श्री हरिवंश पुराण कथा

जन्मेजय का वंश



माता की कथा सुनने के पश्चात सोमनाथ जी बोले यह सूची आपने भेजो काना जी के द्वारा जन मुझे जी को सुनाई गए कथाओं को कृपा पूर्वक मुझसे कहा है आप कृपया मुझे पांडवों के पुत्रों तथा राजा जन्मेजय के वंशजों की कथा भी कहें मेरे मन में उसके विषय में जाने की बड़ी उत्सुकता है धनंजय का वंश तब सूची बोले हैं सोनाक अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु तथा पुत्र परीक्षित परीक्षित ने काशीराज की कन्या से विवाह करके चंद्र पीड़ा तथा सूर्य पीड़ा नामक दो पुत्र पैदा किए थे सूर्य पीड़ा योग मार्ग से मोक्ष को प्राप्त हुआ चंद्रपुरा से पांडवों का वंश आगे बढ़ाई से सैकड़ों उत्तम जन्मदिन के गोत्र से प्रसिद्ध छतरी हुए उसमें श्रेष्ठ सत्य कारण नामक पुत्र वाराणसी का शासक हुआ इस हत्याकांड का पुत्र रेप कांड हुआ वेतन को कोई पुत्र ना था उसे सन्यास का आश्रम लिया गया था तब उसकी पत्नी मात्रू मालिनी को अपने गर्भवती होने का ज्ञान हुआ वह पति की अनुगामी को करवाने गई मन में ही उसे प्रसव हुआ परंतु वह पुत्र मोह में ना फंस कर पुत्रों को वन में ही छोड़कर पति के पीछे चल पड़ी तब वह बालक वन में अकेला ही रोने लगा वन से गुजरने वाले श्री विष्ठा के पुत्रों ऋषि विलाप और कौशिक ने दयावंत उस बालक को उठा लिया शीला पर ही नग्न लेते हुए रोते समय हाथ पैर चलने से उसकी पीठ सागर थाने से सायं 1:00 के बकरे जैसे हो गई थी पता उसे स्पष्ट कहा गया है ऋषि यों ने ही उसका लालन-पालन किया बड़ा होने का होने पर इसका विवाह हुआ और इसे पढ़ लो वंश का वृद्धि हो प्राप्त हुआ सोनक ने पूछा है महर्षि राजा जनमेजय ने जब वह सपना जी से महाभारत के खिल भाग हरिवंश पुराण को भी सुन लिया तब उन्होंने क्या किया यह सब भी मुझ पर कृपा करके बताएं मजे के विषय में जानने को व्याकुल हूं सूची बोले हैं ऋषि सुनक जन्मदिन है तब सरप्रीत के सर्वप्रथम पूर्ण हो जाने पर उस महान राजा ने अश्वमेध यज्ञ की तैयारी की जाएगी यज्ञ के विषय में सुनकर धर्मराज व्यास जी वहां आए तब जन्म जाए जिन्ह ब्यास से कहा हे प्रभु मैंने आपके द्वारा रचित महाभारत का 1 वर्ष तक श्रवण किया है आपने मानो शंख में संसार सागर भर दिया है किंतु अमृत पाकर भी जैसे कोई तृप्त नहीं होता इसी प्रकार में महाभारत के कथा अमृत का पान करके भी तृप्त अनुभव नहीं करता हूं कृपया मुझसे पूरा वंश के पतन का कारण कहे मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि युधिष्ठिर द्वारा किया गया राज सूर्य यज्ञ की इस महाविनाश का कारण है क्योंकि पहले सोम ने इस यज्ञ को किया था तब तारक का माय नामक महासंग्राम हुआ था वरुण ने इस यज्ञ को किया तो देवासुर संग्राम हुआ था राजा हरिश्चंद्र द्वारा या यज्ञ करने पर वशिष्ठ ने साड़ी जलचर तथा विश्वामित्र ने वर्क बाबुल का रूप ले लिया और आणविक वर्क नामक छतरी विनाश युद्ध हुआ था इस प्रकार युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ करने पर महाभारत नामक विश्वयुद्ध हुआ लगता है कि इस अति कठिन और जटिल यज्ञ की रचना महायुद्धम के लिए ही की गई है प्रभु ऐसा ही है तो आपने पांडवों द्वारा इसे किए जाते समय इस यज्ञ का निवारण क्यों नहीं कर दिया बिहार जी तब हंसते हुए बोले हे राजन् काल की गति गटल है काल के वशीभूत होकर तुम्हारे पूर्वजों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी वह मुझसे भविष्य के बारे में परामर्श नहीं लेते और मैं बिना पूछे कुछ कहता नहीं रहता तुम्हारे पूर्वजों के पतन तथा विनाश का कारण और इससे पूर्व में हुए महासंग्राम और विनाश का कारण ही है राज सूर्य यज्ञ नहीं है हे राजेंद्र कल द्वारा निश्चित भविष्य को पलट देने की क्षमता मुझे किसी में दिखाई नहीं देती क्योंकि भविष्य की जान लेने वाला भी कल से प्रेरित होकर विपरीत बुद्धि वाला होकर वैसा ही आचरण करता है जैसा उसका काल उसे करवाता है अब मैं तुमसे ही भविष्य को बताऊंगा किंतु तुम काल के बलवान होने से भविष्य जानकर भी कोई उपाय नहीं कर सकोगे सुनो यह सुनेगी अभी अति श्रेष्ठ तथा छात्राओं के लिए याद दायक है किंतु इंद्र तुम्हारे इस यज्ञ में बाधा खड़ी करेगा अतः मैं कहता हूं कि इस यज्ञ को तुम मत करो क्योंकि विधाता द्वारा इस यज्ञ का भी विनाश होना भविष्य में निश्चित है ब्राह्मण तब इस यज्ञ का फल भेजेंग लेकिन तुम मेरी बात ना मानकर इस यज्ञ को धैर्य के कारण अति आत्मविश्वास के कारण अवश्य करोगे क्योंकि वास्तव में का हाल अपने से ऐसा करवाएगा तब जन्म जाने कहा प्रभु यदि ऐसा ही है तो मुझ से हंसो मेघ यज्ञ की निर्मित हो जाने का कारण बताएं मैं प्रयत्न करता रहूंगा कि ऐसा ना हो सके या सुनकर व्यास जी बोले यह निर्मित का कारण ब्राह्मणों को क्रोध ही होगा तुम परिहार का उपाय करना चाहो तो जरूर करो किंतु तुम्हारे बाद पृथ्वी पर कोई भी क्षत्रिय अश्वमेघ यज्ञ नहीं कर पाएगा क्योंकि यह यज्ञ फिनिश्ड हो जाएगा राजा जन्म जाए तब घबराकर पूछने लगा क्या अश्वमेध यज्ञ की मेरे कारण विनाश होने के पश्चात का भी पुनरावृत्ति नहीं हो सकती क्या यह सदा ही विलुप्त रहेगा व्यास जी बोले कलयुग में ब्राह्मणों का नेता कोई कश्यप नामक ब्राह्मण भूमि के विचार से प्रगट होकर इस यज्ञ को पुनः लौट आएगा और उसी ब्राह्मण के पुल का कोई राज सूर्य यज्ञ को भी करेगा हे राजन तब श्रद्धा अनुसार ही या फल मिला करेगा

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Lineage of Janmejaya

After listening to the story of mother, Somnath ji said, you send this list, you have kindly told me the stories told to me by Kana ji, please tell me the story of the sons of Pandavas and the descendants of King Janmejaya. There is a great eagerness to go to Dhananjay's dynasty, then the list is said. Sonak Arjun's son Abhimanyu and son Parikshit Parikshit married the daughter of Kashiraj and gave birth to two sons named Chandra Pida and Surya Pida. The dynasty of Pandavas was further extended from the gotra of hundreds of Uttam birthdays, in which the son named Shrestha Satya Karan became the ruler of Varanasi. The son of this massacre was raped. Malini came to know that she was pregnant, she went to get her husband's follower done, she gave birth in her mind, but she did not get trapped in the son's fascination, leaving the sons in the forest, she followed her husband, then the child started crying alone in the forest. Rishi Vilap and Kaushik, the sons of Shri Vishtha who were passing by, mercifully picked up the boy, carrying him naked on Sheela itself, while crying, his back had become like a goat. He was brought up by the sages only when he grew up, he got married and read this, the dynasty grew, Sonak asked Maharishi Raja Janamejaya, when he heard Sapna ji, the Khil Bhag of Mahabharata, the Harivansh Purana. What did he do then please tell me all this also I am anxious to know about the fun List has said that it is Rishi Sunak's birthday then that great king will prepare for the Ashwamedh Yagya after Sarpreet is first completed About the Yagya Hearing this, Dharmaraj Vyas ji came there to be born, who said to Beas, O Lord, I have listened to the Mahabharata written by you for one year, as if you have filled the ocean of the world in the conch shell, but even after getting nectar, no one is satisfied, in the same way, in the Mahabharata I don't feel satisfied even after drinking Katha Amrit. Please tell me the reason for the downfall of the entire dynasty. It seems to me that the rule performed by Yudhishthira is the reason for this great destruction of Surya Yagya because earlier Som had performed this Yagya. Tarak had a great battle named Maya, when Varuna performed this yagya, then Devasura war was done by King Harishchandra or on performing the yagya, Vashishtha took the form of Sari Jalchar and Vishwamitra took the form of Vark Babylon and there was an umbrella destruction war called Atomic Vark. Thus Yudhishthira A world war called Mahabharata took place after Rajasuya Yajna was performed. It seems that this very difficult and complicated Yagya was created only for Mahayudham. Laughingly said, O Rajan, the speed of time is slow, the intelligence of your ancestors was corrupted due to time, they do not consult me about the future and I do not keep saying anything without asking, the reason for the downfall and destruction of your ancestors and before that The reason for the great battle and destruction in the sun is not Yajna, O Rajendra, I do not see anyone's ability to change the future, because even the one who takes the life of the future, being inspired by tomorrow, behaves in the same way with the opposite mind. Now I will tell you the future from you only, but because of the power of Kaal, you will not be able to do anything even after knowing the future. Listen, she will hear that it is very good and memorable for the girl students, but Indra is obstructing your Yagya. Therefore, I say that you should not do this Yagya because the destruction of this Yagya is certain in the future by the Creator, then Brahmins will send the fruit of this Yagya, but you will definitely do this Yagya because of patience, due to over-confidence, without listening to me. Because in reality he will make himself do such a thing, then where is he born? Will be angry if you want to take the remedy then definitely do it but after you no Kshatriya on earth will be able to perform Ashwamedh Yagya because this Yagya will be finished when the king is born then he started asking in fear whether the Ashwamedh Yagya will be destroyed after I have destroyed it. Will it not be repeated, will it be extinct forever Vyas ji said, in Kalyug, a Brahmin named Kashyap, the leader of the Brahmins, appearing from the idea of the land, will return to this yagya and the rule of the same Brahmin's bridge will also perform the Surya Yagya, O king. Then only according to faith or will you get the result

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