श्री हरिवंश पुराण कथा

विष्णु के अन्य प्रमुख अवतार



बेस्ट बनाने कहा हे राजन विष्णु भगवान ने समय-समय पर अन्य अधिकारी अवतार द्वारा धर्म की देवताओं की भूमंडल की भक्तों की सज्जनों की तथा संपूर्ण प्रजा की रक्षा की दुष्टों दूर जनों दानों असुरों दे तू राक्षसों तथा धर्म व अत्याचार का नाश कर प्रजा के समक्ष आदर्शों मर्यादाओं और परिणामों की स्थापना भी की थी उनमें से बहुत से यद्यपि तुम्हें पहले का भी चुका हूं तो भी प्रसन्न हुआ संक्षिप्त में सभी को कहता है तुम ध्यान से सुनो वामन अवतार तब इसे बनाने आगे कहा एक बार नीतियों के समस्त देवताओं आदि को हराकर तीन लोक पर विजय पाई तब हुए तब लीन हो गए देखते के महाराज बलि प्रक्रम दाना तथा तक के लिए सुप्रसिद्ध थे उन्होंने राज सूर्य यज्ञ किया दैत्य गुरु शुक्राचार्य अपने पुत्र सहित उस यज्ञ को संपन्न करवाए रहे थे अन्य ऋषि मुनि सिद्धि ब्राह्मण आदि भी उस महायज्ञ में उपस्थित थे तब अवसर पाकर विष्णु भगवान त्रिलोकी से बेटियों का साम्राज्य समाप्त करने के लिए वामन रूप में वहां पहुंचे बलि से उन्होंने तीन पग भूमि दान में मांगी तब पहलाद के पुत्र बलि ने हंसते हुए कहा अरे ब्राह्मण तुम धनसंपदा स्वर्ण रजत रत्न आभूषण गांव और स्वागत महाराज आदि में से कुछ मांग लो अथवा ₹1 योजनाओं के हिसाब से पृथ्वी जान मांग लो इस त्रिलोक में अन्य जो कुछ भी तुम्हें प्रिया या कंपनिया है वह मांग लो मात्र तीन पग भूमि से क्या होगा तुम तो आकार में भी छोटे हो तीन पग भूमि में कितनी भूमि नाच सकते हो वह बामन के रूप में विष्णु हंसते हुए बोले जानता हूं देख तेरा आज तब पराक्रम उदारता तथा महानता के कारण कुछ भी दान में दे देना आपके लिए संभव है किंतु है महाराज मेरे लिए तो केवल तीन पग भूमि ही काफी है मैं आपसे और कुछ नहीं चाहता बल्कि तब हंसते हुए बोले जैसा तुम चाहो या कहते हुए कमंडल से जल अंजलि में लेकर संकल्प करके दान देने को उत्सुक हुआ तो ब्राह्मण रूप में विष्णु को पहचान लेने पर परम विद्यमान महा तेजस्वी शुक्राचार्य ने बलि के कान में कुछ कहा हे राजन तुम यह संकल्प मत करो अन्यथा तीन लोग नाराज हो बैठोगे यह बामन ब्राह्मण नहीं चली विष्णु है अवश्य ही या कोई छल करेगा शुक्राचार्य द्वारा चेतावनी दी जाने पर भी दानवीर बलि ने अपना नीचे नहीं बदला वह बोला माया चक्को खाली हाथ नहीं लौटा सकता गुरुदेव भले ही वह मेरे प्राण क्यों ना मांग ले दूसरे दान के लिए मना करने पर मेरा यज्ञ भी भंग हो जाएगा ऐसा कह कर वह बामन बलि कमंडल से जल को अपनी हथेली पर निकालने के लिए उदित हुआ जिससे जल हाथ में लेकर संकल्प करके दान दे सके तब शुक्राचार्य की सुषमा रूप धारण करके कमंडल की नलकी में छिप गया जिससे जल बाहर ना आने पाए और राजा बलि संकल्प ना ले सके किंतु है राजन सब कुछ जानने वाली विष्णु ने वामन के रूप में शुक्राचार्य की यह करतूत जान ली और तिनके को कमंडल की नाली में डालकर जल के आने का रास्ता खोल दिया उस दिन के के कारण शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई किंतु बलि ने हाथ में जल लेकर वामन को तीन पग भूमि दान में देने का संकल्प ले लिया तब वह मैंने अपना आकार बहुत ही विशाल बनाते हुए दो पग में त्रिलोकी को नाथ कर बलि को राज विहीन कर दिया और राक्षसों के साम्राज्य का अंत कर दिया तब वह मन ने तीसरा पक्ष रखने के लिए स्थान मांगा तब्बली में अपना सिर आगे कर दिया बलि की दानवीरता से खुश होकर उन्होंने बलि को पाताल का राज दे दिया और कहा कि वह अपने वादों तथा साथियों सहित पताल में आनंद पूर्वक राज करे हे राजन तब से बेतिया और पताल में ही रहने लगे इस प्रकार विष्णु ने त्रिलोक से दानों का साम्राज्य समाप्त कर देवताओं को राज्य वापस दिलाए यह अवतार वामन अवतार के नाम से प्रसिद्ध है वैश्य पनाह आगे बोले हे राजन् विष्णु द्वारा विभिन्न अवसरों पर लिए गए और भी प्रमुख अवतार को संक्षेप में कहता हूं तुम इसे सुनना

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Other Major Avatars of Vishnu

Where to make the best, Lord Vishnu, from time to time, through other official incarnations, protects the gods of religion, the devotees of the earth, the gentlemen and the entire people, the wicked, the faraway people, the demons, the demons, and by destroying religion and tyranny, in front of the people Had also established ideals, norms and results, many of them, even though I have paid you earlier, still pleased, tells everyone in short, you listen carefully Vaman Avatar, then further said to make it, once defeating all the gods of policies etc. After conquering the three worlds, Maharaj Bali was well-known for his sacrificial actions, Dana and Tak. He performed the Raj Surya Yagya. When Lord Vishnu got the opportunity to end the kingdom of daughters from Triloki, he reached there in the form of Vamana, he asked for three steps of land in donation, then Bali, the son of Pahlad, laughed and said, "O Brahmin, you are wealth, gold, silver, gems, ornaments, villages and Swagat Maharaj, ask for something from etc. or ₹ 1, ask for the life of the earth according to the plans, ask for whatever else is dear or company to you in this trilok, what will happen with just three steps of land, you are small in size, three steps How much land can you dance in the land, Vishnu in the form of Baman said laughingly, I know, look, today, because of your prowess, generosity and greatness, it is possible for you to donate anything, but sir, for me only three steps of land is enough. I don't want anything else from you, but then smilingly said as you want or by taking water from Kamandal in Anjali and was eager to donate, then on recognizing Vishnu in the form of Brahmin, the supremely present Maha Tejasvi Shukracharya in Bali's ear Said something, O King, don't take this resolution, otherwise three people will get angry. Sakta Gurudev, even if he asks for my life, if I refuse for another donation, then my yagya will also be disrupted, saying this, Baman got up to take water from the sacrificial kamandal on his palm, taking water in his hand and making a resolution to donate. When Shukracharya assumed the form of Shukracharya, he hid in the tube of Kamandal so that the water could not come out and King Bali could not take the resolution, but Vishnu, the king who knows everything, came to know about this act of Shukracharya in the form of Vamana and took the straw. Shukracharya's one eye burst because of that day, but Bali took water in his hand and resolved to donate three steps of land to Vaman, then he increased his size to a very huge size. While making Triloki in two steps, he made Bali kingless and ended the kingdom of demons, then the mind asked for a place to keep the third side, he put his head forward in the tabli, pleased with Bali's charity, he killed Bali. Gave him the kingdom of Hades and told him to rule happily in Patal along with his friends and companions. Vaishya Panah is famous by the name of Avatar.

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