श्री हरिवंश पुराण कथा

राजा जनमेजय द्वारा यज्ञ कराना



सूत जी बोले थे सोनू व्यास जी के द्वारा सब कुछ जान लेने पर भी राजा जनक 10 साल से प्रेरित हुआ मैं उतार कर लूंगा या सोच रहस्यमय के लिए तब घोड़े की बाली दी गई तब नियमानुसार पत्नी के अभाव में यज्ञ पूर्ण नहीं होता था सिराज की अति सुंदर पुत्री व कुत्ता उसकी पटरानी होने से उसके साथ यज्ञ में बैठ गए तब इंद्र हूं सॉन्ग चुनरी पर मोहित हो गया आता है वह एक मरे हुए घोड़े में याचिका और वस्त्र पुस्तक में से जान मिला तक घोड़े को जिंदा देखकर यज्ञ को बिहार ग्रस्त हुआ देखकर जन्मदिन को दिखाकर योग्य पुरोहित से कहने लगा यह सब तो जीवित है तुम्हारा नाश हो पद्धरू में इस अनहोनी पर विचार करने के लिए ध्यान लगाए और सब कुछ जान का राजा को बताया तब राजा जनम जागृत होकर इंद्र से बोला तानी तेरे आधार मां चरणों का पाठ से मेरा यज्ञ दान हुआ है अतः आपसे कोई भी छतरी अश्वमेध यज्ञ में तेरी पूजा नहीं करेगी फिर वहां क्रोध के आवेश में रिसीवर यज्ञ कराने वाले ब्राह्मण से बोला आप लोग के ज्ञान और प्रभास होते हुए भी इंद्र मेरा यज्ञ भंग कर सकता या आप लोग की कमजोरी है अतः आप मेरे हाथ से बाहर चले जाए तब भी जन्मदिन का कोट साधना हुआ आता है उसने अपनी रानी कोशिश करता हूं भी दूषित हुए मानकर घर से बाहर निकाल दिया तब गंधर्व राज आकर जनम जय से कहा राजन आपने 300 यज्ञ करके इंद्र की बारंबार कर ली थी इसलिए ईशा वर्ष उसने ब्रह्मा नामक अप्सरा को पोस्ट मथुरा के रूप में यहां भेजा था आप यह यज्ञ करके उससे आगे निकलने वाले थे पता उसे मौका देखा अपने यज्ञ का नाश कर दिया वासु पक्का के रूप में इंद्र ने रहा तेरा मन किया आपने इस सत्य को ना जानते हुए 30 के संपन्न कराने वाले ऋषि यों का अपमान कर दिया है और साथ ही अपने निर्दोष पत्नी को प्रताडि़त कर रहे हैं आप इंद्र पुत्र अर्जुन के प्रपौत्र हैं इस नाते यह मेरा आपने ही कुलवधू मेरा मन नहीं कर सकता था इसलिए उसने रंभा को अपनी पत्नी के रूप में यहां पर भेजा था मिस्त्री तो लक्ष्मी की तरह होती है उसका सत्कार किया जाना चाहिए बिस्वाबसु के ऐसे समझाने पर जन्म जाए को अपनी भूल का अहसास हुआ वह पछताता हुआ बोला हो इस विषय में भविष्यवक्ता वेदव्यास जी ने मुझे पहले ही सावधान किया था किंतु मैंने उसकी बातें नहीं मानी थी और उसमें तथा ब्राह्मणों का अनादर किया मेरी इस भूल से अब या यज्ञ हो मंडल से लॉक हो जाएगी आप मुझको भेज पार है और ईश्वर इंद्र को भी बेकार है सबकी दुआ बसु ने कहा आप फिल्म ना हो जिससे मैं तो आप ही का कोई दोष है और ना ही इंद्र का हाल की गति यह महान है वाह जैसा चाहता है मनुष्य वैसा ही करने के लिए बुद्धि पढ़ लेता है उठ जी ने आगे कहा इस प्रकार है उनका तुम्हारे द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने इन बातों को पहले कह दिया अब राजा जंगल और बिछड़ना ऋषि की चर्चा हो कहता हूं जिससे मैं प्रारंभ से ही कह रहा था और वह राणापुर के प्रसंग के बाद बीच कि मैं रह गई थी जब राणापुर और वरुण के पास रखी के बाणासुर की कथा सुनने के बाद व्यक्ति बनाने जनम जैसे कहा कि और जो सुनाना चाहते हैं वहां भी कहो तब राजा के मामले में नारायण के बारे में उनके कार्यों के बारे में और भी विस्तार से जानने की इच्छा जाहिर की थी तब परम ज्ञानी व्यक्ति का नाम इस प्रकार कहा था

TRANSLATE IN ENGLISH 

Yagya performed by King Janamejaya

Sut ji had said that even after knowing everything from Sonu Vyas ji, Raja Janak was inspired for 10 years, I will take it off, or for the mysterious thought, then the earring of the horse was given, then according to the rules, the yagya could not be completed in the absence of a wife. The very beautiful daughter and the dog sat with him in the yagya as his queen, then Indra Hoon Song was fascinated by Chunri, he came to life from the book of petitions and clothes in a dead horse, till seeing the horse alive, the yagya suffered. Seeing the birthday, showing the birthday, he said to the worthy priest, this is all alive, you may be destroyed, meditated to think about this untowardness in Paddru and told everything to the king of life, then the king woke up and said to Indra, Tani your support of mother's feet. My Yagya has been donated by the lesson, so no one from you will worship you in the Chhatri Ashwamedh Yagya, then in a fit of anger, the receiver said to the Brahmin who performed the Yagya, despite your knowledge and Prabhas, can Indra break my Yagya or you people I have a weakness, so you go out of my hands, even then the birthday coat comes to me, even when I try to be my queen, I threw her out of the house thinking that she was polluted, then Gandharva Raj came and said to Janam Jai, Rajan, you have killed Indra by performing 300 yagyas. You had done it repeatedly, so in the year of Isha, he had sent an Apsara named Brahma here as a post in Mathura. Not knowing this truth, you have insulted the sages who have completed 30 years and at the same time you are torturing your innocent wife. That's why he had sent Rambha here as his wife. A mason is like Lakshmi, she should be treated like this I was warned earlier but I did not listen to him and disrespected the brahmins and the Brahmins. Because of this mistake of mine, now or yagya, you will be locked from the mandal. You are not a film, because of which I am not your fault, nor is Indra's recent speed, this is great, wow, a man can read his mind to do what he wants. When he left, he said these things first, now I want to talk about Raja Jungle and Rishi Bichhadna, to whom I was telling from the beginning and after the incident of Ranapur, I remained in the middle when Banasur of Ranapur and kept near Varun. After listening to the story of making a person like Janam said that and say whatever you want to narrate, then in the case of the king expressed his desire to know about Narayan in more detail about his works, then the name of the most knowledgeable person Where was the type

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