श्री हरिवंश पुराण कथा

पार्वती द्वारा बाणासुर की रक्षा



हेमा आप ईशा धर्म की रक्षा के लिए प्रकार निर्वस्त्र होकर युद्ध भूमि में क्यों आ गई है तब लंबा लिखा है वासुदेव आप शरण में आ जाए हैं अतः आपसे मयूर करना नहीं चाहती हो किंतु वालों को मैंने खुदा माना पुत्र तो कुपुत्र हो भी सकता है परंतु माता अभी घूम आता नहीं होती अतः वारा की रक्षा मेरा कर्तव्य भी है और अधिकार भी है आप कृपया करवत करके मुझसे पुत्र भी ना करें अन्यथा मुझे आपके साथ इसी अवस्था में उतरना होगा तब कृष्ण ने कहा आपका कथन तर्कसंगत है किंतु आपका यह अभिमान पुत्र एक हजार भुजाओं के गर्व से रानू बना रहता है तथा देवता माना सभी के बीए फर्स्ट कारी बना हुआ है तो भी आपकी इच्छा का सम्मान करते हुए मैं इसकी हत्या नहीं करूंगा परंतु इसके इन हजार हाथों को अवश्य काट लूंगा जिससे यह फिर अभिमान करके उपद्रव ना कर सके आपका पुत्र दो हाथ वाला होकर ही जिंदा रहेगा पृष्ठ पर इस प्रकार कहे जाने पर पर्वती का अंशुल अंबा देवी अदृश्य हो गईं तब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से वाड़ा के दो भुजाओं को छोड़कर आने भुजाओं को वृक्ष की विकास की अधिकार दिया इस प्रकार उस युद्ध में शिवपुर की शिव कथा सूरत का रिश्ता पुराना हुआ के प्राणों की रक्षा करने तथा वाड़ा की भुजाओं को काट कर के अपना उद्देश्य पूर्ण कर लिया बाणासुर का अमर होकर शिवगढ़ बन्ना हे राजन सिंह के वरदान सेवाना हमार आजाद हुआ था शिव के प्रथम गणों से सर्वोपरि होकर महाकाल के भी नाम से जाना जाता कृष्णा तथा अमरुद को मुक्त कराकर जब अमरुद बंधन मेंथा तब उसने देवी की मुक्ति स्रोत से उसकी स्तुति कर शीघ्र मुक्त हो जाने का वर्क पाया था शिव द्वारा युद्ध से उपरांत होने पर मार्कंडेय जी द्वारा रचे गए हरिहा रचनात्मक स्रोत से सूती की गई थी वह रामजी ने प्रदुमन जी की आत्म रक्षा के लिए आहित स्रोत का उपदेश दिया था किसी कारणवश उम्र स्रोतों को हमने इस पुस्तक में नहीं लिया है वह आकार में बहुत बड़ा है पाठक इसके लिए क्षमा कर दें इच्छुक पाठक मूल पुराण से हुए शोध पढ़ सकते हैं तथा सिद्धौर पुखराज बढ़ाना शुरू के सूट कितने वीर हनुमान मंत्री को बंदूकों द्वारिका में उषा का 9 बसों के रूप में विधिवत स्वागत किया गया राणा की दवा लेने के लिए कृष्ण का वरुण लोक में जाना वैसे पनाह जी ने आगे बोला है राजन उषा का शुरू से विधिवत विवाह होने के बाद जब कुमार ने बताया कि वह नस्ल की गाय का दूध पीने से देते महाबली वह दूर हो जाते थे वरुण के अधिकार में तब ऐसे गायों को तो द्वारिका में होना चाहिए यह विचार कर कृष्ण बलराम प्रदुमन तथा अनुरोध ने वरुण लोग पर आक्रमण किया वरुण के 60 हजार सैनिकों को युद्ध में हरा कर वरुण के अंतिम अस्त्र वरूणास्त्र को वैष्णवास्त्र से निरस्त परी वरुण को गाली देने के लिए विवश कर दिया मांगे जाने पर वरूण ने कहा हे प्रभु नासूर से हुई संधि अनुसार माय एक गांव में किसी और को ना देने के लिए वचनबद्ध हूं हे माधव मैं संधि की शर्तों को नहीं तोड़ सकता आप मेरी मृत्यु के पश्चात गए हुए ले जा सकते हैं मैंने संपूर्ण कर दिया है अब युद्ध नहीं करूंगा हे राजन तब कृष्ण ने ना तो समप्रीत हुए शत्रु का वध करना उचित समझा और ना ही उसे वाद्य कर संधि की शर्तों का उल्लंघन करवाना आता हुए कृपालु बलराम प्रदुमन वाह अनुरोध सहित बिना गवे लिए भी द्वारिका लूट गए तब द्वारिका में उनका विधि पूर्वक स्वागत किया गया इस प्रकार है राजन जो जो तुमने पूछा था वह सब मैंने तुमसे कहा है कृष्ण विजय की समस्त कथाएं नित्य पढ़ने वाले का पूर्ण हुआ कल्याण करने वाले हैं अब और जो भी सुनना चाहते हो वह हमस तुम कहो ओम नमो भगवते वासुदेवाय

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Protection of Banasura by Parvati

Hema, why have you come naked to the battlefield to protect the religion of Isha? Mother does not come around now, so protecting Vara is my duty as well as my right. Ranu remains proud of thousand arms and God is considered to be the first Kari of all, even then, respecting your wish, I will not kill him, but I will definitely cut off these thousand hands so that he does not create trouble again with pride. May your son be alive with only two hands On being told like this on the page, Anshul of the mountain Amba Devi disappeared, then Krishna left the two arms of the Wada from the Sudarshan Chakra and gave the right to the growth of the tree to the arms, thus that war In Shivpur's Shiva story, Surat's relation became old, protecting lives and fulfilling its purpose by cutting off the arms of Wada, Banasur became immortal and became Shivgarh. Krishna, also known as Mahakal, after freeing Guava and Guava, when he was in bondage, then he got the task of getting free soon by praising the Goddess from the source of liberation. It was cottoned from the source, Ramji had preached the harmful source for the self-protection of Praduman ji, for some reason we have not taken the source of age in this book, it is very large in size, readers forgive me for this. You can read the research done and Siddhaur Pukhraj started increasing suit How many brave Hanuman minister was duly welcomed in the form of 9 buses of guns Usha in Dwarka Krishna went to Varuna Lok to get Rana's medicine By the way Panah ji further said Hai Rajan Usha, after being duly married from the beginning, when Kumar told that he used to give Mahabali by drinking the milk of a breed cow, he used to go away. And the request attacked the people of Varuna, defeating 60 thousand soldiers of Varuna in the war, forced Varunastra, the last weapon of Varuna, to abuse Pari Varuna, canceled from Vaishnavastra. I have pledged not to give my one village to anyone else O Madhav I cannot break the terms of the treaty You can take me away after my death I have completed I will not fight now O king It was not considered appropriate to kill the beloved enemy, nor to force him to violate the terms of the treaty, while coming, the merciful Balram Praduman wow looted Dwarka even without giving a request, then he was duly welcomed in Dwarka as follows Rajan who I have told you all that you asked, all the stories of Krishna's victory are complete for the one who reads daily. Now whatever else you want to hear, say it.

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