधर नामक स्थान नरक फल भोगने के लिए देवता निवास करते हैं इस कमल के आसपास चारों और जो जल राशि व्याप्त है उसे इस पृथ्वी को घेरने वाले सागर का होना चाहिए इस प्रकार श्री विष्णु के नाभि कमल का स्वरूप तथा रहस्य भी मैंने तुमको समझा दिया है

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Description of Vishnu's navel lotus

O Maharaj, while sleeping in one voice, Narayan started doing penance in the form of awa, then due to the increase in his brightness, Narayan got the idea of creation of the universe and he gradually created the sky, air, Germany and the earth 5 great ghosts. Then by opening Brahma, he created the Vedas, then by handing over the work of creation to Brahma, the queen herself began to fertilise, in the course of time, from the navel of Shri Narayan, one thousand petal groups, as bright as the sun and illuminated by her own light A deep lotus with fragrance was born and the beautiful proposal was auspicious commissioner post and the watermelon was clean and pure, by making a seat on the top of the watermelon lotus, Sri Hari installed Brahma there. further said that its property is of saffron and grapes cart, Himalayas, Kailash, Sumeru, Vindhyas were in the form of mountains, which were always in the form of mountains, which were always served by sages, siddhis, Mahatmas and sages. It is said that the cases of this lotus are the minerals etc. inside it, because this lotus is actually the form of our earth. The leaves under the lotus are known only to the people where Sir and Dhaditya reside, below them there is a place called hell to enjoy the fruits. For the Gods reside around this lotus, the water that surrounds this lotus should be of the ocean that surrounds this earth. In this way, I have explained to you the form and secret of the navel lotus of Shri Vishnu.

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