श्री हरिवंश पुराण कथा

कृष्णा को शिव दर्शन



हे राजन उसी स्थान पर शिव उमा के साथ प्राण में लीन रहते हैं उसी स्थान से गंगा का उद्गम होता है और उसी स्थान पर कुबेर फ्री सिंह एवं अन्य ऋषि द्वारा शिव शंकर का पूजन किया जाता है यही शंभू ने ब्रह्मा का पांचवा सिर काट डाला था यहीं पर आंसुओं से परिपूर्ण मानसरोवर है वही विष्णु ने कृष्ण के रूप में 12 वर्षों तक केवल शाक ही खाकर शिव के लिए फागुन माह से आरंभ करके यज्ञ किया उस समय गरुड़ सेवा भाव से कृष्ण की यज्ञ के लिए कष्ट लाकर देते रहे तब शंकर ने अपने विभाग नंदी पर अरुण होकर उनको आप ने दर्शन दिए तब कृष्ण ने शिव की स्रोत से स्तुति की स्रोत से प्रसन्न होकर शिव ने श्रीकृष्ण को वर मांगने को कहा तब कृष्ण ने अति उत्तम सद्गुणी एवं सर्वगुण संपन्न पुत्र मांगा तब भगवान शंकर भोले हे जनार्दन इंद्र द्वारा मेरा तक खंडित करने के लिए भेजे गए कामदेव को एक बार मैंने अपनी क्रोधाग्नि से भस्म कर डाला था बाद में मुझे आभास हुआ कि उसका कोई दोस्त नहीं था अतः तभी से मेरे मन में उसके प्रति दया रहती है मैंने उसकी पत्नी रति को भी पुनः पति प्राप्त कर लेने का आश्वासन दिया था आप हे माधव मुझे उस कामदेव के पुनर्जन्म का उचित अवसर जान पड़ता है अतः वही कामदेव तुम्हें पुत्र बनाकर प्रदुमन के नाम से प्राप्त पराक्रम तथा सद्गुणों से तुम्हें और यदुकुल को गौरवान्वित करेगा हे राजन वर देने के बाद भगवान शिव ने स्वयं श्रीकृष्ण की उसके विष्णु रूप को नमस्कार करते हुए स्तुति किया वह शिव द्वारा कहा गया विष्णु स्रोत नित्य पाठ करने से विष्णु का बैकुंठ लोक प्राप्त होता है तथा कुछ भी प्राप्त करना कठिन नहीं होता क्योंकि भगवान शंकर द्वारा कहे गए उस स्रोत में ऐसी ही शक्ति है पुस्तक के अंत में इस स्रोतों को पाठन के लाभार्थी दिए गए हैं

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Shiva Darshan to Krishna

O Rajan, at the same place, Shiva is absorbed in Prana with Uma, the Ganges originates from the same place and Shiva Shankar is worshiped by Kubera Free Singh and other sages at the same place that Shambhu cut the fifth head of Brahma. It is here that Mansarovar is full of tears, Vishnu, as Krishna, eaten only Shak for 12 years and started a yajna from the month of Phagun and performed a yajna from the month of Phagun, at that time, Garuda continued to suffer for the sacrifice of Krishna with service, then Shankar did his AAP appeared on the department Nandi, then Krishna was pleased with the source of the source of Shiva and asked Shri Krishna to ask for the bride, then Krishna asked I had once consumed Cupid sent to me to disguise me with my anger, later I realized that he had no friend, so since then I have mercy towards him, I have mercy towards him, I also have his wife Rati again, husband again You had assured to receive it, O Madhav, I see the proper opportunity to rebirth of that Cupid, so the same Cupid will make you a son and make you proud of the might and virtues received in the name of Praduman, you will make you proud and Yadukul. Greeting his Vishnu form of Shri Krishna himself praised by Shiva, he said that by reciting Vishnu source regularly, Vishnu's Baikuntha Lok is attained and it is not difficult to get anything because it is not difficult to get anything because in that source said by Lord Shankar Shakti Hai is the beneficiaries of the reading at the end of the book.

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