श्री हरिवंश पुराण कथा

त्रिपुरासुर वध



तब कैसे बना जी बोले हे राजन् प्राचीन काल में त्रिपुर नामक एक महान असुर हुआ था सूर्य नाभा तथा चंद्र नाभा नामक दो महा असुरों से मिलकर उसने अकाश हुआ देव लोक तथा पृथ्वी लोक जाने वाले मार्ग को काटकर कई संयोजन विस्तार वाले तीन पुलों का निर्माण किया वह तीनों अपेक्षा से असमान पर विचरण करने में सक्षम थे अतः उन्होंने निर्माण के लिए आकाश को चुनाव देवताओं के मार्ग का अतिक्रमण कर लिया भव्य आष्टा लिखा हो श्रेष्ठ मानव तथा बहुमूल्य रत्नों के साथ उत्तम कल्याणकारी से निर्मित हुए तीनों पूर्व गंधर्व नामक की शोभा में किसी भी प्रकार कामना थे किंतु जीतने हुए सुंदर और सुसु भी थे उतने ही अभी एक और सुधीर भी उसमें एक पूर्व सोने से तो दूसरा चांदी से और तीसरा लोहे से निर्मित था इन पूर्व को वाहन करने वाले सूर्य के समान तेजस्वी तथा सूर्य ग्रीन पार्क वाले बहुत शक्तिशाली तीव्र गमी घोड़े वायु से भी तेज गति से चलते थे इस प्रकार तीनों पूर्व एक के ऊपर एक सदैव आसमान में भ्रमण किया करते थे यूं समझ लो कि कई सौ योजन प्रमाण वाले हुए पूर्व वास्तव में महा विशाल रत्नों की भांति थी जिनमें संपूर्ण नगर पास हुआ था और वह आशा मान की परिक्रमा करते रहते थे देवता लोग देवयान मार्ग तथा पित्र ज्ञान मार्ग का इन पूर्व द्वारा अतिक्रमण किए जाने से बहुत दुखी थे किंतु वे विवाह थी क्योंकि उन तीनों असुरों ने ब्रह्मा सेक्सीव के अलावा अन्य सभी देवताओं आदि के द्वारा ना मारे जाने का वरदान प्राप्त किया हुआ था और शिव भी केवल उसी अवस्था में उनको मार सकते थे जब एक सीट देना है उसके तीनों पूर्व को एक ही बाण से विवेद डालें अनेक वर्षों के बाद क्षण भर को ही वे 39 पूर्व 1 सीट में होते थे अतः वह असुरों के मारे जाने की संभावना नाम मात्र थी इस प्रकार तपस्या द्वारा वरदान पाकर हुए महा पराक्रमी महाबली महाशुर और भी उद्यान अभिमानी हो गए थे देवताओं को हुए आपने से तुच्छ समझने लगे थे तब भला ऋषि यों और मनुष्यों की तो गाना ही क्या थी देवता लोग राक्षस के लिए ब्रह्मा की शरण में गए तब ब्रह्मा ने बताया कि महावीर शिव के अतिरिक्त कोई उन असुरों को रण में पराजित कर मार नहीं सकता अतः वह शिव की शरण में जाएं तब वे देवगन बाग हंबर धारण करके बैठे हुए भगवान शिव के पास कैलाश पर जा पहुंचे और शिव को स्थितिय द्वारा प्रसन्न करके उन तीनों राक्षसों को मार कर देवताओं की रक्षा करने के लिए प्रार्थना करने लगे इस पर शिव ने उन्हें आश्वासन दिया और अपना पिनाक धनुष तथा त्रिशूल धारण कर रणभूमि की ओर निकाल पढ़े और अपने तीखे बाणों द्वारा तिरुपुर में रहने वाले असुरों को नष्ट करने लगे देवता भी शिव का साथ पाकर उत्साहित होकर असुरों से युद्ध करने लगे तिरुपुर के असुर भी आपने भयंकर अस्त्रों के साथ देवताओं से युद्ध करने लगे सारा आकाश बाढ़ शुभम 100 परसों पर्यटक युक्त गद्दारों खड़कू पशु तथ अन्य शास्त्र शास्त्र से पड़ गया तभी सूर्यास्त हो जाने से असुरों का पराक्रम और बढ़ गया रात्रि में राक्षसों का बल और प्रभाव बढ़ जाते हैं और देवताओं के लिए अंधकार में युद्ध करना पाना कुछ कठिन होने लगा इस प्रकार उस युद्ध में असुरों का पल्ला भारी हो गई तथा देवता लोग त्रस्त होने लगे तब असुरों ने अत्यंत भारी अस्त्रों का प्रयोग किया और श्रीलाल की वर्षा की हे राजन इस प्रकार खिलाओ और मोर उत्तम वस्तुओं के प्रयोग से इंद्र आदि देवता विवेक हो गए और शिव का रद्द भी संकट में पड़ गया क्योंकि अभी तीनों पूर्व एक सीधा में नहीं आए थे अतः सुरों का पराक्रम बढ़ा हुआ था और पृथ्वी पर गिरने लगा जिससे भूमि वह पर्वत आदि कांप उठे समुद्र प्राप्त हो गया और दसों दिशाओं भयानक लगने लगे तब विष्णु जी ने कृषक का रूप धारण किया और आपने सिंह ऊपर शिव के रथ को रोक कर ऊपर उठाने लगे उसी समय तीनों पूर्व एक सीधा में आ गए तब शिव पहले ही से सतर्क हो गए शिव ने अग्नि में बाढ़ को ब्रह्मास्त्र मंत्र से अभिमंत्रित करके सत्य ब्रह्म योग व बूथ पर से संयुक्त कर तीनों प्रकार की शक्तियों आधान उधना ओम अर्थात ज्ञान प्रिया व संकल्प शक्ति से जागृत कर तिरुपुर की ओर छोड़ दिया तब वे तीनों अवैध पूर्व पर आपने स्वामी सहित जलकर राख होते हुए भूमि पर गिर पड़े बजे खुशी राक्षसों ने भागकर फर्स्ट पूर्व में शरण लिया इस प्रकार त्रिपुरासुर का अंत हुआ तब समस्त देवताओं ने शिव की स्तुति की और शिव भगवान विष्णु की स्तुति करने लगे तभी से शिव का नाम त्रिपुरारी त्रिपुरा तक तथा त्रिपुर दमन हुआ इस प्रकार ए राजा श्रेष्ठ जन्म जय जो तुमने तिरुपुर दहन तथा तिलवा सुरों का शिव द्वारा वध किए जाने का और वहां से निकुम आदि राक्षसों के भागकर फर्स्ट पूर्व में शरण लेने का वर्णन मुझसे जानने की इच्छा प्रकट की थी वह भी मैंने पूरी कर दी अब हरिवंश पुराण को विशेष रूप से युवाओं एवं मोनू अंतरण के गाना सहित पुनः सारा गांव अतीत रूप में कहता हूं ताकि तुम भली प्रकार याद रखते हुए कल्याण को प्राप्त हो सके पूर्ण एकरा एकाग्रता से सुनो

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Tripurasura slaughter

Then how did you say, O King, in ancient times there was a great Asura named Tripura, meeting two great Asuras named Surya Nabha and Chandra Nabha, he built three bridges with many expansions, cutting the path leading to Akash, Dev Lok and Prithvi Lok. All three of them were able to move on the unequal than expected, so they encroached the path of the gods to choose the sky for creation. There were many desires, but there were Sundar and Susu who won, equally now there is another Sudhir in it, one former was made of gold, the other was made of silver and the third was made of iron. Powerful fast-moving horses used to move faster than air, thus all the three easts always used to travel in the sky, one above the other. Understand that the east, having several hundred yojanas, were actually like giant gems, in which the entire city was near. The deities were very unhappy with the encroachment of the Devayan Marg and Pitra Gyan Marg by these former but they were married because those three asuras had not married Brahma sexive and all other deities etc. Had obtained the boon of being killed and Shiva could kill him only in that condition when one seat is to be given, then with a single arrow all the three Purva's should be killed. Therefore, the possibility of being killed by the asuras was just a name. In this way, the great mighty Mahabali Mahashur, who was blessed by penance, and the gardens also became arrogant, they started considering the gods as inferior to you, then what could be the singing of sages and humans. The deities went to the shelter of Brahma for the demon, then Brahma told that no one except Mahavir Shiva can defeat and kill those demons in the battle, so they should go to the shelter of Shiva, then they will sit near Lord Shiva wearing Devgan Bagh Humber. Reached Kailash and by pleasing Shiva with the situation, he started praying to protect the gods by killing those three demons, on this Shiva assured him and wearing his pinaka bow and trishul, went out towards the battlefield and used his sharp arrows. The deities began to destroy the asuras living in Tiruppur by getting excited with the support of Shiva and started fighting with the asuras. The scriptures fell from the scriptures, only then the power of the asuras increased due to the sunset. The strength and influence of the demons increases in the night and it became difficult for the gods to fight in the darkness, thus the asuras got the upper hand in that war. And the deities began to suffer, then the asuras used extremely heavy weapons and showered Shrilal, O king, feed him like this and by using the best things, Indra etc. deities became wise and Shiva's cancellation was also in trouble because now all three The former did not come in a straight line, so the strength of the voices increased and started falling on the earth, due to which the land and mountains etc. trembled, the sea was obtained and the ten directions started to look terrible, then Vishnu ji took the form of a farmer and you Shiva on the lion. Stopped the chariot and started raising it, at the same time all three east came in a straight line, then Shiva was already alert. Shiva invoked the flood in the fire with the Brahmastra mantra, Satya Brahma Yoga and combined the three types of powers on the booth. Waking up with Udhna Om i.e. knowledge, love and resolution power, left towards Tiruppur, then all three of them fell on the ground being burnt to ashes along with your lord on the illegal east. All the gods praised Shiva and Shiva started praising Lord Vishnu, since then the name of Shiva became Tripurari Tripura and Tripura Daman. I had expressed my desire to know about the description of Nikum etc. demons running away from the first east and taking refuge in the east, that too I have fulfilled. Remembering well, so that welfare can be achieved, listen with full concentration

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